झारखंड मुक्ति मोर्चा से नाराज चल रहे चंपाई सोरेन ने अपना नया राजनीतिक दल बनाने का ऐलान कर दिया है. हालांकि अभी उन्होंने अपने नये संगठन के नाम का ऐलान नहीं किया है.
चंपाई सोरेन की नई घोषणा ने उन कयासों पर विराम लगा दिया है जिसमें कहा जा रहा था कि वे भारतीय जनता पार्टी ज्वॉइन कर लेंगे. साथ ही उन्होंने ये भी स्पष्ट किया है कि वे सियासत से संन्यास नहीं ले रहे हैं.
दरअसल, 18 अगस्त को 2 पन्नों के लंबे-चौड़े ट्वीट में चंपाई सोरेन ने कहा था कि मेरे पास 3 विकल्प खुले हैं. पहला राजनीति से संन्यास का. दूसरा नये संगठन का और तीसरा नया सहयोगी ढूंढ़ने का.
अब मंगलवार देर रात सरायकेला स्थित अपने घर लौटे चंपाई सोरेन ने बुधवार को ऐलान कर दिया कि मैं राजनीति से संन्यास लेने नहीं जा रहा हूं. मैंने तीन विकल्प बताये थे. रिटायरमेंट, दोस्त या फिर नया संगठन. मैं रिटायर नहीं हो रहा हूं. मैं पार्टी बनाकर उसे मजबूत करूंगा. इस बीच रास्ते में कोई अच्छा दोस्त मिला जो जल-जंगल और जमीन की बात करेगा.
आदिवासियत की बात करेगा तो उसे भी साथ लेकर आगे बढ़ूंगा. चंपाई सोरेन ने कहा कि अगले 7 दिनों में पूरी तस्वीर साफ हो जायेगी.
कई मीडिया रिपोर्ट्स यह दावा करती है कि चंपाई सोरेन ने ऑफ दर रिकॉर्ड कहा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद पार्टी में जिस प्रकार से उनको अपमानित किया गया, उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता.
इससे पहले भी उन्होंने ट्वीट कर बताया था कि कैसे हेमंत सोरेन के जेल से वापस आने के बाद उनको पहले से प्रस्तावित कार्यक्रमों में शामिल होने से रोक दिया गया. उनको विधायक दल की मीटिंग का एजेंडा नहीं बताया गया जबकि वह मुख्यमंत्री थे. उनसे मीटिंग में अचानक इस्तीफा मांग लिया गया. चंपाई सोरेन ने लिखा था कि उन्होंने 3 जुलाई की उस मीटिंग में ही कह दिया था कि उनके जीवन का नया अध्याय शुरू हो रहा है.
इधर 2-3 दिन पहले चंपाई सोरेन रांची से वाया कोलकाता दिल्ली गये. चर्चा तेज हुई कि बीजेपी ज्वाइन करेंगे. 2 दिन दिल्ली में रहे फिर लौट आये.
सियासी जानकारों का कहना है कि चंपाई सोरेन को कोल्हान के जिन विधायकों पर भरोसा था, उन्होंने आखिर में हेमंत सोरेन का दामन ही थामना श्रेयस्कर समझा. इनमें दशरथ गगराई, रामदास सोरेन, समीर मोहंती जैसे विधायकों का नाम शामिल है. कहा जा रहा है कि चंपाई सोरेन कोल्हान के इन्हीं विधायकों के सहारे बीजेपी से डील सेट करने दिल्ली पहुंचे थे लेकिन, एन वक्त पर विधायक मुकर गये.
स्पष्टीकरण जारी कर दिया कि हम गुरुजी वाले झामुमो में हेमंत सोरेन की छत के नीचे ठीक हैं. बस यहीं बात बिगड़ गई. बिना कुछ विधायकों के चंपाई, बीजेपी को भी रास नहीं आये. उसने भी हाथ खींच लिये.
अब चंपाई सोरेन के पास 3 में से केवल 1 ही विकल्प बचा था कि नया संगठन बनायें. जिसका उन्होंने ऐलान कर दिया है. देखना होगा कि कितना प्रभाव पड़ेगा.