चुनाव आदर्श आचार संहिता में क्या-क्या नहीं कर सकते राजनीतिक दल ?

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झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान आज दोपहर साढ़े तीन बजे हो जाएगा. केंद्रीय निर्वाचन आयोग झारखंड के साथ महाराष्ट्र में होने वाले चुनाव की घोषणा करेगा. चुनाव की घोषणा होते ही दोनों राज्यों में आदर्श आचार सहिंता भी लागू हो जाएगी.

हम आपको आसान भाषा में बताने की कोशिश करेंगे कि आदर्श आचार संहिता क्या है. इसके लागू होने के बाद कौन सी पाबंदियां लागू हो जाती है. आदर्श आचार संहिता कब से लागू होती है. आचार संहिता का पालन कब तक करना होता है.

झारखंड विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा होने के साथ ही राज्य में आर्दश आचार संहिता लागू हो जाएगी. सवाल है कि आचार संहिता है क्या?

आचार संहिता है क्या ?

दरअसल, लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव में निष्पक्ष वोटिंग कराने के लिए निर्वाचन आयोग कुछ नियम बनाता है. निर्वाचन आयोग के इन्हीं नियमों को आदर्श आचार संहिता कहा जाता है. चुनाव के दौरान इन नियमों का पालन करना सरकार, नेता और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी होती है. आचार संहिता चुनाव प्रक्रिया के संपन्न होने तक लागू रहती है.

चुनाव की तारीखों की घोषणा के साथ ही आचार संहिता लग जाती है और वोटों की गिनती होने तक जारी रहती है.आचार संहिता लागू होने के बाद कई नियम भी लागू हो जाते हैं. इनकी अवहेलना कोई भी राजनीतिक दल या राजनेता नहीं कर सकता है.

आदर्श आचार संहिता के तहत सार्वजनिक धन का इस्तेमाल किसी विशेष राजनीतिक दल या नेता को फायदा पहुंचाने वाले काम के लिए नहीं होगा. सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का इस्तेमाल चुनाव प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता है.

किसी भी तरह की सरकारी घोषणा, लोकार्पण और शिलान्यास जैसे कामों को नहीं किया जा सकता है. किसी भी राजनीतिक दल, प्रत्याशी, राजनेता या समर्थकों को रैली करने से पहले पुलिस से अनुमति लेनी होगी.

इसके अलावा किसी भी चुनावी रैली में धर्म या जाति के नाम पर जनता से नेता वोट नहीं मांग सकते है. ये तो हो गई आचार संहिता के नियम की बात.

आचार संहिता की मुख्य विशेषताएं 

अब आते हैं आचार संहिता की मुख्य विशेषताओं पर. आदर्श आचार संहिता की विशेषता यह निर्धारित करती है कि चुनाव के दरम्यान राजनीतिक दल, प्रत्याशी और सत्ताधारी पार्टी को कैसा व्यवहार करना चाहिए.

आदर्श आचार संहिता यह भी तय करती है कि निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान बैठक आयोजित करने, शोभायात्रा निकालने, पोलिंग वाले दिन की गतिविधियों में इनका आचरण कैसा होगा.

आपके मन में सवाल होगा कि क्या चुनाव के दौरान पोलिंग से जुड़े काम में लगे पदाधिकारियों की ट्रांसफर या पोस्टिंग की जा सकती है या नहीं.

इन चीजों पर लग जाती है पाबंदियां 

गौरतलब है कि निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान इससे जुड़े काम में लगे पदाधिकारियों की ट्रांसफर या पोस्टिंग पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहता है. सरकारी अधिकारी किसी भी विधायक अथवा मंत्री से उनके निर्वाचन क्षेत्र में उनके निजी दौरे के दौरान मुलाकात नहीं कर सकते. यदि ऐसा करते हैं तो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 129 (1) के तहत दंड के भागी होंगे.

मंत्री अपने आधिकारिक वाहन का इस्तेमाल अपने निवास से कार्यालय तक शासकीय कार्यों के लिए ही इस्तेमाल कर सकते हैं. निर्वाचन कार्य के लिए नहीं. मंत्री, विधायक किसी भी प्रकार के दौरे पर बीकन लाइट सायरन का इस्तेमाल नहीं कर सकते.

आदर्श आचार संहिता यह भी निर्धारित करती है कि चुनावी रैलियों में हेट स्पीच न हो. एक प्रत्याशी दूसरे पर व्यक्तिगत हमला न करे.

चुनाव प्रचार के दौरान किसी प्रत्याशी के निजी जीवन पर हमला भी आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना जायेगा. चुनाव के दौरान तथ्यहीन आरोप-प्रत्यारोप भी आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में आता है.

नेताओं को सोच समझकर बयान देना चाहिए. आदर्श आचार संहिता के दौरान इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट और बेव मीडिया के लिए एग्जिट या ओपिनियन पोल जारी करने के बारे में भी सख्त नियम बनाये गये हैं.

यदि कोई मतदान से पहले एग्जिट अथवा ओपिनियम पोल जारी करता है तो इसे आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन माना जायेगा. तय समय सीमा के बाद ही मीडिया ऐसा कर सकती है.

सुबह 6 बजे से पहले और रात 10 बजे के बाद जनसभा की अनुमति नहीं मिलेगी. पोलिंग से 48 घंटे पहले चुनाव प्रचार रोक देना होगा. मसलन यदि 20 दिसंबर को पोलिंग है तो 18 दिसंबर की शाम 5 बजे तक ही जनसभा या चुनावी रैली की इजाजत मिलेगी.

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