राज्य में अनुबंधकर्मीयों के 2.87 लाख पद खाली, नहीं हो रही बहाली

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सरकार जो भी योजनाएं लाती है उन योजनाओं को एक-एक व्यक्ति तक पहुंचाने का काम अनुबंधकर्मी ही करते है. लेकिन आलम यह है कि अब सरकार को थर्ड-फोर्थ ग्रेड कर्मियों की कमी सताने लगी है. सरकार को अपनी योजनाएं आम आदमी तक पहुंचाने में काफी परेशानियों का सामना कर पड़ रहा है.

बता दे कि ऱाज्य सरकार के सभी विभागों में थर्ड ओर फोर्थ ग्रेड के कर्मियों की कुल स्वीकृत पद करीब 4 लाख 75 हजार हैं, और इन पदो पर अभी 1.87 लाख स्थायी कर्मचारी ही कार्यरत हैं. जबकी 2.87 लाख पद खाली पड़ी हुई है. आपको बता दे कि खाली पदो में से आधे से आधिक अनुबंध, आउटसोर्स या दैनिक वेतन भोगी यानि आसान भाषा में कहे तो (दिहाड़ी मजदूर) कर्मियों के सहारे ही काम चलाया जा रहा है. कई बार अनुबंध या आउटसोर्स कर्मियों के काम पर भी सवाल खड़े होते रहे है. और इसका खामियाजा कई बार सरकार को भुगतना पड़ता है.

मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक झारखंड विधानसभा, राज्य सचिवालय, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, ऊर्जा विभाग से लेकर जिला व प्रखंड कार्यालयों तक में हजारों की संख्या में अनुबंध और आउटसोर्स कर्मी कार्यरत है. इतना ही नहीं राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, मनरेगा, शिक्षा परियोजना, यक्ष्मा विभाग तक में अनुबंध कर्मियों के सहारे ही काम चल रह है. साथ ही होमगार्ड्स, जल सहिया, रसोईया, घंटी आधारित शिक्षक, समावेशी शिक्षा कर्मी ओर 14 वें वित्त कर्मी, आयुष विभाग में बड़ी संख्या में अनुबंध और आउटसोर्स कर्मी काम कर रहे है. वहीं नगर निकाय, डीटीओ कार्यालय, परिवहन विभाग, स्वास्थ्य विभाग और रिम्स से लेकर सदर अस्पताल में लैब टेक्निशियन से लेकर कंप्यूटर ऑपरेटर तक की जिम्मेदारी इन विभागो में आउटसोर्स ओर अनुबंधकर्मी पर ही रहती है. इसके अलावे सहायक पुलिस, तेजस्विनी व पंचायती राज जैसे विभागों में अनुबंध व आउटसोर्स कर्मी ही संभाल रहे है. बता दे कि इन सभी पदों पर कार्यरत अनुबंध और आउटसोर्स कर्मियों को हाईकोर्ट के निर्देश पर नियमित किया जाना है. वहीं झारखंड सरकार राजस्थान और ओडिशा के तर्ज पर राज्य के संविदा कर्मियों को नियमित करने को लेकर संविदा भर्ती-2023 लागू करने पर भी विचार कर रही है.

एक तरफ बेरोजगार युवा सड़को पर नौकरी के लिए त्राहिमाम त्राहिमाम कर रहें है, सरकार से गुहार लगा रहे है. दूसरी और सरकार नियुक्तियां बांट रही है, लेकिन अनुबंध कर्मी का सवाल ही इन सब में लुप्त हो गया है. फिलहाल हेमंत सोरेन सरकार अनुबंध कर्मियों को नियमित करने को लेकर कोई बड़ा कमद उठाती नही दिख रही है. ऐसे में अनुबंध कर्मी अब सरकार से वादा खिलाफ का आरोप लगा रही है. फिलहाल अब देखना यह भी होगा कि जब हेमंत सोरेन सरकार का 4 साल का कार्यकाल पूरा हो रहा है तब खुद सीएम हेमंत क्या अनुबंध कर्मियों के लिए भी कोई ठोस निर्णय लेते हैं.

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