झारखंड के हजारीबाग से भाजपा सांसद जयंत सिन्हा ने पार्टी द्वारा भेजे गए नोटिस का जवाब दिया है। गुरुवार को उन्होंने बताया कि उन्हें पार्टी या उम्मीदवार की तरफ से चुनाव प्रचार के लिए कोई जानकारी नहीं दी गई थी, इसलिए वे प्रचार से दूर रहे। मतदान के दिन वे विदेश में थे और उन्होंने पोस्टल बैलेट के जरिए अपना वोट डाला।
झारखंड भाजपा के प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू ने जयंत सिन्हा को चुनाव प्रचार से दूरी बनाने और वोट नहीं देने को लेकर नोटिस जारी किया था, जिसमें दो दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया था। जयंत सिन्हा ने अपने जवाब में यह भी कहा कि उन्हें इस नोटिस की जानकारी मीडिया के माध्यम से मिली। उन्होंने भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी पर भी सवाल उठाए।
एक्स (पूर्व ट्विटर) पर दो पेज की चिट्ठी पोस्ट करते हुए जयंत सिन्हा ने बताया कि उन्हें पार्टी के किसी भी कार्यक्रम की सूचना नहीं दी गई थी और किसी बड़े आयोजन के लिए निमंत्रण नहीं मिला था, इसलिए वे चुनाव प्रचार से दूर रहे।
29 अप्रैल की घटना का उल्लेख करते हुए जयंत सिन्हा ने कहा कि उन्हें भाजपा उम्मीदवार मनीष जायसवाल की नामांकन रैली में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया था, लेकिन सूचना देर से मिली, जिससे वे सुबह हजारीबाग पहुंचने में असमर्थ रहे। 2 मई को हजारीबाग पहुंचकर उन्होंने मनीष जायसवाल के आवास पर उनसे मिलने का प्रयास किया, लेकिन मनीष जायसवाल वहां मौजूद नहीं थे। इसके बाद कोई संपर्क नहीं होने के कारण, जयंत सिन्हा 3 मई को वापस दिल्ली लौट गए।
प्रदेश अध्यक्ष द्वारा कार्यक्रम की जानकारी नहीं दी गई
जयंत सिन्हा ने भाजपा के कारण बताओ नोटिस पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने अगर जरूरत समझी होती तो उन्हें चुनाव प्रचार के लिए आमंत्रित किया होता। उन्होंने बताया कि हजारीबाग के सांसद रहते हुए उन्होंने कई काम किए हैं और 2019 के चुनाव में रिकॉर्ड वोट से विजयी हुए थे। चुनाव समाप्त होने के बाद इस तरह का पत्र भेजना उनकी समझ से परे है।
भाजपा का नोटिस
प्रदेश महामंत्री आदित्य साहू ने जयंत सिन्हा को भेजे नोटिस में कहा था कि हजारीबाग लोकसभा सीट से पार्टी ने मनीष जायसवाल को प्रत्याशी घोषित किया है, लेकिन जयंत सिन्हा चुनाव प्रचार में शामिल नहीं हो रहे हैं और संगठनात्मक कार्य में रुचि नहीं ले रहे हैं। मतदान में हिस्सा नहीं लेने से पार्टी की छवि पर असर पड़ रहा है।
टिकट कटने के बाद जयंत की दूरी
पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा के बेटे जयंत सिन्हा ने भाजपा की पहली लिस्ट जारी होने के कुछ घंटे पहले राजनीति से दूरी बनाने की घोषणा कर दी थी। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए पार्टी नेतृत्व को अपने फैसले की जानकारी दी थी। हालांकि उन्होंने भाजपा में बने रहने की बात कही थी, लेकिन अप्रैल के पहले सप्ताह में सभी सांसदों और एनडीए उम्मीदवारों के साथ हुई बैठक में जयंत सिन्हा शामिल नहीं हुए। अब उन्होंने चिट्ठी जारी कर अपनी नाराजगी जाहिर की है।
यशवंत सिन्हा की जगह बेटे जयंत को टिकट
यशवंत सिन्हा ने 2009 का चुनाव हजारीबाग से जीता था। 2014 में भाजपा ने उनकी जगह जयंत सिन्हा को टिकट दी, और वे जीते। उन्हें पहले वित्त राज्य मंत्री और फिर नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री बनाया गया।
2018 में यशवंत सिन्हा ने पार्टी छोड़ी
2018 में यशवंत सिन्हा ने भाजपा से इस्तीफा दे दिया। वे 21 साल तक पार्टी में रहे। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि कश्मीर मुद्दे पर उनकी और प्रधानमंत्री मोदी की राय में असहमति थी।