अभ्यर्थियों का बीपीएससी आंदोलन राजनीतिक रुप ले चुका है. इस आंदोलन के जरिए अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे जन सुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर को जेल भी हो गई और फिर जमानत भी मिल गई. लेकिन अब अपने एक बयान के कारण उनपर बीपीएससी की गाज गिरी है. बिहार लोक सेवा आयोग ने प्रशांत किशोर और उनके कई अन्य साथियों को कानूनी नोटिस भेजा है. आयोग ने 7 दिनों के भीतर उनसे और उनकी टीम के साथियों के द्वारा आयोग पर लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों पर साक्ष्य देने की मांग की है.
इस मामले में आयोग के सचिव सत्य प्रकाश शर्मा ने बताया कि अनशन के दौरान प्रशांत किशोर ने कहा था, ‘बिहार में इस बार जिन पदों के लिए बीपीएससी के एग्जाम हो रहे हैं, उसके लिए बीपीएससी के पदाधिकारियों के दलाल, शिक्षा माफिया और यहां के नेता डील कर रहे हैं. एक पोस्ट के लिए लाखों रुपए लिये जा रहे हैं.’इसी बयान को लेकर बीपीएससी ने जवाब मांगा है.
आयोग ने 7 दिन के भीतर जवाब देने नहीं देने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी है.