झारखंड में कैसे हुआ वाम दल का पतन

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2024 के आम चुनाव में एनडीए गठबंधन से लोहा लेने के लिए विपक्षी दलों ने मिलकर इंडिया गठबंधन तैयार किया. मगर चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ऐसा लग रहा है कि यह महागठबंधन बिखर जाएगी. क्योंकि कुछ दिन पहले पश्चिम बंगाल की तृणमूल कांग्रेस यानी टीएमसी ने कांग्रेस का हाथ छोड़ बंगाल के सभी 42 लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारने का एलान कर दिया है तो वहीं दुसरी ओर झारखंड में भी इंडिया एलांयस के एक घटक दल ने अलग से चुनाव लड़ने का एलान किया है.

बता दें कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने यह ऐलान किया है कि वह झारखंड के 14 लोकसभा सीटों में 8 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेगी. साथ ही अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा 16 मार्च के बाद करेंगी. भाकपा का कहना है कि कांग्रेस पार्टी उम्मीदवार के चयन में देरी कर भारतीय जनता पार्टी को मजबूत करने में लगी है. इसलिए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी पूरे दमखम के साथ रांची, हजारीबाग, कोडरमा, चतरा, पलामू, गिरिडीह, दुमका और जमशेदपुर लोकसभा पर खुद चुनाव लड़ेगी.

चुनाव संचालन के लिए विभिन्न समितियां बनाई गई हैं साथ ही कार्यकारिणी नेताओं को कई जिम्मेवारी भी दी गयी है. वहीं भाकपा के अंदरखाने से ये खबर आ रही थी कि भाकपा पहले से ही 8 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही थी. झारखंड में अलग राज्य बनने के बाद साल 2004 में हुए पहले आम चुनावों में सीपीआई ने 11 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारा लेकिन जीत केवल एक सीट पर ही हुई.

साल 2004 में हजारीबाग से सीपीआई उम्मीदवार भुनेश्वर प्रसाद मेहता ने भापजा के दिग्गज नेता यसवंत सिन्हा को मात दी थी. इससे पहले इसी सीट पर एकिकृत बिहार झारखंड के समय हुए आम चुनाव में भुनेश्वर प्रसाद ने जीत दर्ज किया था.

हालांकि साल 2009, 2014 और 2019 के चुनाव में भाकपा को हजारीबाग से हार का समाना करना पड़ा. इतना ही नहीं झारखंड में हुए चार बार के आम चुनाव में 14 सीटों में अब तक वाम दलों का खाता खुल हीं नहीं.

हिन्दुसतान में छपी एक रिर्पोटस् के मुताबिक 2009 के चुनाव के बाद से वाम दल का वोटिंग ग्राफ गिरता ही चला गया है. साल 1999 के आम चुनाव में वाम दल का वोटिंग शेयर 31.3 फीसदी था, लेकिन साल 2019 के चुनाव के बाद वोटिंग शेयर गिरकर 1.5 फीसदी हो गया. मतलब 20 सालों में वाम दल का वोटिंग शेयर 29.8 प्रतिशत तक गिर गया.

आगे यह देखना बेदह दिलचस्प होगा कि क्या 18वीं लोकसभा चुनाव में वाम दल का एक खेमा झारखंड के 8 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की बात कर रही है क्या भाकपा इस चुनाव में वाम दल के गिरते वोटिंग ग्राफ को बेहतर कर पाएगी. क्या चार बार के लोकसभा चुनाव में वाम दल अपना खोया हुआ वर्चस्व हासिल कर पाएगी. यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा.

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