Loksabha Election: झारखंड (Jharkhand) में भाजपा को इंडिया गठबंधन (India Alliance) की ओर से लगातार झटका मिल रहा है। अब बीजेपी के एक और वरिष्ठ नेता, गिरिनाथ सिंह, ने पार्टी को त्यागकर राजद को ज्वाइन कर लिया है। मंगलवार को पटना के राजद कार्यालय में भाजपा नेता गिरिनाथ सिंह (Girinath Singh) ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण की। ध्यान रहे कि कुछ दिनों पहले ही उन्होंने लालू यादव से मुलाकात की थी। इसके बाद से ही चर्चा थी कि वे फिर से अपने घर वापस लौट सकते हैं। सूत्रों के अनुसार, पार्टी उन्हें चतरा से प्रत्याशी बना सकती है।
गिरिनाथ सिंह राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक सदस्यों में से एक
गिरिनाथ सिंह राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक सदस्यों में से एक रहे हैं। गिरिनाथ के पिता गोपीनाथ सिंह का जनसंघ से गहरा रिश्ता रहा था। वे जनसंघ के सस्थापकों में से एक थे। गढ़वा विधानसभा से जनसंघ के टिकट पर उनके पिता ने 1962 और 1969 में चुनाव जीतकर विधायक बने थे। भाजपा के अस्तित्व में आने के बाद 1985 और 1990 में वे फिर से विदायक बने।
गोपीनाथ सिंह के निधन के बाद राजनीती में हुई एंट्री
पिता गोपीनाथ सिंह के निधन के बाद वर्ष 1993 के उपचुनाव पहली बार गिरिनाथ सिंह जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने। इसके बाद गिरिनाथ लगातार 1995, 2000 के चुनाव में राजद के प्रत्याशी के रूप में विधायक बने। 1997 में राबड़ी देवी के मंत्रीमंडल में गिरिनाथ पीएचइडी मंत्री भी रह चुके हैं। साल 2005 में हुए विधानसभा
चुनाव में वे चौथीबार विधायक बने। वर्ष 2009 के चुनाव में झाविमो प्रत्याशी सत्येन्द्रनाथ तिवारी ने गिरिनाथ को हरा दिया। इसके बाद उन्हें राजद का झारखंड प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। वर्ष 2014 के चुनाव में सत्येंद्रनाथ तिवारी ने एक बार फिर से उन्हें हरा दिया।
गिरिनाथ सिंह राजनितिक सफर के मुख्या बिंदु
- पिता गोपीनाथ सिंह के निधन के बाद वर्ष 1993 के उपचुनाव पहली बार गिरिनाथ सिंह जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने.
- 1995 के विधानसभा चुनाव में फिर से जनता दल से चुनाव लड़ा। भाजपा प्रत्याशी श्याम नारायण दूबे को हराकर वो दोबारा विधायक बने।
- 1997 में इन्हें पीएचईडी मंत्री बनाया गया।
- साल 2000 के विधानसभा चुनाव के पहले ही जनता दल दो भागों में टूटकर राजद और जदयू के रूप में खण्डित हो गया, वे राजद में रहे।
- साल 2000 के विधानसभा चुनाव में झारखंड राज्य आस्तित्व में आया। गिरिनाथ सिंह ने राजद की टिकट पर चुनाव लड़कर झारखंड की पहले विधानसभा का सदस्य बनने का गौरव हासिल किया।
- इसके बाद वो 2005 के विधानसभा चुनाव में राजद से विधायक चुने गए। इस चुनाव के बाद शिबू सोरेन की अल्पकालीन सरकार में संसदीय कार्य मंत्री बनाए गए।
- साल 2009 और 2014 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
- झारखंड राजद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं.
- गढ़वा से चार बार विधायक रह चुके गिरिनाथ सिंह
- भाजपा नेताओं से संपर्क रखने के खबरों और उसका खंडन नहीं करने पर राजद ने उन्हें पार्टी से छह साल के लिए निलंबित कर दिया था
- गिरिनाथ सिंह राष्ट्रीय जनता दल के संस्थापक सदस्यों में से एक थे।
- 25 मार्च को राजद से इस्तीफा दे दिया था। गिरिनाथ से पहले 25 मार्च को अन्नपूर्णा देवी और जनार्दन पासवान भाजपा में शामिल हो चुके हैं।
- गिरिनाथ के पिता गोपीनाथ सिंह जनसंघ के सस्थापकों में से एक थे।
- गढ़वा विधानसभा से जनसंघ के टिकट पर उनके पिता ने 1962 और 1969 में चुनाव जीतकर विधायक बने थे
- गोपीनाथ सिंह भाजपा के अस्तित्व में आने के बाद 1985 और 1990 में वे फिर से विदायक बने।
- इसके बाद गिरिनाथ लगातार 1995, 2000 के चुनाव में राजद के प्रत्याशी के रूप में विधायक बने।
- 1997 में राबड़ी देवी के मंत्रीमंडल में गिरिनाथ पीएचइडी मंत्री भी रह चुके हैं।
साल 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में वे चौथीबार विधायक बने।
2009 के चुनाव में झाविमो प्रत्याशी सत्येन्द्रनाथ तिवारी ने गिरिनाथ को हरा दिया।
- इसके बाद उन्हें राजद का झारखंड प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया।
- वर्ष 2014 के चुनाव में सत्येंद्रनाथ तिवारी ने एक बार फिर से उन्हें हरा दिया।
- 2014 के विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।