जयराम महतो पुलिस को इस दिन देंगे अपनी गिरफ्तारी ?

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RANCHI : हमने पहले दिन ही कहा था कि जयराम महतो ने गिरफ्तारी न देकर शायद गलती कर दी है। क्योंकि जिस तरह वे पुलिस को चकमा दकर निकले हैं, निश्चित है कि उनपर कार्रवाई की जाएगी। और ठीक वही हो रहा है। शुक्रवार को राज्य के सभी समाचार पत्रों में निर्वाचन आयोग की तरफ से एक नोटिस जारी किया गया है।

इस नोटिस में लिखा है कि निर्वाचन के लिए किए गए नामांकन के दौरान जयराम द्वारा नाम निर्देशन पत्र में जिन प्रस्तावकों का नाम दिया गया है, उनके हस्ताक्षर संदेहास्पद हैं। और इसलिए उन सभी प्रस्तावकों का सत्यापन किया जाना है। इस नोटिस के माध्यम से कहा गया है कि निर्वाचन आयोग की तरफ से दो बार जयराम महतो के नंबर पर फोन किया गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया और कोई जवाब भी नहीं दिया। ऐसे में 7 मई को 11 बजे उन्हें गिरिडीह के निर्वाचन पदाधिकारी के समक्ष सभी प्रस्तावकों के साथ उपस्थित होने के लिए कहा गया है, ताकि उन प्रस्तावकों का सत्यापन किया जा सके।

यानी 7 मई को जयराम महतो को गिरिडही से निर्वाचन पदाधिकारी के समक्ष अपने प्रस्तावकों के साथ जाना है। ऐसा नहीं करने की स्थिति में उनका नामांकन रद्द भी किया जा सकता है. हालांकि नोटिस में नामांकन रद्द् करने के बात नहीं लिखी है। लेकिन प्रस्तावकों का न होना, चुनावी कागजात में प्रकिया का पालन ना होना या उनपर संदेह होना नामांकन रद्द करने का प्रमुख आधार जरूर है।

इन्हीं कारणों से खूंटी, लोहरदगा, सिंहभूम और पलामू में इसी बार लगभग 17 लोगों का नामांकन रद्द किया गया है।जाहिर है, जयराम ऐसा कभी नहीं चाहेंगे। यानी उन्हें किसी भी विषम परिस्थिति में निर्वाचन पदाधिकारी के समक्ष जयराम महतो को उपस्थित होना पड़ेगा।

गौर करने वाली बात है कि इस नोटिस में उनपर हुए एफआईआऱ, उनके भागने या अरेस्टबवारंट का कोई जिक्र नहीं किया गया है। यानी पुलिस जो उन्हें ढूंढ रही है, वह पूरा प्रकरण अलग है। लेकिन अगर जयराम महतो 7 मई को 11 बजे गिरिडीह के निर्वाचन पदाधिकारी के पास गए तो निश्चित तौर पर उन्हें गिरफ्तार करने के लिए पुलिस वहां पहुंचेगी।

जयराम के लिए यह स्थिति आगे कुआं, पीछे खाई की तरह हो गई है। यदि वे निर्वाचन पदाधिकारी के पास जाते हैं, तो वे गिरफ्तार होंगे और अगर नहीं जाते हैं, तो उनका नामांकन रद्द होगा. यानि वे लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.

तो अब क्या करेंगे जयराम महतो? आखिर क्या है उनके पास विकल्प? बोकारो डीसी की तरफ से जारी इन नोटिस पर क्यों उठ रहे सवाल? इससे भी बड़ा सवाल यह है कि आखि क्या करेंगे जयराम के समर्थक जो उनके साथ भाषा और खतियान आंदोलनो के साथी रहे हैं?आइये जयराम महतो प्रकरण पर आपको हम सबकुछ बताते हैं विस्तार से।

देखिए, जयराम महतो इस उम्मीद में पुलिस की गिरफ्त से भाग निकले, कि बाहर रहते हुए बेल ले लेंगे और फिर आसानी से अपना चुनाव प्रचार कर सकेंगे। लेकिन इस मामले में चुनाव आयोग के नोटिस के बाद स्थितियां बहुत अलग हो गई हैं।

