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Jharkhand: लोकसभा चुनाव जीतने वाली पहली महिला सांसद, जिन्होंने अपने पूरे जीवन में कभी भी चुनाव नहीं हारा

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Loksabha Election Special: यह लेख समर्पित है उन दो महिला नेत्रियों के नाम जिन्होंने पॉलिटिक्स में रिकॉर्ड बनाया. एक ने कभी चुनाव नहीं हरा तो दूसरी उस लोकसभा क्षेत्र से चार दफा सांसद चुनी गयी जहाँ से आज तक कोई चार बार सांसद नहीं बना.

पलामू लोकसभा सीट (Palamu Loksabha) से चुनाव जीतने वाली पहली महिला सांसद शशांक मंजरी देवी (Shashank Manjari Devi) के नाम एक रिकॉर्ड है कि वह अपने पूरे जीवन में कभी भी चुनाव नहीं हारीं. वह स्वतंत्र पार्टी के सदस्य के रूप में 1962 में हुए आम चुनाव में पलामू से लोकसभा के लिए चुनी गईं. वह रामगढ़ राज के पूर्व शाही परिवार (नारायण राज परिवार) से थीं.

संयुक्त बिहार (वर्तमान झारखंड) के पोराहाट के महाराजा अर्जुन सिंह की पोती थीं. उनका विवाह रामगढ़ राज के महाराजा लक्ष्मी नारायण सिंह बहादुर से हुआ था. वह जरीडीह विधानसभा व डुमरी विधानसभा से तीन बार विधायक भी रहीं। 1969 के दौरान शशांक मंजरी बिहार की सिंचाई मंत्री भी रहीं। 29 जनवरी 1987 को उनका निधन हो गया था.

बिहार में 1962 तक उनकी पार्टी के सात सांसद हो गए और 50 विधायक के साथ राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता बने. 1967-68 में बिहार में जब पहली बार गैर कांग्रेसी दलों की सरकार बनी, तो राजा रामगढ़ की पार्टी की अहम भूमिका थी. उनके परिवार के ही भाई कुंवर बंसत नारायण सिंह, माताश्री शशांक मंजरी देवी, धर्मपत्नी ललिता राजलक्ष्मी, पुत्र टिकैट इंद्र जितेंद्र नारायण सिंह कई बार सांसद और विधायक बने। वहीं राजा बहादुर कामाख्या नारायण सिंह, कुंवर बसंत नारायण सिंह, ललिता राजलक्ष्मी बिहार सरकार में मंत्री बने। उनके सहयोग से चुनाव जीते कैलाशपति सिंह (हजारीबाग) और गोपीनाथ सिंह (रंका-पलामू) बिहार सरकार में मंत्री बन गए थे. पुराने हजारीबाग जिले यानी चतरा, हजारीबाग, कोडरमा, गिरिडीह, रामगढ़ और बोकारो में जिस किसी को इस राजपरिवार का समर्थन मिला, वह चुनाव जीतने में सफल रहा.

पलामू लोकसभा सीट से सर्वाधिक चार बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड कमला कुमारी के नाम है.

अब चलते हैं अपने कहानी के दूसरी किरदार की तरफ. किरदार का नाम है कमला कुमारी. पलामू लोकसभा सीट से सर्वाधिक चार बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड कमला कुमारी के नाम है. साल 1967 में चौथी लोकसभा के लिए हुए आम चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की. दरअसल, उसी साल पलामू सीट को अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए सुरक्षित घोषित किया गया था.

उस समय कांग्रेस ने कमला कुमारी को प्रत्याशी बनाया था. वह 1967 के चुनाव में जीतीं। फिर साल 1972 में पांचवी लोकसभा के लिए हुए चुनाव में उन्हें जनता का जनादेश मिला। लेकिन 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर में उन्हें कांग्रेस फाॅर डेमोक्रेसी के उम्मीदवार रामदेनी राम ने हरा दिया.

उसके बाद जब 1980 में मध्यावधि चुनाव हुआ, इस बार कमला कुमारी ने रामदेनी राम को 45 हजार मतों से शिकस्त दी और फिर से सांसद बनीं. इंदिरा गांधी की हत्या के बाद साल 1984 में हुए आम चुनाव में कमला कुमारी ने जनता पार्टी के प्रत्याशी सह बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री रामसुंदर दास को एक लाख 85 हजार मतों के भारी अंतर से हराया.

पलामू लोकसभा से निर्वाचित कमला कुमारी को उनके चौथे कार्यकाल में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी सरकार में कृषि और ग्रामीण पुनर्निर्माण विभाग में केंद्रीय उप मंत्री बनाया गया था. वह 15 जनवरी, 1982 से 29 जनवरी, 1983 तक केंद्रीय उप मंत्री रहीं. वरिष्ठ कांग्रेसी हृदयानंद मिश्रा बताते हैं कि सांसद कमला कुमारी का पलामू टाइगर रिजर्व को अधिसूचित कराने व रेहला में बिहार कास्टिक एंड केमिकल्स फैक्ट्री स्थापित कराने में विशेष भूमिका थी.

 

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