इंडिया गठबंधन की बैठक में नहीं शामिल हुए सीएम हेमंत सोरेन,क्या झामुमो गठबंधन से हो जाएगा अलग ?

, ,

Share:

देश भर में 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियां जोरों पर है. चुनावी तैयारियों को लेकर बीते कल यानी 19 दिसंबर को दिल्ली में  इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक हुई. बैठक में गठबंधन की पार्टियों का सीट शेयरिंग का मुद्दा सबसे बड़ा रहा. हालांकि इस पर बैठक में कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है लेकिन बताया जा रहा है कि इस साल के आखिर में यानी 31 दिसंबर को सीटों के बंटवारे को लेकर अंतिम फैसला लिया जाएगा.

जहां एक ओर गठबंधन की सभी पार्टियों के मुखिया इस बैठक में शामिल हुए वहीं झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन इस बैठक में शामिल नहीं हुए, हालांकि उनके जगह पर उनके प्रतिनिधि के तौर पर झामुमो के महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य, राज्यसभा सदस्य महुआ माजी और राजमहल से झामुमो सांसद विजय हांसदा शामिल हुए.

रिपोर्ट्स की मानें तो इस बैठक में झामुमो ने 8 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की दावेदारी पेश की है. झारखंड मुक्ति मोर्चा ने मजबूती से अपना पक्ष रखते हुए कहा कि जिस प्रांत में जो क्षेत्रीय दल मजबूत हैं, वहां उसको पूरी तरह जिम्मा दिया जाए। झारखंड में झामुमो इंडिया की अगुवाई कर रहा है। ऐसे में उसे सीटों के बंटवारे में ज्यादा महत्व दिए जाने की पूरी संभावना है। हालांकि सीएम सोरेन के इस बैठक में शामिल नहीं होने पर राजनीतिक विश्लेशकों का मानना है कि झारखंड मुक्ति मोर्चा 8 नहीं बल्कि झारखंड के सभी 14 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी में है.राजनीतिक  विशेषज्ञों का कहना है कि सीएम सोरेन ने जिन व्यस्तताओं का हवाला देकर बैठक में शामिल नहीं हुए , वो कार्यक्रम इतने जरुरी भी नहीं थे. कार्यक्रम को एक दिन के लिए टाला जा सकता था. लेकिन सीएम ने बैठक में जाने की कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई.

तीन राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद झामुमो झारखंड में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने पर एक बार और विचार कर सकती है. हालांकि फिलहाल विशेषकों ने इस बात का अनुमान मात्र लगाया है, इस बात की अब तक आधिकारिक तौर से पुष्टि नहीं की गई है. सीटों की दावेदारी को लेकर झामुमो पार्टी के महासचिव विनोद पांडेय ने इतना ही कहा कि झामुमो राज्य में बड़े भाई की भूमिका में है. जाहिर है बड़े भाई की भूमिका में है, तो सीट पर दावेदारी बनेगी ही. पर सहयोगी दलों से बात करके ही पार्टी निर्णय लेगी.

बता दें झारखंड में लोकसभा की कुल 14 सीटें हैं. जिसमें रांची,लोहरदगा,चतरा,गोड्डा, खूंटी, कोडरमा,हजारीबाग, दुमका,राजमहल, पलामू, धनबाद ,गिरिडीह,जमशेदपुर, सिंहभूम शामिल है. अब इन 14सीटों में से गठबंधन की पार्टियां अधिक से अधिक सीटों पर अपनी दावेदारी पेश कर रही है. अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार झारखंड में गठबंधन की तीन पार्टियों झामुमो कांग्रेस और राजद क्रमश 8, 9 और 4 सीटों पर अपनी दावेदारी पेश करने की तैयारी में है. और इन पार्टियों को 14 सीटों पर कितनी सीटें मिल पाएगी यह तो बैठक के बाद ही पता चल पाएगा. हालांकि फिलहाल सभी पार्टियां अपने पाले में अधिक से अधिक सीट लाने की जद्दोजहद कर रही हैं.

बता दें कि साल 2019 के चुनाव में झामुमो को लोकसभा की चार सीट ही मिली थी. दुमका, राजमहल, गिरिडीह, और जमशेदपुर . जिसमें से झामुमो को केवल एक सीट राजमहल में जीत हासिल हुई थी. राजमहल सीट पर झामुमो के विजय हांसदा ने कब्जा किया था.

वहीं दुमका से पूर्व सीएम शिबू सोरेन को भाजपा के सुनील सोरेन ने 47590 वोटों से शिकस्त दे दी थी। गिरिडीह लोस सीट से आजसु के चंद्र प्रकाश चौधरी ने झामुमो के जगन्नाथ महतो को 2,48,347 मतों से मात दी थी। जमशेदपुर लेकसभा सीट पर भाजपा के विद्युतवरण महतो ने झामुमो के चंपई सोरेन को हराया था. 2019 में कांग्रेस ने सात सीटों पर प्रत्याशी खड़ा किया था.जिसमें से कांग्रेस की झोली में भी सिर्फ एक सीट ही गई थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में सिंहभूम लोकसभा सीट से कांग्रेस की गीता कोड़ा ने जीत हासिल की थी.

