झारखंड में भाजपा बनाएगी नई प्रदेश कमिटी,लिस्ट में इन नए सदस्यों को किया जा सकता है शामिल

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आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनावों को देखते हुए झारखंड में सभी राजनीतिक पार्टियां तैयारियों में लग गई है. लेकिन चुनावों को लेकर झारखंड में भाजपा काफी एक्टिव मोड पर है. अब भाजपा प्रदेश कमिटी का ऐलान करने वाली है. रिपोर्ट्स के अनुसार भाजपा प्रदेश कमिटी की घोषणा इसी सप्ताह कर सकती है.

बाबूलाल मरांडी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद प्रदेश कमिटी का गठन नहीं किया गया था,अब तक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश के कार्यकाल में बनाई गई कमिटी से ही पार्टी काम कर रही थी. लेकिन आज प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ,संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह और प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी इस पर विचार कर दिल्ली में इसकी नामों की फाइनल सिस्ट तैयार करेंगे.

कयास लगाए जा रहे हैं कि नए प्रदेश कमिटी में कई पुराने सदस्यों के नाम हटाए जा सकते हैं और कई नए चेहरों को भी जगह दी जा सकती है.भाजपा अपनी रणनीति के तहत सभी वर्गों की वोट पर अपनी पकड़ बनाने की तैयारी में है. झारखंड में भाजपा ने आदिवासी चेहरो को प्रदेश अध्यक्ष की कमान देकर आदिवासी वोट बैंक को आकर्षित करने की पूरी कोशिश की है. और वहीं भाजपा ने कुछ समय पहले ही अपना नेता प्रतिपक्ष भी चुन सलिया है. पार्टी ने विधायक दल का नेता अमर कुमार बाउरी को बनाया.और अमर बाउरी अनुसुचित जाति से आते हैं. एसटी एससी के बाद अब भाजपा की नजर वैश्य और ओबीसी वर्ग पर है. प्रदेश भाजपा वैश्य और ओबीसी वर्ग को प्रतिनिधित्व देने के लिए राज्यसभा सदस्य आदित्य साहू को प्रमुख पद दे सकती है. वहां सामान्य वर्ग भी भाजपा का बड़ा वोट बैंक है, सामान्य वर्ग के प्रतिनिधित्व देने के लिए विधायक रणधीर सिंह और अनंत ओझा को नई टीम में अहम पद दिए जा सकते हैं।

वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा उम्मीदवार चुनने के लिए सर्व् कराने की तैयारी में है. भाजपा की 14 लोकसभा में से कुछ सीटों पर उम्मीदवारों के नए चेहरे दिखाई दे सकते हैं. अनुमान लगाए जा रहे हैं कि जिन सीटों पर भाजपा पिछला चुनाव नहीं जीत पायी है, पश्चिमी सिहंभूम और राजमहल से पार्टी के नए चेहरे सामने आ सकते हैं। कुछ उम्मीदवार बढ़ती उम्र के कारण दोबारा चुनाव मैदान में नहीं उतारे जाएं, उनकी जगह पर भी नए चेहरे सामने आ सकते हैं। वैसे सासंद जिनका अब तक का कामकाज बहुत अच्छा, अच्छा या बहुत संतोषजनक रहा, उनको छोड़कर शेष सांसदों के बारे में भी पार्टी उनकी सर्वे रिपोर्ट के आधार पर कोई भी फैसला ले सकती है।

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