ओडिशा के बालासोर में 2 जून की शाम दर्दनाक रेल हादसा हुआ. बालासोर से करीब 40 किलोमीटर आगे बेंगलुरु हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस, शालीमार-चेन्नई सेंट्रल कोरोमंडल एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी हादसे की शिकार हुईं. यह टक्कर कितना भयावह था इसका अंदाजा आप इसी चीज से लगा सकते हैं कि अभी तक 288 यात्रियों की मारे जाने की खबर है. वहीं, 900 से ज्यादा लोगों के घायल होने की खबर है.
इस हादसे के बाद से ही ‘कवच’ सिस्टम की जिक्र बढ़ गई है. लोगों का मानना है कि अगर कवच सिस्टम इस ट्रेन में होता तो यह हादसा नहीं होता और लोगों की जान बचाई जा सकती थी. ऐसे में आज हम जानेंगे ‘कवच’ के बार में. आखिर कवच सिस्टम होता क्या है औऱ इसके होने से ये भयावह हादसा कैसे टल सकता था.
कवच एक ऐसा डिवाइस है जिसके मदद से ट्रेन हादसों को रोका जा सकता है. इस सिस्टम की खास बात यह है कि अगर एक ट्रैक पर दो ट्रेनें आ जाती हैं. तो इस सिस्टम की मदद से ऑटोमैटिक ब्रेक लग जाता है. जिससे ट्रेन के स्पीड को कम किया जाता है और ऐसे में हादसा टल जाता है. इसके अलावा कवच किसी भी ट्रेन दुर्घटना को रोकने का काम करता है. अगर किसी कारण, लोको पायलट ब्रेक नहीं लगा पाता है तो कवच के होने से ऑटोमेटिक रूप से ब्रेक लगाकर ट्रेन की गति को नियंत्रित किया जा सकता है.
कवच कैब में लाइन-साइड सिग्नल को दोहराता है जो हाई स्पीड और धुंधले मौसम के लिए बहुत उपयोगी है. इसको ऐसे समझिए. रेलवे ट्रैक के किनारे जो ट्रेन के लिए सिग्नल होता है वो खराब मौसम के कारण अगर लोको पायलट को नहीं दिखता है. तो कोई दिक्कत वाली बात नहीं है. क्योंकि कवच की मदद से वो सिग्नल जो लोको पायलट नहीं देख पा रहा था. उसे वो सिग्नल कवच के माध्यम से मिल जाएगा. कवच दो इंजनों के बीच टक्कर को रोकने में भी सक्षम है. मतलब एक ही पटरी पर दो ट्रेनें आमने-सामने आ जाएं तो एक्सीडेंट नहीं होगा.
आपातकालीन स्थितियों के दौरान एसओएस संदेश यानी की एमरजेंसी मेसेज भी भेजता है.
नेटवर्क मॉनिटर सिस्टम के माध्यम से ट्रेन की आवाजाही की सेंट्रल लेवल पर लाइव मॉनिटरिंग किया जा सकता है.
लेवल क्रॉसिंग गेट्स पर यानी की जो रेलवे फाटक है, वहां पर कवच की मदद से ऑटोमैटिक हॉर्न बजने लगता है.
आपको बता दें कि भारत देश में कुल 13,215 रेल इंजन हैं जिसमें से मात्र 65 इंजन में कवच सिस्टम लगा है. रेलवे के कुल 19 जोन हैं .जिसमें से 18 जोन में एक भी रेल इंजन में कवच सिस्टम नहीं है. यही कारण रहा कि बालासोर में इतना भीषण रेल दुर्घटना हो गया. अगर इन ट्रेनों में कवच सिस्टम होता तो इस घटना को रोका जा सकता था.