उनके पास आज से सिर्फ तीन है कि वे बेल ले लें या फिर किसी तरफ गिरफ्तारी को टाल दें। क्योंकि नोटिस के बाद उन्हें निर्वाचन पदाधिकारी के पास उपस्थित तो होना ही होगा। जहां वे निश्चित तौर पर गिरफ्तार कर लिए जाएंगे।

हमने जयराम के करीबी साथियों से बात करने का प्रयास किया, लेकिन किसी से संपर्क नहीं हो सका। ऐसे में वे क्या निर्णय लेंगे, यह कोई नहीं जानता। 1 मई को बोकारो जिला कार्यालय से जयराम के फरार होने के बाद स्थितियां बहुत बदल गई हैं। एक एफआईआर उनपर पहले से था, जिसके आधार पर पुलिस उन्हे गिरफ्तार करने आई थी। लेकिन गिरफ्तारी नहीं देने के बाद उनके साथ उनके 10 सहयोगी और 15 हजार समर्थकों पर भी पुलिस ने एफआईआर दर्ज किया है।

हम आगे बढ़े, इससे पहले आपको इस एफआईआर के बार में थोड़ा जानकारी देते हैं, क्योंकि इस एफआईआर में बहुत कुछ नया पता चला है। और पुलिस का पक्ष भी काफी हद तक सामना आ सका है।

यह एफआईआर 2 मई को रात 12 बजकर 14 मिनट पर बोकारो स्टील सिटी थाने में दर्ज की गई है। यानी 1 मई की घटना वाली ही रात को। एफआईआर में लिखा है कि पुलिस जब 2022 के केस के मामले में जयराम के खिलाफ गैर जमानती अरेस्ट वारंट लेकर पहुंची, तो जयराम को समर्थकों ने गिरफ्तारी में बाधा डालने की कोशिश की और गेट के बाहर जाते ही जयराम अपने समर्थकों का फायदा उठाकर वहां से भाग गए।

इसके बाद उन्हें सूटना मिली कि वह पिंड्राजोरा के जेल मैदान में 50 हजार समर्थकों को संबोधित कर रहे हैं। पुलिस की टीम वहां भी पहुंतची, लेकिन वहां जयराम ने पुलिस के खिलाफ उत्तेजक भाषण देकर लोगों को उकसाया, जिसके बाद जयराम के समर्थकों ने पुलिस के साथ हाथापाई की, उनपर कुर्सी, टेबल, पानी के बोतल, जूता, चप्पल और डंडे से हमला किया और जयराम को गिरफ्तार होने से बचा लिया। जयराम वहां से भाग निकले।

ये सारी बाते 2 मई की रात को हुए एफआईआर में लिखी हुई है। इसके तहत – जयराम महतो, रिजवान अंसारी, मनोज यादव, देवेंद्रनाथ महतो, मदन महतो, संजय महतो, फरजान खान, रितेश महतो, मोतीलील महतो, दीपक रवानी और बब्लू महतो सहित 15 हजार लोगों पर केस दर्ज है।

इसी के आधार पर दो मई को फरजान खान, संजय महतो, दीपक रवानी आदि को पुलिस ने गिरफ्तौर किया था। लेकिन जयराम अब भी पुलिस की पहुंच से दूर हैं। यानी कि अब जयराम पर दो मुकदमे हैं, जिनके विरुद्ध उन्हें बेल लेना है। अन्यथा उनकी राह बहुत मुश्किल है।

जैसा कि हमने आपको बताया, जयराम के पास फिलहाल दो विकल्प हैं, पहला कि वो गिरफ्तारी दें और बेल लेने की कोशिश करें। और दूसरा कि वे 7 मई को निर्वाची पदाधिकारी के पास न जाएं और उनका नामांकन रद्द कर दिया जाए। आइये समझने की कोशिश करते हैं कि दोनों विकल्प चुनने में जयराम के समक्ष क्या चुनौतियां आएंगी।

