Ranchi : क्या झारखंड में भाजपा जयराम महतो से संपर्क करना चाहती है? क्या बीजेपी इस चुनाव में आजसू का साथ नहीं चाहती? अब आप सोचेंगे कि जब हाल ही में बीजेपी के चुनाव प्रभारी हिमांता बिस्वा सरमा ने कहा था कि वे आजसू के साथ चुनावी मैदान में जायेगी तो फिर ये जयराम से संपर्क का क्या नया चक्कर है? आखिर ऐसा क्या हो गया? चलिए!
मीडिया रिर्पोट्स के मुताबिक झारखंड विधानसभा चुनाव के लिए एनडीए के घटक दलों के बीच सीट शेयरिंग पर बात नहीं बन पा रही है. हालांकि अभी तक सीट शेयरिंग को लेकर कोई फैसला नहीं आया है लेकिन भाजपा अमूमन इसी महीने अपने 20-21 सीटों पर पहली लिस्ट जारी कर सकती है.
बहरहाल, मुद्दे पर आते है. खबर है कि इस बार एनडीए में 8-12 सीटों पर जीच जारी है, बता दें कि आजसू 14 सीटों पर दावा ठोक रही है जबकि भाजपा सात से आठ सीट ही आजसू को देना चाह रही है. जिन सीटों पर पेंच फंस रहा है वो सीटें हैं चंदनकियारी,जुगसलाई, ईचागढ़ और लोहरदगा.
मीडिया रिर्पोट्स की माने तो भाजपा और आजसू के बीच कई बार सीट शेयरिंग को लेकर भी बात हुई है लेकिन अब तक बात नहीं बन पा रही है.और यही वजह हो सकती है कि भाजपा के नेता जयराम महतो को संपर्क कर रहे है.क्योंकि हाल ही हुए लोकसभा चुनाव में जयराम महतो की पार्टी का जिस तरह से प्रदर्शन रहा उसी देख रह कोई हैरान रह गया था.
वहीं भाजपा नेताओं का कहना है कि अगर आजसू की जगह जयराम महतो को एनडीए में शामिल कर लिया जाए तो इसका फायदा हो सकता है. क्योंकि आजसू लोगों के लिए देखी जानी और उम्मीदों पर तौली हुई पार्टी है. जबकि जयराम महतो की पार्टी के साथ ऐसा कुछ नहीं है.
नया चेहरा नई पार्टी और उनसे जुड़े लोगों की उम्मीद को भी अभी तक तौला नहीं गया है. और इसी का फायदा भाजपा उठाना चाह रही है. भाजपा का कहना है कि अगर जयराम भाजपा के साथ आते है तो वो कम सीटों पर भी चुनाव लड़ने को राजी हो जाए, क्योंकि भाजपा और आजसू के बीच सीटों को लेकर खींचतान चल रहा है.
लेकिन सवाल यह है कि अगर जयराम महतो भाजपा के साथ जाते है तो क्या सच में कम सीटों पर जयराम राजी हो जाएंगे. क्योंकि जयराम महतो ने खुद ऐलान किया है कि उनकी पार्टी विधानसभा चुनाव में 55 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली है.
आपको बता दें कि इससे पहले भी जयराम महतो को लेकर खबरे सामने आई थी कि जयराम महतो को भाजपा के नेताओं ने बड़ा ऑफर दिया है. बहरहाल झारखंड कि राजनीति में कुछ कहा नहीं जा सकता क्योंकि यहां कयासो और संभावनाओं को बदलते देर नहीं लगती है.
हालांकि ये सब तो भविष्य के गर्त में ही छिपा हुआ है कि जयराम भाजपा के साथ जाते है या फिर अकेले ही चुनाव लड़ते है.