पूर्व सीएम रघुवर दास ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को लिखा पत्र, कहा…

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मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पीएम मोदी को पत्र लिखने के बाद झारखंड की राजनीति में एक नया मुद्दा उठ गया है. अब सीएम सोरेन को पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पत्र लिखा है. दरअसल बीते कल झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने पीएम मोदी को सरना धर्म कोड लागू करने पर सकारात्मक निर्णय लेने को लेकर पत्र लिखा था. इस पत्र को लेकर भी अब झारखंड में विपक्षी पार्टी भाजपा सीएम सोरन पर हमलावर हो गई है. अब झारखंड के पूर्व सीएम रघुवर दास ने वर्तमान मुख्यमंत्री को खत लिख कर कहा है कि सरना धर्म कोड के नाम पर आदिवासियों को गुमराह न करें, आपके हाथ में जो है उसे करें लागू.

इस पत्र की कॉपी रघुवर दास ने अपने ट्वीटर हैंडल में शेयर की है. हेमंत सोरेन को टैग करते हुए रघुवर दास ने ट्वीट किया कि
झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर स्थापित रीति रिवाज, पारंपरिक वेशभूषा और परंपराओं को माननेवाले अनुसूचित जनजाति समाज के लोगों को ही ST जाति प्रमाण पत्र निर्गत करने का अनुरोध किया. केरल हाईकोर्ट के निर्णय के आलोक में माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन से कार्मिक विभाग को इस संबंध में पत्र जारी करने संबंधी निर्देश देने का आग्रह किया है.

रघुवर दास ने सीएम सोरेन को भेजे खत में लिखा कि -आप अनुसूचित जनजाति समाज से आते हैं. जनजातीय समाज ने बड़े भरोसे के साथ आपको मुख्यमंत्री के पद पर बैठाया था, लेकिन अब वो छला महसूस कर रहे हैं. जनजातीय समाज आप से अपेक्षा करता है कि उसके साथ न्याय हो, लेकिन अफसोस के साथ कहना पड़ रहा है कि मुख्यमंत्री बनने के साथ सबसे अधिक विश्वासघात आपने जनजातीय समाज के साथ ही किया है. ये बात किसी से छिपी नहीं है कि जनजातीय समाज को आज झारखंड में किस खराब दौर से गुजर रहा है. झारखंड में जनजातीय समाज की परंपरा और पहचान आपकी सरकार की वजह से संकट में आ गयी है. पर्दे के पीछे से आपकी सरकार चलानेवाले चाहते हैं कि यहां का अनुसूचित जनजाति समाज मांदर की जगह गिटार पकड़ ले.

अनुसूचित जनजाति समाज की सालों पुरानी मांग है कि स्थापित रीति रिवाज, पारंपरिक वेशभूषा और परंपराओं को माननेवालो को ही एसटी जाति प्रमाण पत्र निर्गत किया जाये. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से उन्होंने आग्रह किया है कि कार्मिक विभाग से अविलंब निर्देश जारी करायें कि जो व्यक्ति जनजाति समाज के रिति रिजाव नहीं मानते हों, उनका जाति प्रमाण पत्र निर्गत न किया जाये.

रघुवर दास ने पत्र में केरल हाईकोर्ट के मामले का जिक्र किया है. बता दें कि 1997 में केरल राज्य एवं एक अन्य बनाम चन्द्रमोहनन मामले में केरल हाईकोर्ट ने स्पष्ट फैसला सुनाया था कि अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र निर्गत करने का क्या-क्या आधार होना चाहिए. लेकिन झारखंड सरकार फिलहाल इस मामसे पर कोई निर्णय लिया है.

रघुवर दास ने पत्र में केरल हाईकोर्ट के निर्णय की जानकारी देते हुए बताया कि कोर्ट ने कहा है कि

आवेदक के माता एवं पिता दोनों ही अनुसूचित जनजाति के सदस्य होने चाहिए. उनके माता-पिता का विवाह संबंधित जनजाति के रूढ़ियों एवं परंपरा के अनुसार किया गया होना चाहिए.उनका विवाह जनजाति समाज द्वारा किया गया हो एवं उसे समाज के द्वारा मान्यता दी गई हो.आवेदक एवं उसके माता-पिता के द्वारा जातिगत रूढ़ियों, परंपराओं एवं अनुष्ठान का पालन किया जा रहा है। आवेदक एवं उसके माता-पिता के द्वारा अपने पूर्वजों की विरासत एवं उत्तराधिकार के नियमों का पालन किया जा रहा है या नहीं. इन सब मामलों की जांच के बाद ही जाति प्रमाण पत्र निर्गत किया जाना चाहिए.

फिलहाल रघुवर दास के इस पत्र का जवाब सीएम सोरेन ने नहीं दिया है, अब आगे देखना होगा कि इस पत्र के बाद सरकार क्या एक्शन लेती है.

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