झारखंड में जैसे जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं. राजनीतिक पार्टियों के अंदर अब बहुत से फेर बदल भी होते दिख रहे है. इसी बीच झारखंड के एकलौते एनसीपी विधायक कमलेश सिंह ने भी राज्य सरकार के प्रति तीखा रुख अपनाया है. कमलेश सिंह ने गठबंधन से समर्थन वापस लेने की बात तक कह दी है.
दरअसल बीते कल यानी 9 अक्टूबर को रांची प्रेस क्लब में कमलेश सिंह पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे.इसी दौरान विधायक कमलेश सिंह ने राज्य सरकार को अपनी मांग पर चेतावनी देते हुए कहा कि यदि हुसैनाबाद 31 अक्टूबर तक जिला घोषित नहीं हुआ तो वह 31 अक्टूबर के बाद सरकार से समर्थन वापस ले लेंगे.
प्रेस कांफ्रेंस में विधायक सिंह ने बताया कि हुसैनाबाद को जिला घोषित करने की मांग को लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पहले भी पत्र लिख चुके हैं. विधायक ने कहा कि 2019 विधानसभा चुनाव के बाद उन्होंने मुद्दों पर आधारित समर्थन दिया था.लेकिन सरकार ने कोई वादे पूरे नहीं किए. ऐसे में यूपीए या इंडिया गठबंधन में बने रहने का कोई औचित्य नहीं है.
बता दें विधायक कमलेश सिंह पर एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने झारखंड विधानसभा में उनके खिलाफ दल बदल की याचिका दाखिल की है. विधायक कमलेश सिंह पर आरोप है कि उन्होंने शरद पवार की पार्टी छोड़कर अजीत पवार के गुट में शामिल हो गए. कमलेश सिंह के खिलाफ दल-बदल मामले में झारखंड विधानसभा अध्यक्ष को शिकायत की गई है। इसपर 12 अक्टूबर को पहली सुनवाई होगी. इस पर विधायक ने कहा कि उनके खिलाफ झारखंड में दसवीं अनुसूची के तहत अयोग्यता का मामला नहीं बनता. वे राज्य में अकेले एनसीपी के विधायक हैं. अजीत पवार को महाराष्ट्र, नार्थ ईस्ट व झारखंड मिलाकर कुल 50 विधायकों का समर्थन है. ऐसे में असली एनसीपी वही है.
इसके अलावा विधायक ने राज्य में बालू माफियाओं पर भी निशाना साधा, राज्य में बालू के कालाबाजरी पर कमलेश सिंह ने राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप भी लगाए हैं. कमलेश सिंह ने कहा कि राज्य के मुखिया दो साल में बालू की निलामी पर कोई ठोस निर्णय नहीं ले सके, आलम यह है कि डेवलपमेंट का कोई काम नहीं हो रहा है. एक तो पलामू सहित पूरे राज्य में सुखाड़ की स्थिति है.खेती हुई नहीं. लोग जो मजदूरी कर कम से कम अपना पेट भरते वो भी नहीं हो रहा है. बालू की वैध निलामी नहीं होने की वजह से कंस्ट्रक्शन वर्क रूका हुआ है. स्टॉक से जो बालू मिल रहा है वो भी औने-पौने दाम पर उपलब्ध है. पलामू सहित पूरे राज्य में बालू की कालाबाजारी हो रही है. बालू पर सरकार की ओर से निर्णय नहीं लिया जाना बताता है कि सरकार के मुखिया बालू की कालाबाजारी करा अपनी जेब भर रहे हैं.
विधायक नेबताया कि उन्होंने बालू के इस राज्यव्यापी समस्या को विधानसभा पटल पर 3 मार्च 2020, 02 मार्च 2021 और 2 अगस्त 2022 को उठाया था. सीएम को पत्र भी लिख कर समाधान कराने का अनुरोध किया जा चुका है. सुनवाई नहीं होने की स्थिति में हुसैनाबाद में विशाल आंदोलन किसानों, ट्रैक्टर मालिकों और आम लोगों ने किया था. इसके बाद भी सरकार मूक दर्शक बनी है.
इतना ही नहीं कमलेश सिंह ने प्रेस कांफ्रेस में राज्य सरकार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर आरोपों का झड़ी लगा दी. राज्य में बेरोजगारी, सुखाड़, काला बाजारी ,भ्रष्टाचार के कई आरोप लगाए साथ ही चोतावनी भी दी कि अगर राज्य की विधि व्यवस्था पर सुधार नहीं हुआ तो राज्य की जनता कांग्रेस-जेएमएम को चुनाव में सबक सिखाने का काम करेगी.
वहीं, विधायक कमलेश सिंह के हुसैनाबाद को जिला बनाने की मांग को लेकर सरकार से समर्थन वापसी की चेतावनी पर झामुमो ने भी जवाब दिया है. हिंदुस्तान अखबार की खबर के अनुसार झामुमो के महासचिव और मुख्य प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने इस मामले पर कहा कि उनसे यानी कमलेश सिंह से समर्थन मांग कौन रहा है. सरकार को उनके समर्थन की जरूरत भी नहीं है. सुप्रीयो ने यह भी बताया कि कमलेश सिंह तीन दिन पहले ही एनडीए में शामिल हो चुके हैं. इसके बावजूद जिस ढंग से वह बयान दे रहे हैं. इससे उनके मानसिक संतुलन पर प्रश्न खड़ा होता है.
अब 31 अक्टूबर के बाद ही पता चल पाएगा कि कमलेश सिंह का अगला कदम क्या होगा.