विधानसभा चुनाव से पहले सरयू राय की बढ़ने वाली है मुश्किलें, क्या चुनावी मैदान से हो जाएंगे बाहर ; क्या है पूरा मामला ?

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Ranchi : विधानसभा चुनाव से पहले सरयू राय की मुश्किलें बढ़ गई हैं, क्या सरयू राय इस बार के चुनावी मैदान से बाहर हो जाएंगे, आखिर क्यों सरयू राय पर एफआईआर दर्ज किया गया, किसने किया है एफआईआर, और उनपर किस घोटाले का आरोप लग रहा है. क्या है पूरा मामला. साथ ही इस मामले को लेकर सरयू राय ने क्या कहा है.

दरअसल, झारखंड विधानसभा का चुनाव कुछ ही महीनों में होना है, संभावित उम्मीदवार अपने अपने स्तर से चुनाव की तैयारियों में लग गए है. उनमें से एक जमशेदपुर पूर्वी से विधायक सरयू राय भी है. बहुत संभावना है कि वे इस बार इसी सीट से जदयू की टिकट पर चुनाव लड़े. क्योंकि कुछ दिन पहले ही सरयू राय ने जदयू का दामन थामा है.

क्यों हुआ है FIR 

बहरहाल अब मुद्दे पर आते है. विधानसभा चुनाव में पहले ही सरयू राय पर गिर गया है गाज. उनपर एक घोटाले के मामले में एफआईआर दर्ज किया गया है. यह एफआई आर लालपुर थाने में दर्ज की गई है. सोशल वर्कर मनोज कुमार सिंह नाम के शख्स की ओर से यह मामला दर्ज किया गया है.

जिसमें कहा गया है कि आहार पत्रिका के प्रकाशन, मुद्रण और वितरण के नाम पर घोटाला किया गया इतना ही नहीं एफआईआर में बताया गया है कि खाद्य सार्वजनिक वितरण एंव उपभोक्ता मामले विभाग के पूर्व मंत्री सरयू राय ने आम जनता में अधिकारों के प्रति जागरूकता लाने के नाम पर प्रत्येक महीने खाद्य बुलेटिन आहार के मुद्रण, प्रशासन और वितरण करने के अनावश्यक कार्य की जरूरत को उत्पन्न किया. फिर यह घोटाला किया गया.

घोटाला कब किया गया था. ये भी बताते है. दरअसल रघुवर दास की सरकार में 11 वें मंत्री के पद पर रहते हुए सरयू राय ने यह घोटाला किया है. ऐसा आरोप है.
बहरहाल, सरयू राय पर आरोप लगाया गया है कि वे अपने नजदीकी और विश्वासियों को आहार पत्रिका मुद्रण और वितरण करने के आड़ में तीन करोड़ 38 लख रुपए का भुगतान अक्टूबर 2017 से मार्च 2019 तक की अवधि में करवाया.

जबकि तय किए गए मात्रा से काफी कम कथित मुद्रण, प्रशासन और वितरण से घोटाले कर पैसे उगाही किए गए. इतना ही नहीं मनोज कुमार सिंह की ओर से दावा किया गया है इसका अधिकांश हिस्सा उन्ही के नजदीकी लोगों के माध्यम से बिना किसी टेंडर या नीलामी के उपहार में दे दिया गया.

साथ ही घोटाला कर मामले को दबाने की कोशिश से अपने जान पहचान के लोगों को प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी के पद पर नियुक्त कराकर विभागीय निदेशक की दिशा-निर्देश की अवहेलना कर मामले को रफा-दफा करवाने की भी कोशिश की गई है.

पुलिस का क्या कहना है इस मामले में 

वहीं पुलिस ने इस मामले में धारा सरयू राय पर धारा 314,316 (2), (3), (4) (5) और 361 (2) के तहत केस दर्ज किया है. इसके अलावा भष्टाचार निरोधक अधिनियम 1988 की धारा 7,11,12,13 ( 2) भी सरयू राय पर लगाया गया है.

पुलिस का कहना है कि जल्द ही इस मामले में सरयू राय समेत बाकि लोगों को नोटिस तलब किया जाएगा. बता दें कि इस मामले की जांच करने की जिम्मेदारी अरगोड़ा थाना में पदस्थापित पुलिसकर्मी मुकेश कुमार को दी गई है.

सरयू राय ने क्या कहा ?

वहीं इस मामले में सरयू राय ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बीते तीन साल में इसी मामले में पांच एफआईआर हो चुके हैं. यह छठा एफआईआर है. इससे पहले जमशेदपुर के दो लोगों ने मामला दर्ज कराया था. फिर एसीबी का मामला दर्ज कराया. हाईकोर्ट में याचिका दायर की.

धुर्वा थाने में मामला दर्ज कराया. अब अरगोड़ा में मामला दर्ज कराया है. पहले के एफआईआर को जो हश्र हुआ है,वहीं इसका भी होगा.

इसमें चिंता जैसी कोई बात नहीं. हालांकि अगर इस मामले में विधानसभा चुनाव से पहले जांच का दायरा बढ़ता है तो ऐसे में सरयू राय की मुश्किलें बढ़ सकती है.

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