झारखंड में विधानसभा चुनाव की तैयारियां अब जोरों पर है. कभी भी चुनाव आयोग अब चुनावों की घोषणा कर सकता है. गठबंधन और पार्टियों के भीतर सीट शेयरिंग को लेकर मंथन चल रहा है. इसी बीच आजसू प्रमुख सुदेश महतो ने 2 विधानसभा सीटों टुंडी और सिंदरी पर अपना दावा ठोक दिया है. झारखंड विधानसभा चुनाव में आजसू एनडीए फोल्डर के तहत ही चुनाव लड़ने वाली है लेकिन सुदेश महतो इन दो सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने की बात कह दी है, बता दें सिंदरी से वर्तमान में भाजपा के इंद्रजीत महतो विधायक हैं ऐसे में भाजपा भी इस सीट पर अपना प्रत्याशी जरुर उतारना चाहेगी.
दरअसल बीते गुरुवार को सुदेश महतो तोपचांची पहुंचे. सुदेश महतो ने द रीत रिजार्ट में टुंडी विधानसभा क्षेत्र के प्रमुख आजसू नेताओं एवं कार्यकर्ताओं से विशेष संवाद की. सुदेश महतो ने कहा है कि भाजपा के साथ गठबंधन कर आजसू का टुंडी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ना तय है. इसलिए टुंडी विधानसभा क्षेत्र के एक-एक कार्यकर्ता पूरी तरह से चुनावी तैयारी में जुट जाएं. बैठक में सुदेश महतो ने यह भी कहा कि सिंदरी विधानसभा क्षेत्र पर भी आजसू का दावा बनता है। पिछले विधानसभा चुनाव में हम वहां लगभग 17 हजार वोट लाए थे। यह कोई कम वोट नहीं है। इस कारण, सिंदरी में भी आजसू का दावा बनता है। गठबंधन में हम सिंदरी सीट पर भी दावा करेंगे.
इन दोनों विधानसभा सीटों की 2019 की स्थिति पर एक नजर डालें तो टुंडी विधानसभा सीट से झामुमो के मथुरा प्रसाद जीते थे. वहीं भाजपा ने टुंडी से विक्रम पांडे को चुनावी मैदान में उतारा था ,उन्हें 46 हजार 893 वोट मिले थे. वहीं आजसू ने राज कुशोर महतो को अपना प्रत्याशी बनाया था उन्हें 15 हजार 946 वोट प्राप्त हुए थे.
वहीं सिंदरी विधानसभा से भाजपा के इंद्रजीत महतो 80 हजार 967 वोटों से विजयी हुए थे और आजसू के सदानंद महतो को 12 हजार 502 वोट मिले थे. हालांकि विधायक इंद्रजीत महतो लंबे समय से गंभीर रुप से बीमार चल रहे हैं ऐसे में इस बार वो चुनावी मैदान में नहीं हो सकते हैं. लेकिन अब इस सीट से भाजपा किसी और को अपना प्रत्याशी बनाती है या इस बार आजसू को मौका देती ये तो आने वाले समय में ही पता चल पाएगा.
बैठक के दौरान सुदेश महतो ने हेमंत सोरेन सरकार पर भी खूब निशाना साधा. उन्होंने कहा कि सीएम हेमंत सोरेन ने झारखंड के पांच लाख युवाओं को रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन नहीं दिया.उनकी बातें सिर्फ चुनावी घोषणा बनकर रह गई। मंइयां सम्मान योजना भी मुख्यमंत्री का चुनावी लालीपाप है.यह योजना कब तक चलेगी, इसका कोई अता-पता नहीं है। सुदेश महतो ने कहा कि एक ओर झारखंड के सरकारी स्कूलों में बेंच डेस्क की कमी है, वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार विकास का पोस्टर टांग रही है.