बिरसा मुंडा जेल सहित राज्य के नौ जेलों में एक साथ की गई छापेमारी, हुए कई बड़े खुलासे

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रांची. बिरसा मुंडा सेन्ट्रल जेल पिछले कई दिनों से चर्चा का विषय बना हुआ है. चर्चा का विषय इसलिए भी क्योंकि, जेल में कई बड़े हाई प्रोफइल कैदियों द्वारा चालाए जा रहे सिंडिकेट, साथ ही जेल अधिकारीयों की मिलीभगत से हाई प्रोफाइल कैदियों को मिल रही खास सुविधाएं और आये दिन जेल के विधि व्यवस्था पर उठ रहे सवाल.

इन्ही सब को देखते हुए, बीते सोमवार को बिरसा मुंडा जेल सहित राज्य के नौ जेलों में एक साथ छापेमारी की गई. बता दे कि रांची डीसी राहुल कुमार सिन्हा के नेतृत्व में 15 आधिकारियों की टीम द्वारा सोमवार को तीन घंटे तक होटवार जेल में छापेमारी की गयी.

कैदियों के वार्ड, किचन, टॉयलेट से लेकर कैदी अस्पताल तक में छापेमारी की गई. इसके अलावा 20 कैदियों का बयान भी दर्ज किया गया. पूछताछ के दौरान कैदियों ने बताया कि, जेलकर्मियों की मदद से रसूखदार कैदियों यानी जो हाई प्रोफाइल कैदी हैं उन्हें सभी तरह की सुख सुविधाएं दी जाती है.

इतना ही नहीं, 95% कैदियों ने बताया कि, जो खाना उन्हें मिलता है उसकी क्वाईलिटी ठीक नहीं होती है. साथ ही छापेमारी के दौरान कैदियों ने कहा कि, नियम के तहत उन्हें सप्ताह में एक दिन नॉनवेज दिया जाना चाहिए. लेकिन उन्हे 15 से 20 दिनों में एक बार नॉनवेज दिया जा रहा है. वहीँ दाल पानी की तरह होता है, आलू की सब्जी ही हर रोज खाने में दी जाती है और डॉक्टर द्वारा प्रिसक्राइब्ड किये गए डाइट का भी पालन यहां नहीं होता है.

इतना ही नहीं, कैदियों ने आगे बताया कि, उनके घर से जो पैसे आते है, उन पैसो पर भी 15 से 20% तक की कटौती कर दी जाती है. आपको बता दे कि जेल के अंदर एक कैदी को चार कंबल, मच्छरदानी दिया जाता है. लेकिन कैदीयों को अब तक एक या दो कंबल ही मिला पाया है, वहीं अधिकतर कैदीयों को मच्छरदानी तक नहीं दिया गाया. जेल के अंदर रह रहे कैदियों को अखबार और पत्र पत्रिका भी उपलब्ध कराने का नियम है लेकिन जेल प्रशासन द्वारा उन्हें उपलब्ध नहीं कराया जाता है, और जो कैदी अखबार खरीदना चाहते हैं उनसे अखबार के लिए 8 से 10 रुपए अलग से लिए जाता हैं

बता दे कि रांची जिला प्रशासन द्वारा साल में करीब 5 से 6 बार बिरसा मुंडा जेल में छापेमारी की जाती है लेकिन अब तक ऐसी कोई गड़बड़ी सामने नहीं आई. लेकिन सवाल यह है कि साल में 5-6 बार छापेमारी के दौरान किसी तरह की गड़बडी समाने नहीं आई तो, रांची उपायुक्त के तीन धंटे के औचक निरीक्षण में ऐसी गड़बड़ीयों के खुलासे क्यों हो रहें है, इस मामले के सामने आने के बाद प्रशासन द्वारा पूर्व में की गई छापेमारी और निरीक्षण पर भी कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

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