राजधानी रांची की धरती अब उगलेगी सोना,यहां मिले दो नए सोने के भंडार

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झारखंड खनिजों का प्रदेश कहा जाता है. झारखंड में हर राज्य में लगभग हर तरह के खनिज प्रचूर मात्रा में उपलब्ध हैं. वहीं बीते कल राजधानी रांची में सोने के भी दो नए भंडार मिले हैं. प्रचुर खनिज संपदाओं और विस्तृत वन्य प्रदेश से भरपूर झारखंड पूरे देश का सबसे अमीर राज्यों में से एक है। इस क्षेत्र में कोयला, लौह अयस्क, अभ्रक, बॉक्साइट और चूना पत्थर और तांबा, क्रोमेट, एस्बेस्टस, क्यानाइट, चाइना क्ले, मैंगनीज, डोलोमाइट, यूरेनियम आदि के असीम भंडार हैं. और वहीं बीते कल राजधानी रांची में सोने के दो नए भंडार भी पाए गए हैं.

जीएसआई यानी जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के महानिदेशक जनार्दन प्रसाद ने शनिवार को अशोकनगर स्थित कार्यालय में प्रेसवार्ता कर यह जानकारी साझा की. उन्होंने बताया कि रांची में तमाड़ के बाबाईकुंडी और सिंदौरी घनश्यामपुर में सोने के दो नए भंडार मिले हैं। जीएसआई ने राज्य सरकार को इन दोनों भंडार की नीलामी की प्रक्रिया शुरू करने से संबंधित रिपोर्ट सौंप दी है। वहीं, ऊर्जा जरूरतों को देखते हुए किए गए शोध में कोडरमा में प्रचुर मात्रा में लीथियम का भंडार होने के भी संकेत मिले हैं। अब कोडरमा के माइका बेल्ट में लीथियम की खोज के लिए आगे के चरण की तैयारी की जा रही है। इस प्रेसवार्ता में जीएसआई के उपमहानिदेशक डॉ दीपायन गुहा, निदेशक पंकज कुमार, निदेशक डॉ एसके भारती भी उपस्थित थे.

जनार्दन प्रसाद ने बताया कि बबाईकुंडी में 0.510 टन और सिंदौरी में 0.767 टन सोना होने का अनुमान विभाग के सर्वे में लगाया गया है।
वहीं तमाड़ के परासी में पहले से देश का सबसे बड़ा सोने का खदान है, जो करीब 70 हेक्टेयर में फैला है। यहां 9.894 टन सोने के भंडार का अनुमान है। साल 2017 में इसे रूंगटा माइंस ने नीलामी में हासिल किया है, लेकिन फारेस्ट क्लीयरेंस और दूसरी कुछ वजहों से यहां उत्खनन नहीं हो पा रहा है।
महानिदेशक ने कहा कि भारत सरकार वैज्ञानिक संस्थाओं को लिथियम और क्रिटिकल माइनिंग के लिए फंडिंग कर रही है। उन्होंने बताया कि मिनिस्ट्री ऑफ माइंस मेटेलर्जी को बढ़ावा देने के लिए सीएसआईआर जैसी संस्थाओं के साथ एमओयू भी करने वाली है। उन्होंने कहा कि खनिज निकालना बड़ी बात नहीं है, उसका निष्कर्षण जरूरी है। इसके लिए सिम्फर, आईएमएमटी जैसी संस्थाओं के साथ एमओयू किया जा रहा है.

साथ ही महानिदेशक ने यह भी कहा कि जीएसआई की टीम को खनिज भंडारों की खोज में ग्रामीणों का सहयोग नहीं मिल रहा है। डाल्टनगंज में ग्रेफाइट के भंडार के लिए ड्रिलिंग नहीं हो पायी। स्थानीय लोगों को लगता है कि उनकी जमीन चली जाएगी। इससे वहां काम नहीं हो पाया। उन्होंने ग्रामीणों से अपील की कि ड्रिलिंग के बाद माइनिंग हो, यह जरूरी नहीं है। हो सकता है कि ड्रिलिंग के बाद माइनिंग न भी हो। इसलिए सहयोग करें।

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