आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर झारखंड में सियासत तेज होती जा रही है. 2024 का लोकसभा चुनाव भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है. भाजपा के पास सबसे बड़ी चुनौती अपनी 11 लोकसभा सीटों को बचाना होगा. इस चुनाव में भाजपा अपनी सभी सीटें बचाते हुए बाकी सीटों पर भी फतह का भरसक प्रयास करेगी. लेकिन सबसे बड़ी जिम्मेदारी सीट बचाने की है.
गिरिडीह सीट पर तो भाजपा किसी दमदार प्रत्याशी की तलाश में है ताकि गिरिडीह में भाजपा की वापसी हो सके, वहीं अगर बात लोहरदगा लोकसभा सीट की करें तो, इस बार लोहरदगा से वर्तमान सासंद सुदर्शन भगत का टिकट कटता हुआ दिख रहा है. तीन बार सांसद रह चुके सुदर्शन भगत पर भाजपा इस बार दाव नहीं खेलना चाहती है. रिपोर्ट के अनुसार 2019 के लोकसभा चुनाव में सुदर्शन भगत 10 हजार से भी कम वोट के अंतर से जीते थे, और लोहरदगा संसदीय क्षेत्र में उनकी सक्रियता काफी कम है. कार्यकर्ताओं के बीच भी उनकी लोकप्रियता उतनी अधिक नहीं बन पाई , इसलिए इस बार भाजपा कोई रिस्क नहीं लेना चाहती है. और शायद इस बार ऐसा भी हो सकता है कि सुदर्शन भगत को कहीं से भी टिकट न मिल पाए.
लोहरदगा में भाजपा की ये भी बड़ी चुनौती हो सकती है कि लोहरदगा के 5 विधानसभा सीट पर भाजपा की एक भी सीट नहीं है. लोहरदगा के 3 विधानसभा सीट सिसई,गुमला और विषुणपुर जेएमएम के पास है वहीं 2 सीट मांडर और लोहरदगा कांग्रेस के पास है. ऐसे में भाजपा को अपनी जगह बनाए रखने में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है.
अगर भाजपा लोहरदगा से सुदर्शन भगत को टिकट नहीं देगी तो इस बार लोहरदगा की सीट पर कौन चुनाव लड़ेगा. इसके लिए भी लोहरदगा में भाजपा के पास उम्मीदवारों की कमी नहीं है. सूत्रों की माने तो 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए लोहरदगा लोकसभा से कई दावेदार सामने आ रहे है. जिनमे झारखंड के दिग्गज नेता बंदी उरांव के बेटे पूर्व आइपीएस अधिकारी अरुण उरांव का नाम सबसे आगे है. भाजपा अरुण उरांव को टिकट देकर आदिवासियों वोटरों को अपनी ओर खींच सकती है.
वहीं लोहरदगा सीट से एक प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं रांची की पूर्व मेयर आशा लकड़ा. आशा लकड़ा की पकड़ भाजपा संगठन में बहुत मजबूत है. आशा लकड़ा फिलहाल भाजपा की राष्ट्रीय मंत्री है. कयास लगाए जा रहे हैं कि आशा लकड़ा को टिकट मिल सकता है.
इसके अलावा राज्यसभा सांसद समीर उरांव भी इस सीट के लिए दावेदारी पेश कर सकते हैं. वर्तमान में समीर उरांव भाजपा के अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं.
फिलहाल झारखंड भाजपा के राजनीतिक गलियारों में इन तीन नामों की चर्चा चल रही है. लेकिन अब अंतिम मुहर किसके नाम पर लगता है ये तो आने वाला समय ही बताएगा.