कांग्रेस की प्रत्याशी गीता कोड़ा ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी लक्ष्मण गिलुवा को  हराया था.

लेकिन रिपोर्ट की माने तो आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में झामुमो सिंहभूम सीट पर दावेदारी पेश कर सकती है. झारखंड मुक्ति मोर्चा की जिला समिति ने यह प्रस्ताव पारित किया है कि सिंहभूम सीट पर उसका प्रत्याशी होना चाहिए। इसके पीछे जिले की सभी विधानसभा सीटों में एक को छोड़कर सभी सीटों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा का विधायक होने का तर्क दिया जा रहा है.

बता दें सिंहभूम लोकसभा सीट के अंतर्गत 6 विधानसभा सीट आती हैं. सरायकेला, जमशेदपुर, चाईबासा, मनोहरपुर, जगरनाथपुर, मझगांव और चक्रधरपुर. जिसमें सिर्फ जगन्नाथपुर की सीट कांग्रेस की झोली में गई और बाकी बची पांच विधानसभा सीटों पर झामुमो का कब्जा रहा. इन्हीं पांच सीटों का हवाला देते हुए झामुमो 2024 में सिंहभूम सीट पर अपनी दावेदारी मजबूत बताती है.

हालांकि सिंहभूम लोकसभा सीट की इतिहास पर नजर डालें तो 1957 से 2019 तक के 16 बार हुए चुनाव में झामुमो को सिर्फ एक बार जीत मिली. वहीं कांग्रेस ने सिंहभूम से अबतक 5 बार जीत हासिल की है. 1957 से 1971 में सिंहभूम में झारखंड पार्टी का बोलबाला रहा. 1977 से 1989 तक कांग्रेस ने कब्जा किया. साल 1991 में ही सिंहभूम में पहली बार झारखंड मुक्ति मोर्चा के कृष्णा मरांडी ने अपना कब्जा जमाया था. 1991 के बाद अब तक सिंहभूम की सीट पर झामुमो ने वापसी नहीं की है.

वहीं बात कांग्रेस की करें तो झारखंड में 2024 के लोकसभा चुनाम में कांग्रेस ने सात के बजाय नौ सीटों पर प्रत्याशी उतारने का फैसला किया है। कांग्रेस ने जिन नौ सीटों पर लड़ना तय किया है, उनमें सिंहभूम, खूंटी, चतरा, धनबाद, रांची, लोहरदगा, हजारीबाग, गोड्डा और कोडरमा शामिल हैं।

वहीं झारखंड में महागठबंधन में शामिल तीसरी पार्टी आरजेडी ने भी 2024 में अधिक सीटों पर दावेदारी पेश करने की तैयारी में है. राजद ने 2024 में पलामू, चतरा, कोडरमा व गोड्डा पर भी तैयारी पूरी कर ली है.

  • पलामू में वर्तमान में भाजपा से विष्णु दयाल राम सांसद हैं. पलामू में 6 विधानसभा की सीटों हैं जिसमें 4 पर बीजेपी का ही कब्जा है. बाकी दो पर एनसीपी और जेएमएम के विधायक हैं.
  • कोडरमा में भी वर्तमान में भाजपा से अन्नपूर्णा देवी सांसद हैं, और कोडरमा की 6 विधानसभा सीटों पर भी दो बीजेपी,2 जेएमएम ,1 निर्दलीय और 1 सीपीआईएम के विधायक हैं.
  • चतरा सीट की बात करें तो चतरा में आरजेडी से एक विधायक हैं.हालांकि  2019 में चतरा सीट भी भाजपा की ही झोली में गई थी और सुनील सिंह यहां से सांसद बने था. चतरा की पांच विधानसभा सीट पर 2 बीजेपी,1 आजेडी,1 कांग्रेस और एक जेएमएम के विधायक हैं.
  • वहीं गोड्डा सीट पर राजद अपना दावा ठोकने की तैयारी में है लेकिन गोड्डा में लंबे समय से बीजेपी का बोलबाला रहा है. 1962 से 2019 तक में 8 बार भाजपा और 6 बार कांग्रेस ने गोड्डा सीट पर कब्जा किया है. फिलहाल भाजपा से डॉ निशिकांत दुबे गोड्डा से सांसद हैं. वहीं गोड्डा के 6 लोकसभा सीट में 2 कांग्रेस 2 बीजेपी 1 जेएमएम और 1 जेवीएम के पास है.

हालांकि जिन 4 चार सीटों पर आरजेडी दावेदारी पेश करने की तैयारी में है. उसमें से तीन सीट गोड्डा,चतरा और कोडरमा पर कांग्रेस भी अपनी नजरे टिकाई हुई है. अब 31 दिसंबर को इंडिया गठबंधन के फैसले के बाद ही पता चल पाएगा कि किस पार्टी को झारखंड में कितनी सीटें मिल पाएंगी और पार्टियां आलाकमान के फैसले से संतुष्ट होंगी या झारखंड में गठबंधन के अंदर 2024 के चुनाव से पहले और भी बदलाव देखने को मिलेंगे.

Tags:

Latest Updates