RANCHI : केंद्रीय सरना समिति के तत्वावधान में रविवार को हजारों सरना धर्मावलंबी रांची के पहाड़ी मंदिर में विशाल सरना झंडा गढी सह प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया. इस अवसर पर अध्यक्ष अजय तिर्की ने कहा कि सस्कृति धरोहर और धार्मिक स्थानों की संरक्षण जरुरी है, अपनी संस्कृति को जीवीत रखने के लिए सभी आदिवासियों को आगे आने की जरूरत है अपने धर्म के प्रति निर्वाह्य अवश्य करें.
उन्होंने बताया कि आजादी की लड़ाई के समय अंग्रेजों के द्वारा रखी इस टोगरी में स्वतंत्रता सेनानीयों को फाँस दिया जाता था. इसलिए इस स्थान को फाँसी टोगरी के नाम से प्रचलित हुआ उसमें कई वर्ष पूर्व पुरखों इस स्थान पर पुरानी राँची गौजा के इई धार्मिक अनुशान सम्पन्न करते आ रहे हैं, तथा पहाडी मंदिर की भव्यता से पहने बुधुवा पहान प्रत्येक वर्ष नागपंचमी में नाग देवता की पूजा करते थे.
बुर्जुगों का कथन है कि जब तक बुधुवा महान वहाँ पूजा करते थे तब तक कोई भी वहाँ पूजा करने नहीं जाते थे. समय के साथ फांसी टोंगरी का इतिहास बदल कर पहाड़ी मंदिर में परिवर्तित हो गया.सरना समाज के धार्मि चेतना जागते हुए पिछले 5 वर्ष से पहाड़ी टोला निवासी अजय तिकी जो वर्तमान समय में केन्द्रीय सरना समिति के अध्यक्ष है.
इस महान कार्य में पुरानी राँची मौजा एवं रांची क्षेत्र के विभिन्न गाँव के सरना धर्मवलम्बी का सराहनी योगदान रहा है. मान्यता यह भी है कि पूरे भारत की सुख समृद्धि एवं खुशहाली के लिए पूर्वजों के द्वारा पूजा किया जाता था. झंडा बदली कार्यक्रम में पड़ोसी राज्य बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश नेपाल, गुटान के सरना धर्मावलम्बी इस फांसी टोगरी में शामिल हुए. स्थापित सरना झण्डा जल अर्पित कर अपने पूर्वजों की परम्परा एवं आस्था को प्रकट करते हुए आने वाले दिनों में इसकी भव्यता को बढ़ायें.
मौके पर झारखंड के विभिन्न जिले से सरना धर्म गुरु उपस्थित हुए, मौके पर धर्मगुरु बबन तिग्गा, रुपचंद, शोमरा मुंडा, बिरसा उरांव, पवन मुंडा, सुभानी तिग्गा, सीता उराँव, अमीत गाड़ी, गुड़वा हेरंज, महादेव, मनिला मुंडा, बंसत उराँव, नन्दु, सुनील, योगेन्द्र उंराव, सुनीता कच्छप आदि लोगों ने आकर कार्यक्रम को सफल बनाया.