दीपिका पांडेय सिंह को कृषि मंत्री बनाने का फैसला सही था या गलत ?

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मौसम का मिजाज देखकर पता चल रहा है कि झारखंड में किसानों के अच्छे दिन आ गए हैं. किसान जो बारिश के इंतेजार में थे, सूखे से परेशान थे उनके लिए बारिश वरदान साबित हुई है. लेकिन झारखंड के किसानों के साथ मौसम ही नहीं सरकार और विभागीय मंत्री भी सौगातों की बौछार कर रहे हैं. माना जाता है किसान खुश तो देश खुशहाल. राज्य सरकार की तरफ से बीते एक महीने में ही किसानों के ऋण माफी से लेकर कई अन्य लाभकारी योगनाएं लागू की गई है. हेमंत कैबिनेट 3.0 में राज्य के कृषि मंत्रालय में बड़ा बदलाव किया गया. पूर्व मंत्री बादल पत्रलेख को हटाकर महागामा विधायक दीपिका पांडेय सिंह को कृषि मंत्रालय का विभाग सौंपा गया है.

आज बुनियादी सवाल यही है कि तत्कालिन मंत्री बादल पत्रलेख को हटाकर दीपिका पांडेय सिंह को बिल्कुल अंतिम वक्त में कृषि मंत्री बनाने का कांग्रेस का फैसला, आखिर कितना सही फैसला रहा. मंत्रिमंडल के विस्तार हुए लगभग 35 दिन हो चुके हैं ,मंत्रिपद ग्रहण किए 1 महिने में ही दीपिका पांडेय ने राज्य के किसानों के लिए एतिहासिक फैसले लिए हैं .

जिनमें सबसे प्रमुख है झारखंड के किसानों का 2 लाख तक की ऋण माफी. कृषि मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने किसानों के ऋण माफी प्रस्ताव को कैबिनेट से पास करवाया है. विभाग ने ऋण माफ़ी की सीमा को 50,000 रुपये से बढ़ाकर 2,00,000 रुपये कर दिए. बीते 7 अगस्त तक, इस योजना से 4,73,567 किसानों को लाभ भी मिल चुका है, जिसमें कुल 1,917.26 करोड़ रुपये की ऋण माफ़ी की गई है. जानकारी हो कि कांग्रेस के मैनिफैस्टो में 2 लाख तक की ऋण माफी का वादा 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस नेतृत्व द्वारा किया गया था, पर साढ़े चार वर्षें के बादल पत्रलेख के कार्यकाल में 2 लाख तक की ऋण माफि के दिशा कोई ठोस पहल नहीं किया गया.

बहरहाल, कृषि विभाग ने ना सिर्फ 2 लाख तक की ऋण माफी बल्कि किसानों को मिलने वाले स्टाइपन में भी बढ़ोत्तरी करने का फैसला लिया है. किसानों को जो ₹1000 का स्टाइपन दिया जाता है उसे बढ़ाकर ₹2000 प्रति माह करने का फैसला किया है। सीएम से अंतिम मंजूरी मिलने के बाद इसे शुरु भी कर दिया जाएगा.
कर्ज माफी के साथ कैबिनेट से बिरसा- PMFBY योजना के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी गई है. झारखंड में 50 करोड़ रुपये के आवंटन के साथ बिरसा- PMFBY योजना को फिर से लागू किया जा रहा है. इस योजना के तहत जिन किसानों के फसल अप्रत्याशित घटनाओं के कारण खराब हो जाते हैं वैसे किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी.

मंत्री दीपिका पांडेय ने किसानों के साथ-साथ उनके मवेशियों के बारे में भी योजना पर गंभीरता से काम किया है. दूरदराज के क्षेत्रों में मवेशियों की पशु चिकित्सा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, 236 मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयाँ (एम वी यू) लॉन्च के लिए तैयार की गई हैं. जिसमें प्रत्येक इकाई में एक पशु चिकित्सक और एक सहायक होंगे, और राज्य के पशुओं को आवश्यक चिकित्सा सेवाएँ प्रदान करेंगे.
दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए दूध उत्पादकों को दिए जाने वाले समर्थन मूल्य को ₹3 से बढ़ाकर ₹5 प्रति लीटर कर दिया गया है.

झारखंड के किसानों के लिए डिजिटल फसल सर्वेक्षण यानी (DCS) की भी सुविधा शुरू की जाएगी. DCS के तहत फसल की स्थिति पर सटीक और समय पर डेटा प्रदान करेगा, जिससे बेहतर निर्णय लेने और संसाधन आवंटन में सुविधा होगी. इसके लिए प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए मास्टर ट्रेनर की पहचान की गई है और उन्हें प्रशिक्षित किया गया है.

न केवल राज्य के किसान बल्कि अभ्यर्थियों के लिए भी बड़े फैसले लिए जा रहे हैं. विभाग में रिक्त पदों की व्यापक समीक्षा की गई है, झारखंड लोक सेवा आयोग और झारखंड राज्य चयन आयोग के माध्यम से भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई है.

इसके साथ साथ झारखंड में वेटनरी यूनिवर्सिटी की स्थापना की जाएगी.पशु चिकित्सा विज्ञान को बढ़ावा देने और शोध की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए पशु चिकित्सा विज्ञान एवं पशुपालन विश्वविद्यालय की स्थापना को प्राथमिकता दी गई है.

झारखंड़ में किसान, पशु ,वेटनरी स्टुडेंस के लिए विभागीय मंत्री और राज्य सरकार ने एक महिने में ही कई बड़े फैसले लिए हैं बाकी के तीन महिनों में राज्य के किसानों के लिए और भी बड़े फैसले लिए जाने के उम्मीद हैं.
मंत्री दीपिका पांडे सिंह ने कृषि मंत्री का पदभार ग्रहण करने के बाद कहा कि था कि नई सरकार बनने के साथ ही किसानों की समस्या को प्रमुखता से दूर किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि उनसे पहले भी कृषि विभाग से कई योजनाओं को लाया गया है. जिससे किसानों की बदहाली दूर हो रही है. अब उन्होंने पदभार ग्रहण किया है तो जो काम पूर्व से चल रहे है उसे गति देने का काम करेंगे. उनकी प्राथमिकता में है कि किसानों को उनकी फसल का दाम पूरा मिले.

जो भी हो, पर कृषि पशुपालन एवं सहकारिता मंत्रालय में दीपिका पांडेय सिंह के पदभार ग्रहण करने के बाद से ऐसा लगने लगा है कि झारखंड में इस विभाग का कोई अस्तित्व भी है, इससे पहले कृषि विभाग काफी सुस्त पड़ा रहता था ,बमुश्किल इस विभाग की झारखंड में चर्चा भी होती थी. विभाग की सुस्ती ही शायद वो कारण रहा हो कि बादल पत्रलेख को अपनी मंत्री पद भी खोनी पड़ी. अब जब से दीपिका पांडेय ने विभाग का पद संभाला है एक महिने में ही कृषि विभाग राज्य में चर्चा का विषय बन गया है.

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