झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ये कहते नहीं थकते हैं कि राज्य का स्वास्थय व्यवस्था अच्छा चल रहा है. विभाग ने फंलाना फंलाना काम किया है. लेकिन इस तस्वीर को झुठलाया नहीं जा सकता है.इस तस्वीर में आपको झारखंड स्वास्थ्य विभाग का असली चेहरा दिख जाएगा. ये भी दिख जाएगा की कैसे आगे बढ़ने के चक्कर में हम पीछे छूटे लोगों को भूल जा रहे हैं.
ये तस्वीर झारखंड के लातेहार जिले के माल्हन पंचायत की है. दरअसल बुधवार को गांव के दीपक गंझू की गर्भवती पत्नी की अचानक तबीयत बिगड़ गई. ऐसे में परिजनों को अस्पताल पहुंचने के लिए खटिये का सहारा लेना पड़ा. तस्वीर को ध्यान से देखिए तब हम समझ पाएंगे कि इन लोगों की जिन्दगी कितनी कठिन है. एक खटिया है. खटिया पर गर्भवति महिला लेटी है. कोई पीछे से छाता लिया हुआ की बरसात का दिन है. आगे से दो पुरुषों ने खटिया पकड़ा हुआ है वहीं पिछे से दो महिलाएं खटिया को पकड़े दिख रही हैं.
एंबुलेंस नहीं क्योंकि सड़क नहीं
अब सवाल उठता है कि सरकार की एंबुलेंस कहां है. तब पता चलता है कि सवाल ही गलत है. एंबुलेंस तो तब आएगी जब सड़क होगा. इस तस्वीर में आप देख पा रहे होगें की सड़क का तो नामो निशान नहीं हैं. ऐसा प्रतित हो रहा हा कि जब से झारखंड का निर्माण हुआ है तब से अब तक इस इलाके में विकास पहुंचा ही नहीं है. अब सड़क नहीं होने के कारण 3 किलोमिटर तक इसी खाट के सहारे गर्भवती महिला को लाया गया जिसके बाद सड़क मिली. तब जाकर एंबुलेंस के मदद से महिला को समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचाया गया. इलाज चल रहा है. लेकिन झारखंड का स्वास्थय व्यवस्था कब सुधरेगा.
वैसे ये पहला मामला नहीं था जब किसी बीमार को खटिये के मदद से अस्पताल तक ले जाया जा रहा था. इससे पहले भी कई बार हमने देखा है कि मरीजों को खटिये के मदद से इलाज के लिए ले जाया जा रहा है. और जिस तरीके से राज्य में विकास हो रहा है उससे तो यही लगता है कि ये मामला आखिरी भी नहीं होगा.