Ranchi : झारखंड में अब से ठीक कुछ दिन बाद यानि 13 दिन बाद मतदान होंगे फिर 20 को दूसरे चरण के लिए वोटिंग होगी. जिसके बाद साफ हो जाएगा कि झारखंड की जनता ने सत्ता चाभी किसे सौंपा है.
खैर ! हम अपने मुद्दे पर आते हैं. झारखंड में एक बार फिर सत्ता में काबिज होने के लिए झामुमो ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है. झारखंड मुक्ति मोर्चा दुबारा से हेमंत सोरेन के चेहरे पर ही चुनावी मैदान में उतरी है. लेकिन कल्पना सोरेन की रैलियों में जिस तरह से भारी भरकम भीड़ उमड़ती है उससे तो यही कहा जा सकता है कि दोनों के फेस पर झामुमो चुनाव लड़ रही है.
इसके अलावे झामुमो की सत्ता में वापसी के लिए तीन और चेहरे हैं जो हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री बनाने की पटकथा रच रहे हैं. आज हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे कि कल्पना सोरेन के अलावे वे तीन चेहरे कौन हैं. हम एक- एक कर विस्तार से बताने की कोशिश करेंगे कि किस तरह से ये चेहरे पर्दे के पीछे झामुमो को सत्ता में लाने के लिए पटकथा रच रहे हैं.
कौन है ये तीन चेहरे
ये तीन चेहरों में सुप्रियो भट्टाचार्य, विनोद पांडेय और अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू का नाम शामिल है. इन तीनों नेताओं को हेमंत सोरेन का बेहद करीबी माना जाता है. तीनों मुख्यधारा की बजाए लंबे वक्त से संगठन की ही राजनीति करते आए हैं.
कल्पना सोरेन के फेस पर झामुमो लड़ रही है चुनाव ?
सबसे पहले शुरूआत करते हैं कल्पना सोरेन से. ये कहना गलत नहीं होगा कि इस बार झारखंड मुक्ति मोर्चा हेमंत के अलावे कल्पना सोरेन के फेस पर भी चुनाव लड़ रही है. क्योंकि आप इस बात को गौर करिएगा कि एक तरफ जहां हेमंत सोरेन अभी शुरूआत में रोजाना 2 रैली कर रहे हैं वहीं कल्पना सोरेन 3 बड़ी रैली के साथ – साथ छोटी – मोटी संभाए भी कर रही है.
JMM की सियासी केंद्र में पहली महिला
सबसे दिलचस्प बाद तो ये है कि पहली बार विधानसभा चुनाव में झामुमो की सियासी केंद्र में कोई महिला नेता है. कल्पना सोरेन के जरिए ही हेमंत सोरेन आदिवासी और अन्य पिछड़ा वर्ग के महिलाओं को साधने की कवायद में जुटे हुए हैं.
बता दें कि कल्पना सोरेन अपनी रैली में राज्य की अस्मिता और महिला सम्मान के बड़े मुद्दे को जनता के बीच भुनाने का काम कर रही है. ये तो हो गई कल्पना सोरेन की बात, अब एक एक हम आपको बताते है तीनों नेताओं के बारे में.
1. अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू
अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू की बात करे तो. अभिषेक को हेमंत सोरन का आंख- कान माना जाता है. इतना ही नहीं राजनीतिक गलियारों में यह भी कहा जाता है कि अभिषेक हेमंत सोरेन के सबसे करीबी है.
साल 2019 में जब हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने तो अभिषेक को उनका प्रेस सलाहकार बनाया गया. लेकिन इसी साल ईडी ने हेमंत सोरेन पर जब शिकंजा कसा तो इसके लपटे में अभिषेक भी आए.
हालांकि अब हेमंत सोरेन के साथ-साथ अभिषेक भी चुनावी मैदान में है. यहां तक की अभिषेक उर्फ पिटूं को झामुमो ने स्टार प्रचारक नियुक्त कर दिया है.
