स्थानीयता के प्रश्न पर घिरे Tiger Jairam Mahto , टिकट बंटवारे में लग रहे हैं उगाही के आरोप

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क्या जयराम महतो ने पैसों के लिए अपनी पार्टी की सीटें बेची हैं? या फिर क्या उन्हें किसी ऑडियो या वीडियो के लीक हो जाने का डर है? क्या वे नहीं चाहते कि उनकी पार्टी में उनके अलावा कोई और चुनाव जीते और क्या वे जानबूझकर गलत प्रत्याशियों का चुनाव कर रहे हैं। ये वो सवाल है, जो उत्पन्न हो रहे हैं JLKM की दूसरी लिस्ट के बाद जन्में विवाद से। विवाद इस बात को लेकर कि आखिर क्यों पार्टी ने अपने ही नियमों का उलंघन कर टिकट का बंटवारा किया है?

जयराम के साथ उनके आंदोलन में शामिल कई नाम, उनकी पार्टी के कार्यकर्ता कुछ नेता और उनकी राजनीति पर नजर रखने वाले कई एक्सपर्ट इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा ने अपने प्रत्याशियों की जो सूची जारी की है, उसमें कई नाम विवादित हैं। और कई नामों पर पार्टी के ही लोगों का जबर्दस्त विरोध देखने को मिल रहा है।

क्या है विवाद, क्यों हो रहा है विरोध और क्या है इस पूरे प्रकरण का अर्थ। इन सभी सवालों का हम देने जा रहे हैं जवाब। हम बताने जा रहे हैं आपको उन सभी सीटों के बारे में जहांJLKM के प्रत्याशी के चयन को लेकर लोगों में नाराजगी है या फिर जहां पार्टी पर सीट बेचने के आरोप लग रहे हैं। एक बात हम स्पष्ट कर देते हैं, कि हम जय विश्लेषण उन आरोपों और कुछ साक्ष्यों के आधार पर कर रहे हैं, जो हमें मिले हैं या विभिन्न लोगों द्वारा दिये गए हैं। इस क्रम में हमने सोशल मीडिया पर तैर रहे कुछ वीडियोज की भी पड़ताल की है, आरोप सही सिद्ध होने पर या विश्वसनीय सूत्रों द्वारा उसे कनफर्मकिये जाने पर ही हम यह विश्लेषण करने जा रहे हैं।
तो फिर चलिए शुरू करते हैं जयराम का पार्टी JLKM की दूसरी सूची जारी होने के बाद जन्मे विवाद की और बताते हैं आपको कि आखिर उन आरोपों में कितनी सच्चाई है, जो जयराम और उनकी पार्टी पर लग रहे हैं।

सबसे पहला विवाद –

जयराम महतो स्थानीयता के मुद्दे पर मुखर हैं। ऐसे में उनसे उम्मीद की जा रही थी कि वे सभी सीटों से स्थानीय प्रत्याशी को जगह देंगे। लेकिन मोतीलाल महतो, खुद जयराम महतो जैसे कुछ नाम है, जो अपने स्थायनीय सीट से न लड़कर कहीं और से चुनाव लड़ रहे हैं। इसे लेकर लोगों में नाराजगी है।

दूसरा विवाद –

विधानसभा चुनाव लड़ने को लेकर सभी प्रत्याशियों से आवेदन का पर्चा भराया गया था। इन आवेदनों की स्क्रूटनी कर स्क्रीनिंग कमिटी को फैसला करना था। लेकिन सूत्रों ने बताया कि कई ऐसे प्रत्याशियों को टिकट मिला है, जिन्होंने उस विधानसभा सीट से आवेदन किया ही नहीं था। मसलन मनोज यादव ने राजधनवार से आवेदन किया था, उन्हें टिकट कोडरमा से मिला है। रिजवान और मोतीलाल ने भी उन सीटों से पर्चा नहीं भरा था, जहां से उन्हें टिकट मिला है।

तीसरा विवाद –

आरोप है कि JLKM ने ऐसे लोगों को टिकट दिया है, जो शुरुआत से आंदोलन के हिस्सा नहीं रहे हैं। यानी जो पार्टी बनने के बाद पार्टी में शामिल हुए हैं, जिनका भाषा या स्थानीयता के आंदोलन में कोई भूमिका नहीं थी, वे भी आज JLKM की टिकट पर चुनाव लड़ने जा रहे हैं। इससे ऐसे लोगों में नाराजगी है, जो आंदोलन में शामिल रहे हैं, और जिन्हें नजरअंदाज किया गया है। जबकि हमारी जानकारी में आंदोलन में भूमिका के आधार पर पार्टी अपने लोगों का मूल्यांकन भी कर रही थी।

अब हम आते हैं दो ऐसे विवाद पर, जिसपर हंगामा बरपा है, जो आधी-अधूरी आपके कानों तक भी पहुंची होगी। दो महिला प्रत्याशियों को लेकर। जी हां, एक एक दोनों पर बात करते हैं।

