कांग्रेस आलाकमान ने झारखंड के नेताओं को नहीं बनाया वर्किंग कमिटी का हिस्सा

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आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए कांग्रेस ने भी अपनी कमर कस ली है. चुनावों के मद्देनजर अन्य पार्टियों की तरह कांग्रेस ने भी पार्टी के चेहरों में फेरबदल की है.लेकिन इस फेरबदल में झारखंड के नेताओं को इग्नोर कर दिया गया है. दरअसल बीते कल यानी 20 अगस्त को कांग्रेस के राष्ट्रीयअध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पार्टी की वर्किंग कमिटी का गठन किया.खड़गे की इस टीम में पार्टी का अध्यक्ष खुद मल्लिकार्जुन खडगे बने, वहीं इस टीम में पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी,पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ,प्रियंका गांधी वाड्रा, राहुल गांधी जैसे कई वरिष्ठ नेताओं को शामिल किया गया.

पार्टी के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, कांग्रेस कार्य समिति में 39 स्थायी सदस्य, 32 स्थायी आमंत्रित सदस्य और 13 विशेष आमंत्रित सदस्य शामिल किए गए हैं.

पार्टी ने वर्किंग कमिटी में मध्यप्रदेश से दिग्विजय सिंह और कमलेश्वर पटेल को जगह दी है. वहीं छत्तीसगढ़ से ताम्रध्वज साहू और राजस्थान से सचिन पायलट को जगह मिली है. बता दें तीनों राज्यों में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.
लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि कांग्रेस की वर्किंग कमिटी में झारखंड के किसी भी नेता को कोई जगह नहीं दी गई है. जबकि अगले साल 2024 में झारखंड में भी विधानसभा चुनाव होने वाले हैं फिर भी वर्किंग कमिटी में किसी नेता को जगह नहीं दिया जाना खुद में एक अजीब सवाल है. क्या कांग्रेस, आलाकमान झारखंड के नेताओं को इस जिम्मेदारी के लायक नहीं समझती है. ऐसे में वर्किंग कमिटी के गठन में कई तरह के सवाल सबके मन में उठ रहे हैं. क्या पार्टी आलाकमान और झारखंड के नेताओं के बीच सबकुछ सही नहीं है.

लोकसभा में झारखंड से एकमात्र सांसद गीता कोड़ा हैं, गीता कोड़ा चाईबास सीट से कांग्रेस सासंद है, उन्हें भी पार्टी में तरजीह नहीं दी गई. इसके अलावा झारखंड कैबिनेट में कांग्रेस के 4 मंत्री हैं. झारखंड सरकार में वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव , स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम, और कृषि मंत्री बादल पत्रलेख शामिल हैं. इसके बाद भी पार्टी आलाकमान ने राज्य के नेताओं को वर्किंग कमेटी के योग्य नहीं समझा.कांग्रेस आलाकमान के साथ बीते 16 अगस्त को झारखंड कांग्रेस की बैठक भी हुई थी, लेकिन फिर भी इन नेताओं को पार्टी में जगह नहीं दी गई है.

हालांकि झारखंड के कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडेय को वर्किंग कमिटी में शामिल किया गया है. लेकिन आपको बता दें कि अविनाश पांडेय झारखंड कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी हैं लेकिन वे नागपुर के रहने वाले हैं. वहीं पार्टी के विस्तारित कार्य समिति में झारखंड के डॉ अजय कुमार को जगह दी गई है, माना जा रहा है कि डॉ अजय मणिपुर कांग्रेस के प्रभारी हैं, इसलिए पार्टी ने उन्हें इंचार्ज बनाया है.

कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी के वर्किंग कमिटी से न सिर्फ झारखंड के नेताओं के दर किनार किया बल्कि प्रियंका गांधी के करीबी माने जाने वाले पूर्व में लखनऊ लेकसभा प्रत्याशी आचार्य प्रमोद कृष्णम को भी वर्किंग कमिटी में शामिल नहीं किया गया है. इस बात से आचार्य पार्टी आलाकमान से खासा नाराज दिख रहे हैं. आचार्य प्रमोद ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘पार्टी के कुछ बड़े नेताओं को मेरी वेशभूषा और तिलक से चिढ़ है, जिन्हें मैं इस जन्म में नहीं छोड़ सकता.’
बता दें इस बार सचिन पायलट, शशि थरूर और कई अन्य नेताओं को पार्टी की इस सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई में पहली बार स्थान मिला है. शशि थरूर ने कहा कि ‘इतिहास में कांग्रेस की कार्यसमिति ने बीते 138 सालों से पार्टी का नेतृत्व किया है. मैं बेहद सम्मानित महसूस कर रहा हूं क्योंकि मुझे भी इसका हिस्सा बनाया गया है.मैं पूरे समर्पण से पार्टी की सेवा करने का अवसर पाकर खुश हूं.

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