हेमंत के मंच और मुद्दे तय करने में निभा रहे हैं खास योग्दान
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अभिषेक प्रसाद उर्फ पिंटू मुख्य रूप से हेमंत के सारे प्लानिंग को अमल में लाने का काम कर रहे हैं. इसका जीता जागता उदाहरण है हाल ही में भाजपा के 6 बडे नेताओं को झामुमो के पाले में लाना.
राजनीतिक गालियारो में कहा जा रहा है कि राज्य के इतिहास में झामुमो के लिए यह सबसे बड़ा सियासी ऑपरेशन था. और इस काम में पिंटू ने अहम भूमिका निभाई. इसलिए सभी भाजपा नेताओं को रात में ही सीएम आवास बुलाया गया और सभी को पार्टी में शामिल कराया गया. माना जाता है हेमंत सोरेन का मंच और मुद्दा तय करने में भी पिंटू का सबसे बड़ा योगदान रहता है.
2. सुप्रियो भट्टाचार्य
इसी क्रम में आगे बढ़ते हैं सुप्रियो भट्टाचार्य की ओर. सुप्रियो भट्टाचार्य झारखंड मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय महासचिव और प्रवक्ता हैं. सुप्रियो झामुमो के सबसे बड़े टीवी फेस भी हैं.
हालांकि, इस बार सुप्रियो चुनावी रणनीति बनाने में पर्दे के पीछे से अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं. बता दें कि सुप्रियो झामुमो के चुनाव से जुड़े सभी मुद्दो को देखते हैं.
सुप्रियो इन मुद्दों पर देते है खास ध्यान
दिलचस्प बात तो ये है कि सुप्रियो यह भी देखते है कि किन मुद्दों पर आयोग और भाजपा को बैकफुट पर लाया जाए, इसकी रणनीति वे खुद ही तैयार करते हैं. हाल ही में उनके द्वारा उठाए गए दो बड़े मुद्दे झारखंड की सियासत में खूब सुर्खियां बटोरी. पहला तो ये कि सुप्रियो ने आरोप लगाया कि ग्रामीण इलाकों में वोटिंग का समय आयोग ने कम कर दिया है, जिस पर आयोग को सफाई देनी पड़ गई.
इसके अलावे दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा सुप्रियो ने बरहेट में हेमंत के प्रस्तावक के अपहरण का मुद्दा उठाया था. कहा जाता है कि हेमंत के प्रस्तावक को अपने पाले में लाकर भाजपा बरहेट में खेल करना चाहती थी, लेकिन सुप्रियो ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर मुद्दे को ही डायवर्ट कर दिया.
3. विनोद पांडेय
तीसरा और आखिरी नाम है विनोद पांडेय का. झामुमो महासचिव विनोद कुमार पांडे भी पर्दे के पीछे ही जीत की रणनिति तैयार कर रहे हैं. विनोद पांडे उम्मीदवारों के सिलेक्शन से लेकर सहयोगियों तक से बातचीत और बगवात को रोकने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं. इतना ही नहीं झामुमो के बड़े फैसले में भी उनका सीधा हस्तक्षेप रहता है.
दुर्गा सोरेन के जरिए सोरेन परिवार के करीब आए
बता दें कि विनोद पांडेय शिबू सोरेन के बड़े बेटे दुर्गा सोरेन के जरिए ही सोरेन परिवार के करीब आए . और विनोद पांडे को लेकर कहा जाता है कि वे भी हेमंत सोरेन के करीबी हैं.
कल्पना की राजनीतिक एट्री में निभाया अहम रोल
बहरहाल, जब हेमंत सोरेन को जेल हुआ और पार्टी राजनीतिक संकट से गुजर रही थी तो उस दौरान विनोद पांडेय ने ही कल्पना सोरेन को राजनीति मंच पर लॉन्च किया. इतना ही कल्पना के साथ हर एक मंच पर विनोद पांडेय उनके साथ दिखाई देते .
कल्पना सोरेन की राजनीतिक एंट्री में विनोद पांडेय ने ही अहम भूमिका निभाई थी. बहरहाल, 23 नवंबर को चुनावी नतीजे समाने आने के बाद ही साफ हो पाएगा कि झामुमो के पर्दे के पीछे पटकथा रचने वालों की रणनीति कितनी कारगार साबित हुई.