सबसे पहले बात सिंदरी की महिला प्रत्याशी ऊषा देवी की। बताया जा रहा है कि ऊषा देवी के पति का नाम आशीष महतो है, वे JLKM के संभवतः सदस्य रह चुके हैं। लेकिन लोकसभा चुनाव के दौरान उनका एक ऑडियो सामने आया था, जिसमें वे यानी आशीष महतो यह कह रहे थे कि जयराम महतो ने कहा है कि धनबाद में अखलाख अंसारी को नहीं, ढुल्लू महतो को जिताना है।ऐसा आशीष महतो कह रहे थे, कि जयराम महतो ने ऐसा कहा है। इसके बाद यह ऑडियो जयराम महतो के पास भी पहुंची और उन्होंने आशीष महतो को पार्टी से निष्कासित कर दिया। हमें यही जानकारी है।

लेकिन अब उसी निष्कासित व्यक्ति की पत्नी को टिकट देने का क्या औचित्य या मजबूरी है, यह बात जयराम के भी समर्थकों को समझ नहीं आ रहा है। KJLM के कुछ लोगों ने हमें बताया कि किसी एक मीटिंग में, जिसमें बेहद कम लोग उपस्थित थे, उसमें ऊषा देवी ने कहा कि उनके पास जयराम का एक ऑडियो है। और अगर पार्टी उन्हें टिकट नहीं देती है, तो वे वह ऑडियो वायरल कर देंगे। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि इसी दबाव में आकर पार्टी ने उन्हें टिकट दिया है।

जबकि इसी सिंदरी सीट से पार्टी के कुश महतो का नाम भी सामने आ रहा था, जो अब टिकट कटने के कारण नाराज हैं। उनके समर्थक जयराम के घर भी गए थे, लेकिन जयराम अपने घर में नहीं मिले। कुश महतो के समर्थकों का भी यही कहना है, जो हमने आपको अभी बताया। कुछ लोग ऊषा देवी और उनके पति को जमीन घोटाले में संलिप्त बता रहे हैं। इन आरोपों की पुष्टि हम नहीं करते, ये बातें तमाम प्लेटफॉर्म पर कही जा रही है।

आब बढ़ते हैं दूसरी सीट बोकारो की तरफ। JLKM की तरफ से यहां की प्रत्याशी हैं सरोज कुमारी। सरोज कुमारी पेशे से शिक्षिका हैं, किसी सरकारी अनुदान के स्कूल में पढ़ाती हैं। उनके पति भी शिक्षक हैं। लेकिन बताया जा रहा है कि सरोज कुमारी दो कंस्ट्रक्शन कंपनी की मालकिन भी है। कंपनी के नाम हैं मां तारा एसोसिएट और गौरीकंस्ट्क्शन। यानी कि वे सरकारी अनुदान प्राप्त विद्यालय में कार्यरत होने के साथ-साथ दो कंपनी की निदेशक भी हैं।

सरोज कुमारी पर आरोप हैं कि वे बोकारो-चास और आस-पास के जमीनों की हेरा-फेरी में संलिप्त हैं और उनपर इन मामलों में एकआईआर भी हुए हैं। बोकारो इलाके में ही एक सतनपुर पहाड़ का भी जिक्र आ रहा है, जो आरोपों के मुताबिक सरोज कुमारी के हेरा-फेरी के कारण किसी को बेच दिया गया है। इस संदर्भ में उनके पति ……… का भी नाम आ रहा है, लेकिन दस्तावेजों में सरोज कुमारी का ही नाम है। यह भी जानकारी मिल रही है कि सरोज कुमारी के नाम से लगभग 100 चेक बाउंस हुए हैं।

रांची के संचालित एक न्यूज पोर्टल ने इस संदर्भ में एक स्टोरी की है। इस स्टोरी के अनुसार स्पेशल ब्रांच के एक पूर्व दारोगा में सरोज कुमारी को कई किश्तों में कुल साढ़े आठ लाख रुपये दिये हैं। ये रूपये जमीन की खरीद के संबंध में दिये गए थे। लेकिन उन्हें न तो जमीन मिली और ना ही उनके पैसे वापस हो रहे हैं। अब जाकर उस पूर्व दारोगा ने थाने में एफआईआर दर्ज कराया है।

इस तरह के कई आरोप मुख्य रूप से सरोज कुमार पर लग रहे हैं। जिसकी जांच के बाद ही सही-गलत का फैसला किया जा सकता है। लेकिन इस पूरे प्रकरण में जयराम की फजीहत होती हुई दिख रही है। विशेषकर ऐसे लोग जो जयराम महतो के विरोध में किसी कारण से पहले से थे, वे इन मसलों को तूल दे रहे हैं। कुछ ऐसे भी लोगों की नाराजगी है, जो जयराम के साथ हैं, लेकिन टिकट बंटवारे से खुश नहीं है। इसलिए ऐसे आरोपों को हवा मिल पा रही है कि जयराम ने पैसे लेकर टिकट बेचे हैं।

गोड्डा से JLKM के प्रत्याशी परिमल ठाकुर के बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने जयराम को स्कॉर्पियोगिफ्ट की है, इसलिए उन्हें टिकट मिला है। इस बात में कितनी सच्चाई है, यह हम भी बताने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन ये चर्चाएं आम हो चुकी हैं। इसलिए हम इसे अपने विमर्श में शामिल कर रहे हैं।

दर्शकों, झारखंड चुनाव में तीसरा कोण बनने को अग्रसर जयराम का पार्टी JLKMअपनी दूसरी सूची के साथ ही विवादों में आ गई है। अभी और भी सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा बाकी है। जिस तरह की नाराजगी अभी देखने को मिली है, ये JLKM के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं।

-Vivek Aryan

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