क्या राजनीतिक दबाव में अंबा प्रसाद और उनके पिता पर दर्ज शिकायत एक ही दिन में ले ली गई वापस

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बीते कल बड़कागांव से कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद और उनके पिता योगेंद्र साव पर राजमहल ज़मीन कब्जा किए जाने पर हज़ारीबाग़ जिला प्रशासन द्वारा मामला दर्ज किया था. 23 नवंबर को अवैध कब्ज़े वाली ज़मीन पर प्रशासन द्वारा बुलडोजर चला कर अतिक्रमणमुक्त करा लिया गया था.

लेकिन अब कहानी में नया ट्विस्ट आया है. दरअसल, इस मामले में हजारीबाग जिला प्रशासन ने प्राथमिकी का पूरा प्रारूप ही बदल दिया है. ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक जहाँ पहले जमीन कब्जा करने के आरोप में अंबा प्रसाद और उनके पिता के नाम पर प्राथमिकी दर्ज की गई थी वहीँ अब शिकायत वापस लेकर अज्ञात लोगों पर प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है.

बता दें अंचल अधिकारी ने 22 नवंबर को कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद और पूर्व विधायक योगेंद्र साव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध करते हुए थाना को आवेदन दिया था और सिर्फ एक दिन बाद इसी मामले में 23 नवंबर को थाने को दूसरा आवेदन दिया गया जिसमें अज्ञात व्यक्ति के नाम पर प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया गया.

पहले इस मामले में सदर सीओ शशि भूषण सिंह का कहना था कि, “हजारीबाग शहरी क्षेत्र हुरहुरू थाना संख्या 157 भवन पट्टा होल्डिंग संख्या 302, प्लॉट संख्या 872, 1235, 873, 1336 और 893, 1335, कुल रकवा 50 डिसमिल खासमहल की जमीन है. जमीन पर अवैध रूप से चहारदीवारी निर्माण करने की सूचना पर 11 नवंबर को पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को नोटिस किया गया था. तब अवैध निर्माण कार्य को रोक दिया गया था. साथ ही 22 नवंबर को सदर अंचल में इसका पक्ष रखने को भी कहा गया था. इसी बीच छठ पूजा की छुट्टी के दौरान उन्होंने 50 डिसमिल जमीन पर अवैध रूप से चहारदीवारी का निर्माण करा लिया. जिला प्रशासन द्वारा सूचना व अवैध निर्माण कार्य रोकने के निर्देश का उल्लंघन कर अवैध कब्जा किया गया. इसी के तहत मामला दर्ज कराया गया था.

और अब नए रिपोर्ट के मुताबिक आवेदन में लिखा गया है कि कैंटोनमेंट मौजा की 50 डिसमिल जमीन पर अज्ञात लोगों द्वारा कब्जा किया जा रहा है. यह जमीन मोहम्मद एहसान को लीज पर दी गयी थी. 31 मार्च 2008 के बाद लीज का नवीकरण नहीं किया गया है. इसके बावजूद उक्त लोगों ने सरकारी काम में बाधा पहुंचाते हुए सरकारी जमीन पर कब्जा किया . इस संदर्भ में प्राथमिकी दर्ज करने के लिए यह आवेदन समर्पित किया जा रहा है.

इस मामले में इनकी जल्दी प्राथमिकी का प्ररुप बदले जाने पर अब तरह तरह के सवाल उठ रहे हैं.
क्या जिला प्रशासन पर राजनीतिक दबाव बनाया गया, क्या राजनीतिक दबाव के कारण अंबा प्रसाद और उनके पिता के नाम की प्राथमिकी बदल कर किसी अज्ञात व्यक्ति के नाम कर दी गई .

क्या अंबा प्रसाद सरकार में हैं इसलिए उन पर हुई प्राथमिकी को बदल दिया गया.
क्या जिला प्रशासन के पास उस व्यक्ति की जानकारी नहीं है जिसने अवैध तौर पर ज़मीन पर कब्ज़ा किया ?

वहीं इस पुरे प्रकरण में विधायक अंबा प्रसाद ने भी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि जिस जमीन के बारे में कहा जा रहा है वह खास महल की जमीन है.इस पर मेरे परिवार का कोई कब्जा नहीं था. षडयंत्र की राजनीति करने वालों ने इस प्रकरण में जिस ढंग से मेरा नाम घसीटा है वह गलत है. उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव आने वाला है विपक्ष प्रपंच फैलाने में लग गया है. उन्हें हजारीबाग सीट हारने का भय सता रहा है.

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