चंपाई सोरेन

चंपई सोरेन को कांग्रेस के दिग्गज नेता की सलाह, बोले- सोच-समझकर…

, ,

|

Share:


चंपई सोरेन को झारखंड के दिग्गज नेता रहे प्रदीप बालमुचू ने सलाह दी है कि उनको झारखंड की सियासत में कोई भी फैसला करने से पहले 10 बार सोच लेना चाहिए. झारखंड कांग्रेस के सबसे अधिक दिनों तक प्रदेश अध्यक्ष रहे पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ प्रदीप बालमुचू ने कहा चंपई सोरेन कोल्हान के अच्छे नेताओं में से एक है. उनकी नाराजगी की वजहें मीडिया में भी आ चुकी है उस पर ज्यादा चर्चा करने की जरूरत नहीं है.

चंपई की पृष्ठभूमि बताती है कि वह भाजपा में सूटेबल नहीं है 

प्रदीप बालमुचू ने कहा कि अगर वह झारखंड मुक्ति मोर्चा से हटकर अपनी पार्टी बनाते हैं या किसी अन्य दल में शामिल होते हैं तो उन्हें इसका नुकसान उठाना पड़ेगा. आगे उन्होंने कहा कि लगता है कि यह उनके राजनीतिक जीवन की भारी भूल होगी. ऐसे में उनसे निवेदन यही है कि कोई भी फैसला लेने से पहले वह दस बार सोचें.

प्रदीप बालमुचू ने कहा कि वे कोल्हान की राजनीति को बखूबी जानते और समझते हैं.  ऐसा ना हो कि चंपई सोरेन अपना कदम बढ़ाकर बीच में फंस जाएं, इसलिए कुछ ही कदम बढ़ाने से पहले वह दूर तक सोचें. अगर चंपई सोरेन ठंडे दिमाग से सोचेंगे तो निश्चित रूप से उन्हें बेहतर रास्ते नजर आएंगे. आगे उन्होंने कहा कि जिस दल में आपका एडजस्टमेंट नहीं हो सकता वहां आप बहुत दिन नहीं रह सकते है. यह सर्वमान्य बात है कि चंपाई सोरेन के विचार और उनके आंदोलन की पृष्ठभूमि यह बताती है कि वह भाजपा में सूटेबल नहीं होंगे.

प्रदीप बालमुचू ने 2019 में थामा था आजसू का दामन 

आपको बता दें कि कोल्हान के कांग्रेस दिग्गज नेता प्रदीप बालमुचू ने साल 2019 में कांग्रेस छोड़कर आजसू का दामन थामा था. टिकट नहीं मिलने की वजह से उन्होंने नाराजगी जाहिर करते हुए पार्टी छोड़ी थी. तब प्रदीप बालमुचू ने भारतीय राष्ट्री्य कांग्रेस के अध्यक्ष को भेजे गए इस्तीफा पत्र में कहा था कि 30 साल से उन्होंने पार्टी में विभिन्न पदों पर रहकर कांग्रेस की समर्पित भाव से सेवा की, लेकिन पिछले 2 साल से ऐसा महसूस होता रहा कि पार्टी में निष्ठावान कार्यकर्ता की पूछ नहीं है. हद यह कि कोई शीर्ष नेता भी कार्यकर्ताओं की तकलीफें सुनने को तैयार नहीं है.

अगर किसी ने सुन भी लिया तो तकलीफ दूर करने की कोशिश नहीं की जाती. ऐसे में भारी मन से पार्टी छोड़ा रहा हूं. हालांकि उन्होंने साल 2022 में घर वापसी कर ली थी. इस दौरान उन्होंने झारखंड की राजनीति में बहुत कुछ खोया.

और शायद इसलिए भी चंपई सोरेन का प्रदीप बालमुचू की सलाह महत्वपूर्ण है क्योंकि बालमुचू इससे ज्यादा वाकिफ हैं. वे भली–भांति समझते है कि इसका अंजाम क्या होगा.
हालांकि प्रदीप बालमुचू के राजनीतिक जीवन में यह दाग तो लग ही गया कि उन्होंने भी संकट के समय में कांग्रेस को छोड़ दिया था.

यही वजह है कि प्रदीप बालमुचू अपने राजनीतिक मित्र चंपाई सोरेन को कोई भी फैसला लेने से पहले सोच समझ कर लेने की सलाह दे रहे हैं, क्योंकि वे जानते हैं कि संगठन छोड़ने के बाद कोहल्हान की राजनीति में फायदा कम नुकसान ज्यादा होता है.

देखना अब ये होगा कि चंपई सोरेन आज जो बडा ऐलान करने वाले है क्या वे अपने मित्र की सलाह मानकर कुछ ऐसा वैसा कदम उठाने से बचेंगे या नहीं. ये तो भविष्य के गर्त में ही छिपा हुआ है.

गौरतलब है कि चंपई सोरेन ने 2 फरवरी 2024 को हेमंत सोरेन के जेल जाने से उत्पन्न हुई राजनीतिक अस्थिरता के दौर में मुख्यमंत्री का पद संभाला था. वह 3 जुलाई तक मुख्यमंत्री रहे. 28 जून 2024 को जमीन घोटाला केस में जेल में बंद पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी. जेल से बाहर आने के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता-पदाधिकारी और सहयोगी दलों ने भी सलाह दी कि हेमंत सोरेन को ही मुख्यमंत्री पद संभालना चाहिए. हालांकि, चंपई सोरेन का कहना है कि बतौर मुख्यमंत्री उनको सरकारी कार्यक्रमों में हिस्सा लेने से रोक दिया गया. मुख्यमंत्री आवास में बुलाई गई विधायक दल की बैठक का एजेंडा नहीं बताया गया. उनको अपमानित किया गया.

Tags:

Latest Updates