झारखंड में नगर-निकाय चुनाव को लेकर सियासत गर्म,भाजपा नेताओं ने सरकार पर लगाए ये आरोप !

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झारखंड में पहले लोकसभा फिर विधानसभा का चुनाव खत्म हुआ. केंद्र के साथ –साथ राज्य में भी नई सरकार बन गई लेकिन अब तक झारखंड में नगर निकाय चुनाव नहीं हो पाया. हालांकि हेमंत सोरेन सरकार के गठन के बाद नगर-निकाय चुनाव की चर्चा जोरों पर है. निगर विकास मंत्री सुदिव्य कुमार सोनू भी लगातार कह रहे हैं कि राज्य में जल्द नगर निकाय चुनाव कराए जाएंगे. चुनाव को लेकर लगातार अपडेट्स भी सामने आ रहे हैं. ताजा जानकारी के अनुसार जून-जुलाई महिने में राज्य में नगर –निकाय चुनाव करा लिए जाएंगे. लेकिन अब राज्य में चुनाव को लेकर भी सियासत गर्म होने लगी है. भाजपा नेताओं ने नगर निकाय चुनाव की बात पर सरकार को घेरा है.

नगर निकाय चुनाव कराने से पहले राज्य में ओबीसी आरक्षण तय करना होगा जिसके लिए सरकार को ट्रिपल टेस्ट कराने अनिवार्य है. मालूम हो कि राज्य सरकार ओबीसी आरक्षण के बिना नगर निकायों का चुनाव कराने के पक्ष में नहीं है. पिछड़ा वर्ग आयोग के माध्यम से ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया पूरी की जानी है. लेकिन, आयोग के अध्यक्ष योगेंद्र प्रसाद के विधानसभा चुनाव जीतने की वजह से पद रिक्त हो गया है. आयोग में सदस्यों की नियुक्ति भी नहीं की जा सकी है.

हालांकि झारखंड में नगर निकायों में ओबीसी का आरक्षण निर्धारित करने के लिए सर्वे का काम शुरू कर दिया गया है. राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के निर्देश पर निकायों में बीसी-वन और बीसी-टू वर्ग के नागरिकों का अध्ययन किया जाना है.

आयोग द्वारा सभी जिलों को सर्वे के लिए प्रपत्र उपलब्ध कराया गया है. निकायों द्वारा सर्वे के बाद प्रपत्र भर कर आयोग को उपलब्ध कराया जायेगा. प्रपत्र में निकायों में मतदाता संख्या, मतदाता का नाम, पिता या पति का नाम, उम्र, लिंग, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, सामान्य, बीसी-वन व बीसी-टू की पूरी जानकारी भर कर आयोग को सौंपने का निर्देश दिया गया है. यह डेटा पहले बूथ स्तर, फिर वार्ड स्तर और उसके बाद निकाय के स्तर पर कुल आबादी के आधार पर तैयार किया जायेगा. सभी समुदायों के मतदाताओं से संबंधित उपायुक्तों के माध्यम से पिछड़ा वर्ग आयोग को भेजा जायेगा.

झारखंड में नगर निकायों का चुनाव पिछले तीन वर्षों से लंबित है. निकाय चुनाव नहीं होने की वजह से 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर राज्य को मिलनेवाली सहायता रोक दी गयी है. जिससे राज्य को लगभग 1600 करोड़ रुपये से वंचित रहना पड़ रहा है.

अब भाजपा नेता हेमंत सरकार पर जानबूझ कर चुनाव में देरी करने का आरोप लगा रहे हैं. चुनाव रांची के वार्ड संख्या 26 के निवर्तमान पार्षद अरुण कुमार झा ने कहा कि ‘ऐसा लगता है कि सरकार के लिए अर्बन लोकल बॉडी का चुनाव कराना यानी निकाय चुनाव कराना बेहद मुश्किल हो गया है. 2020 से 12 निकाय क्षेत्र में 05 वर्ष से और बाकी में 02 वर्ष से चुनाव नहीं हुए हैं. सरकार ट्रिपल टेस्ट का बहाना कर रही है. कुछ निकाय क्षेत्र में ट्रिपल टेस्ट की प्रक्रिया शुरू हुई है, जबकि रांची नगर निगम में यह शुरू भी नहीं हुआ है. बिना ओबीसी आयोग के गठन का कैसे चुनाव होगा?’ जल्द निकाय चुनाव कराने के लिए अदालत की शरण में जाने वाले अरुण झा कहते हैं कि सिर्फ उच्च न्यायालय में अपनी बात रखने के लिए यह सब कवायद की जा रही है.

वहीं झारखंड भाजपा के नेता कमाल खान ने भी हेमंत सरकार को घेरते हुए कहा कहा कि सरकार में शामिल दल शुरू से नगर निकाय चुनाव नहीं कराना चाहती है, क्योंकि उन्हें निकाय क्षेत्र में हार का डर है. राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग नहीं रहने पर कैसे निकाय चुनाव होगा यह बड़ा सवाल है.

भाजपा नेताओं के बयान पर झामुमो ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि यह ठीक है कि पूर्व में राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने जो दिशा निर्देश दिए थे उसी के अनुरूप सरकार काम कर रही है.सरकार राज्य में ओबीसी को आरक्षण सुनिश्चित करते हुए चुनाव भी कराएगी और जल्द ही राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग भी गठित होगा.

 

 

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