खूंटी में अब मुखिया को मिली बड़ी जिम्मेदारी, बालू की किल्लत होगी दूर

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झारखंड में बालू की बढ़ती किल्लत को देखते हुए सरकार इसके हल के बारे में विचार कर रही है. कई बालू घाटों को खोला जा रहा है, अवैध खनन पर रोक लगाने की पूरी तैयारी की रही है. झारखंड में धीरे-धीरे बालू घाटों के संचालन का मार्ग खुलता जा रहा है. जैसे-जैसे घाटों से उत्पादन शुरू होगा, प्रदेश में बालू की उपलब्धता भी बढ़ेगी। इसके साथ ही कीमतों में भी कमी आएगी। बीते दिनों स्टेट एनवायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी की बैठक हुई थी. बैठक में लोहरदगा में चार, गढ़वा में दो और रांची में एक घाट के संचालन को स्वीकृति प्रदान की गई।

अब खूंटी जिले में बालू की उपलब्धता आसान होने वाली है. रिपोर्ट्स की माने तो खूंटी जिला प्रशासन ने बालू के अवैध खनन पर लगाम लगाने में लगभग 70 प्रतिशत सफलता पाई और नए साल से बालू की उपलब्धता बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाया है. नए साल से जिले वासियों को सस्ते एवं आसानी से बालू मिल सकेग.

खूंटी जिले में नये साल में बालू की किल्लत को दूर करने के लिए जिला प्रशासन गंभीर है. खासकर घरेलू उपयोग में आने वाली समस्या को देखते हुए जिला प्रशासन ने पांच ऐसे बालू घाट को चिन्हित किया है, जो स्थानीय स्तर पर मुखिया द्वारा संचालित किया जाएगा. मुखिया ही चालान काटेगा और चालान से होने वाली आय को मुखिया अपने फंड में जमा कराएगा. चालान से होने वाले आय को मुखिया बालू घाट के आसपास सड़क व अन्य विकास कार्य में खर्च करेगा.

डीसी लोकेश मिश्रा ने इस मामले में बताया कि चिन्हित बालू घाटों में तोरपा व मुरहू में दो-दो तथा कर्रा में एक बालू घाट है. इन बालू घाटों की मॉनिटरिंग जिला खनन पदाधिकारी और क्षेत्र के बीडीओ, सीओ करेंगे. डीसी ने बताया कि लंबे समय से बालू घाटों की नीलामी के बावजूद खनन शुरू नहीं होने से विकास कार्य प्रभावित हुई हैं, साथ ही स्थानीय लोग घरेलू उपयोग के लिए काफी परेशान थे.

इन सब को देखते हुए स्थानीय स्तर पर पांच ऐसे बालू घाट चिन्हित किए गए हैं, जहां से सिर्फ घरेलू उपयोग के लिए बालू ले सकते हैं. उन्होंने यह बताया कि कमर्शियल यूज के लिए उक्त घाटों से बालू नहीं दिया जाएगा. कमर्शियल यूज के लिए बालू का इस्तेमाल करते पकड़े जाने पर घाटों को तत्काल रद्द कर दिए जाएगा, साथ ही मुखिया पर कार्रवाई संभव है.

जिन पांच बालू घाटों का संचालन मुखिया करेंगे उनमें मुरहू के माहिल एवं गनालोया बालू घाट, तोरपा के दियांकेल और चुरगी बालू घाट एवं कर्रा के सुनगी बालू घाट शामिल हैं. इन घाटों के संचालन की जिम्मेवारी संबंधित पंचायत के मुखिया को दी गई है.

अब नए साल में खूंटी जिले में इमारत बनाने वालों के लिए आसानी होगी. बालू की किल्लत दूर होने से बालू के दाम भी गिरेंगे. और लोगों के कामों में रुकावटें नहीं आएगी

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