क्या लोहरदगा विधानसभा सीट पर वापसी कर पाएगी एनडीए. क्या लोहरदगा से कांग्रेस को मात देने में सफल होगी भाजपा आजसू या लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा में भी यह सीट कांग्रेस के पाले में ही चली जाएगी.
लोहरदगा विधानसभा सीट में वर्तमान में कांग्रेस से राज्य के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव विधायक हैं. सीटींग विधायक होने के नाते इस बार भी रामेश्वर उरांव के चुनावी मैदान में उतरने की अधिक संभावना है लेकिन लोहरदगा सीट से कांग्रेस का टिकट पाने वाले दावेदारों की लंबी कतार है. कांग्रेस से टिकट पाने के लिए लगभग दर्जन भर लोग दावेदारी कर रहे हैं.
जिसमें विधायक रामेश्वर उरांव के अलावा लोहरदगा जिला अध्यक्ष सुखेर भगत , पार्टी के नेता और पेशरार प्रखंड के पूर्व जिला परिषद सदस्य विनोद सिंह खेरवार, कांग्रेस नेता जगदीप भगत, प्रभात भगत, लोहरदगा जिला परिषद की वर्तमान अध्यक्ष रीना कुमारी भगत, रांची की पूर्व मेयर रमा खलखो, सांसद सुखदेव भगत के पुत्र अभिनव सिद्धार्थ, लोहरदगा जिला युवा कांग्रेस के अध्यक्ष विशाल डुंगडुंग और पूर्व आईएएस अधिकारी दिलीप कुमार टोप्पो के नाम शामिल हैं.
हालांकि हम अपने सीरिज में आपके साथ वैसी सीटों की चर्चा कर रहे हैं जहां 2019 के चुनाव में आजसू और भाजपा अगर एक साथ चुनावी मैदान में होते तो नतीजे कुछ और भी हो सकते थे. अब 2024 में भाजपा आजसू के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाली है. तो झारखंड के कई सीटों पर इस बार स्थितियां बदलने के आसार हैं. इससे पहले हम आपके साथ 4 सीटों के बारे में चर्चा कर चुके हैं, इसी सीरिज में आगे बढ़ते हुए आज हम बात करेंगे लोहरदगा विधानसभा सीट की.
लोहरदगा में भी पिछला चुनाव कांग्रेस ने कमजोर पड़ी एनडीए के कारण जीता था.चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों पर एक नजर डाले तो 2019 में लोहरदगा से कांग्रेस प्रत्याशी डॉ रामेश्वर उरांव को 74 हजार 380 वोट मिले थे.
वहीं भाजपा प्रत्याशी सुखदेव भगत को 44,230 वोट मिले और आजसू से उम्मीदवार नीरु शांति भगत को 39,916 वोट मिले. यानी भाजपा और आजसू को मिले कुल वोट को हम मिले दे तो इसका टोटल 84 हजार 146 वोट हो जाता है. जो कांग्रेस को मिले वोट से 9766 वोट अधिक है यानी. लगभग एनडीए को 10 हजार वोटों की बढ़त मिल जाती.लेकिन ध्यान देने वाली बात ये भी है कि तब भाजपा की टिकट से सुखदेव भगत चुनावी मैदान में थे, जो वर्तमान में कांग्रेस से लोहरदगा के सांसद हैं. अब 2024 में भाजपा को इन वोटों का फायदा मिलेगा या नहीं ये कहना थोड़ा मुश्किल है.
लोहरदगा में 2005 से लेकर अब तक भाजपा अपना खाता नहीं खोल पाएगी. ये सीट एनडीए की झोली में गठबंधन के तहत ही आई है. लोहरदगा सीट के इतिहास पर एक नजर डालें तो
2005 में यहां से सुखदेव भगत कांग्रेस की टिकट से जीते.
2009 में आजसू से कमल किशोर भगत जीते. कमल किशोर भगत ने कांग्रेस के सुखदेव भगत को मात दी थी.
2014 के विधानसभा चुनाव में कमल किशोर भगत ने आजसू से अपनी जीत दुहराई. कमल किशोर भगत ने दूसरी बार सुखदेव भगत को हराया था.
2019 के चुनाव में सुखदेव भगत भाजपा की टिकट से उतरे लेकिन इस बार भी उनके हाथ हार लगी.सुखदेव भगत ने लोहरदगा में हार की हैट्रिक लगा दी, कांग्रेस के टिकट से उतरे रामेश्वर उरांव 74 हजार 380 वोटों के साथ विजयी हुए.
लोहरदगा विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। लोहरदगा में सदन प्रखंड सहित कुड़ू, कैरो, किस्को, पेशरार, सेन्हा और भंडरा प्रखंड आते हैं.
लोहरदगा जिला बॉक्साइट के लिए विख्यात है. लोहरदगा में लंबे समय से बॉक्साइट कारखाना लगाने की मांग की जा रही है. बेरोजगारी की समस्या को देखते हुए स्थानीय निवासी बॉक्साइट फैक्ट्री की स्थापना को आवश्यक बताते हैं. झारखंड निर्माण के 24 सालों बाद भी स्थानीय सांसद विधायक का ध्यान इस अभी तक इस तरफ नहीं गया है. लोहरदगा में प्रचुर मात्रा में बॉक्साईड हैं जो स्थानीय लोगों के काम नहीं आते हैं.बॉक्साइट लंबे समय से जिले से बाहर जा रहे हैं लेकिन नेता विधायक मंत्री अपने हाथ बांधे सिर्फ देख रहे हैं.
जिले के 70 प्रतिशत लोग कृषि पर निर्भर है. सिंचाई के लिए खेतों में पानी भी मुद्दा है। सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं है। रोजगार के लिए बड़े पैमाने पर लोग अन्य प्रदेशों में पलायन करते हैं.
खैर, लोहदगा से कांग्रेस के दर्जन भर दावेदारों ने आवेदन कर दिया है. लेकिन एनडीए की तरफ से ये सीट भाजपा को जाएगी या आजसू को इस पर मंथन चर रहा है. आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने आलाकमान से लोहरदगा सीट की मांग की है. अब अंतिम फैसला हाईकमान के हाथों में है.