झारखण्ड के राजनितिक गलियारे में फिर एक नया बवाल खड़ा हो गया है. इस मामले में तीन किरदार हैं. इन किरदारों में पहला नाम जामा से झामुमो विधायक सीता सोरेन का है, दूसरा नाम गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे का है और तीसरा नाम जामा से पूर्व भाजपा प्रत्याशी सुनील मुर्मू का है. सुनील मुर्मू ने राज्यपाल और चुनाव आयोग से एक पत्र लिख कर जामा विधायक सीता सोरेन की सदस्यता रद्द करने की मांग की है.तो क्या है पूरा मामला, आईये जानते हैं..
दरअसल, गोड्डा सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने जामा सीट से JMM विधायक सीता सोरेन की सदस्यता को अवैध बता दिया है. उन्होंने देवघर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि हाइकोर्ट के जजमेंट के अनुसार, जो व्यक्ति झारखंड में पैदा होते हैं, उन्हें ही SC-ST व OBC के आरक्षण का लाभ मिलना है.
उसी जजमेंट के हिसाब से ही गिरिडीह से भाजपा के मेयर सुनील पासवान की सदस्यता चली गयी थी. माना यह गया कि सुनील पासवान की पैदाइश बिहार में हुई थी. बता दें कि जामा के पूर्व भाजपा प्रत्याशी सुरेश मुर्मू ने राज्यपाल और चुनाव आयोग को पत्र लिखकर जामा विधायक सीता सोरेन की सदस्यता खत्म करने की मांग की है.
सांसद निशिकांत दुबे ने बताया कि सुरेश मुर्मू द्वारा चुनाव आयोग को की गई शिकायत दम है। हाइकोर्ट के आदेश के अनुसार, सीता सोरेन ने आदिवासी सीट पर अनैतिक रूप से विधायक बनी हुई हैं। वह सामान्य सीट से चुनाव लड़ सकती हैं, आदिवासी रिजर्व सीट से उन्हें विधायक बनने का कोई अधिकार नहीं है।
सांसद डॉ दुबे ने कहा कि, भाजपा को चुनाव आयोग से इस मामले में कड़ाई से लड़ना चाहिए। उनका मानना है कि जब चुनाव आयोग कार्रवाई करेगा, तो सीता सोरेन की सदस्यता खत्म हो सकती है।
निशिकांत दुबे ने यह भी कहा कि, वह दिल्ली कर अपने विचारों को चुनाव आयोग के सामने रखेंगे। डॉ दुबे ने सीएम हेमंत सोरेन के लिए भी एक संदेश दिया है कि अगर वह अपनी पत्नी को विधायक बनाना चाहते हैं, तो उन्हें किसी सामान्य सीट से यानि कि अनारक्षित सीट से चुनाव लड़ना चाहिए, क्योंकि आदिवासी रिजर्व सीट से यह संभावना नहीं है।
हालाँकि इस सिलसिले में बात करने के लिए हमने सीता सोरेन को फ़ोन किया था. लेकिन उनका फ़ोन बंद होने के कारण बात नहीं हो पायी.
सीता सोरेन JMM के केंद्रीय अध्यक्ष शिबू सोरेन के पुत्र दिवंगत दुर्गा सोरेन की पत्नी और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी हैं. बताया जाता है कि उनका जन्म ओडिशा में हुआ. वो जेएमएम के टिकट पर तीसरी बार विधानसभा में पहुंचीं हैं. झारखंड की सियासत में वो मजबूत पकड़ रखती हैं, लेकिन हेमंत कैबिनेट में उन्हें जगह नहीं मिल सकी. सीता की राजनीतिक महत्वाकांक्षा भी जगजाहिर है.
ऐसे में हेमंत सोरेन सरकार के खिलाफ विधायक सीता सोरेन तल्खी समय समय पर ज़ाहिर होती रही हैं. गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे की शिकायत पर ही TMC सासंद महुआ मोइत्रा की सदस्यता चली गयी थी. और अब निशिकांत दुबे ने झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी के मामले को उठाया है साथ उनकी सदस्यता रद्द करने की बात की है. खैर अब आगे क्या होता हैं ये तो वक़्त ही बताएगा.