पहली स्थिति – यदि जयराम गिरफ्तार हो जाते हैं

इस स्थिति में सबकुछ निर्भर करता है कि उन्हें बेल कब तक मिलेगा। क्योंकि जयराम के चार साथियों को पुलिस गिरफ्तार कर चुकी है। उनमें से संभवतः तीन लोगों को जेल भेज दिया गया है। जयराम चूंकि इस मामले में मुख्य आरोपी है, उन्हें भी पुलिस जेल भेजने का प्रयास करेगी। ऐसे में जेल से बाहर आने तक उनका चुनाव प्रचार पूरी तरह से थमा रहेगा, जो कि प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर अभी थमा ही हुआ है।

अगर वे 25 मई तक बाहर नहीं आते हैं, तो उनके लिए यह सबसे बुरी बात होगी। क्योंकि 25 मई को गिरिडीह लोकसभा में मतदान है और उसके पहले उनका जनसंपर्क बहुत जरूरी है। हालांकि यदि उनकी टीम उनकी अनुपस्थिति में लोगों तक पहुंचती है और चुनाव प्रचार करती है, तो काफी हद तक डैमेजकंट्रोल किया जा सकता है। पर जयराम की उपस्थिति उनके लोगों के बीच ना होना कई मायनो में उनकी पार्टी या उनके समर्थकों के बीच डीमोटिवेशन फैक्टर जैसा होगा.

दूसरी स्थिति – यदि जयराम 7 मई को निर्वाचन पदाधिकारी के पास नहीं जाते हैं और उनका नामांकन रद्द हो जाता है

इस स्थिति में जयराम को सबसे अधिक नुकसान होता दिख रहा है। क्योंकि नामांकन रद्द होने की स्थिति में वे चुनाव ही नहीं लड़ पाएंगे, और उनके इतने महीनों की मेहनत बर्बाद हो जाएगी। मुझे लगता नहीं है कि जयराम ऐसा नहीं चाहेंगे। क्योंकि चुनाव न लड़ पाने की स्थिति में उनका पूरा उद्देश्य ही धरासाई हो जाएगा। इस स्थिति में झामुमो और भाजपा दोनों को फायदा होगा और उनके बीच अब सीधी टक्कर होगी।

लेकिन अहम सवाल यह है कि, जो लोग जयराम को वोट देने का मन बना चुके हैं, क्या वे झामुमो या भाजपा की तरफ शिफ्ट हो जाएंगे? ऐसा लगता नहीं है। जयराम के समर्थकों की तरफ से यह कहा जा रहा है कि यदि जयराम का नामांकन रद्द किया जाता है, तो फिर वे नोटा का बटन दबाएंगे।

य़ानी अगर जयराम के सभी समर्थक नोटा का बटन दबाते हैं, तो गिरिडीह में भाजपा और झामुमो के लिए चुनौतियां बनी रहेगी। साथ ही राज्य और देश का इस विरोध का मैसेज जाएगा। यदि किसी सीट पर नोटा जीतती है, तो क्या होगा? इस विषय पर हम अगले वीडियो में विस्तार से बताएंगे।

फिलहाल यह समझिए कि जयराम का नामांकन तभी रद्द हो सकता है, जब वे 7 मई को निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष उपस्थित न हों। अब जयराम अपनी गिरफ्तारी बचाएंगे या फिर नामाकन, यह देखने की बात है।

जयराम के समर्थक और कई लोग चुनाव आयोग के इस नोटिस पर सवा खड़े कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस नोटिस का उद्देश्य ही जयराम को गिरफ्तार करना है। उन्हें मजबूर किया जा रहा है कि वे बाहर आएं और उन्हें पुलिस पकड़ सके। जयराम के कई साथी पहले भी चुनाव आयोग के रवैये पर सवाल खड़े कर चुके हैं। और अब उन्हें नोटिस दिए जाने पर विवाद और बढ़ गया है। हालांकि जयराममहतो की तरफ से अभी तक किसी तरह का बयान या प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। संभव है कि वे अपनी तरफ से एक संदेश अपने समर्थकों और मीडिया के लिए जरुर जारी करेंगे।

लेकिन तब तक हममें से कोई भी यह कह पाने की स्थिति में नहीं है कि 7 मई को जमयराम अपने प्रस्तावकों के साथ निर्वाची पदाधिकारी के समक्ष उपस्थित होंगे, या नहीं। लेकिन जो भी होता है। हम आपतक जानकारी पहुंचाते रहेंगे।

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