देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इन दिनों तीन दिवसीय बिहार दौरे पर है। वे 18 अक्टूबर को बिहार आईं. पहले दिन उन्होंने पटना के बापू सभागार में चौथे कृषि रोड मैप का लोकार्पण किया और आज 19 अक्टूबर को वे मोतिहारी केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शिरकत कर रही हैं. 20 अक्टूबर को राष्ट्रपति गया केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल होंगी और वहीं से देर रात दिल्ली वापस लौट जाएंगी.
द्रौपदी मुर्मू से पहले भी कई राष्ट्रपति बिहार आते रहे हैं। देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद बिहार के सीवान जिले से थे. करीब 12 सालों तक राष्ट्रपति रहने के दौरान वे 2 बार सीवान, एक बार चंपारण और एक बार दरभंगा आए.लेकिन राजेंद्र प्रसाद के बाद 46 सालों तक देश के कोई भी राष्ट्रपति बिहार नहीं आए.यह सिलसिला 2003 में राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने तोड़ा जब वे पटना और नालंदा के दौरे पर आए. उनके बाद प्रतिभा पाटिल, प्रणब मुखर्जी और रामनाथ कोविंद भी बिहार दौरे पर आए हैं.
डॉ. राजेंद्र प्रसाद (कार्यकाल – 26 जनवरी 1950 से 13 मई 1962)
साल 1951 में शिकारपुर जाने के दौरान वे अविभाजित चंपारण जिले के मोतिहारी स्टेशन पर थोड़ी देर के लिए रुके थे। इस दौरान उन्होंने कुछ लोगों से मुलाकात भी की थी. 1951 में ही वे दरभंगा में मिथिला शोध संस्थान के उद्घाटन कार्यक्रम में आए थे. इस शोध संस्थान की स्थापना भी उनकी पहल पर ही हुई थी. डॉ प्रसाद तीसरी बार 1952 में अपनी बेटी की शादी के लिए सीवान आए थे और लगभग 10 दिनों तक यहां रुके थे. राष्ट्रपति रहते हुए वे आखिरी बार साल 1957 में बिहार आए थे. उन्होंने 2 दिनों तक अपने गांव जीरादेई में समय बिताया था.
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (कार्यकाल – 25 जुलाई 2002 से 25 जुलाई 2007)
29 मई 2003 को वे पहली बार पटना-गया-नालंदा की यात्रा पर आए थे. इस तीन दिवसीय यात्रा में वे पहले गया में बौद्ध धर्म सम्मेलन में शामिल हुए थे, दूसरे दिन नालंदा में रहे थे और आखिरी दिन पटना के कुछ कार्यक्रमों में शामिल हुए थे.30 दिसंबर 2005 को डॉ. कलाम मिथिला यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह के सिलसिले में दरभंगा आए थे. राष्ट्रपति कलाम की आखिरी बिहार यात्रा 19 जनवरी 2007 को हुई थी, जब वे ग्लोबल मीट में हिस्सा लेने के लिए पटना पहुंचे थे. उन्होंने श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में सरकारी विभागों के अफसरों को संबोधित किया था. हालांकि राष्ट्रपति पद त्यागने के बाद भी वे कई बार नालंदा और पटना की यात्रा पर आए थे.
प्रतिभा पाटिल (कार्यकाल – 25 जुलाई 2007 से 25 जुलाई 2012)
पहली बार वे 15 फरवरी 2011 को मगध यूनिवर्सिटी के खेल कार्यक्रम में शामिल होने और मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना का की शुरुआत करने के लिए बिहार आई थीं। इस दौरान उन्होंने बोधगया के महाबोधि मंदिर में दर्शन भी किया था. वे दूसरी बार 24 मार्च 2011 को बिहार विधान परिषद के शताब्दी समारोह के उद्घाटन समारोह में शामिल होने के लिए पटना आई थीं और यहां दो दिनों तक रही थीं.
प्रणब मुखर्जी (कार्यकाल – 25 जुलाई 2012 से 25 जुलाई 2017)
अक्टूबर 2012 में पहले क़ृषि रोड मैप के उद्घाटन के लिए वे पटना आए थे और मिथिला यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह में भी शामिल हुए थे.26 अक्टूबर 2013 को वे आईआईटी पटना के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए थे.26 अगस्त 2016 को वे नालंदा विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में शामिल होने के लिए आए थे.आखिरी बार प्रणब मुखर्जी 19 मार्च 2017 को तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय बुद्धिस्ट कॉन्फ्रेंस में शामिल होने के लिए राजगीर आए थे.
रामनाथ कोविंद (कार्यकाल – 25 जुलाई 2017 से 25 जुलाई 2022)
पहली बार 10 नवंबर 2017 को तीसरे क़ृषि रोड मैप के उद्घाटन के लिए आए थे. फिर 11 जनवरी 2018 को अंतर्राष्ट्रीय धर्म सम्मेलन का उद्घाटन करने नालंदा आए थे. तीसरी बार 21 अक्टूबर 2021 को वे बिहार विधानसभा भवन के शताब्दी समारोह के उद्घाटन और शताब्दी स्मृति स्तंभ के शिलान्यास के लिए आए थे बिहार आए थे.