मनरेगा

मनरेगा का आलम यह है कि जेल में बंद कैदी के नाम से भी भुगतान किया जा रहा है

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मनरेगा योजना कागजों में मजदूरों को रोजगार देने की गारंटी देने वाली है, लेकिन वर्तमान में इसकी स्थिति ऐसी हो गई है कि यह भ्रष्टाचार की गारंटी की योजना बन गई है. इटीवी झारखण्ड की खबर के मुताबिक, लातेहार जिले के सीसी पंचायत में मनरेगा घोटाले का आलम यह है कि जेल में बंद कैदी के नाम से भी मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है. सीसी पंचायत में मनरेगा योजना के फर्जीवाड़े का एक बड़ा मामला सामने आया है. यहां फर्जी रूप से मनरेगा योजना कागजों पर संचालित कर बड़े पैमाने पर राशि का बंदरबांट किया गया है.

स्थानीय लोगों का कहना है कि गांव में 600 से अधिक योजनाएं स्वीकृत दिखाई जा रही हैं, परंतु धरातल पर काम दिखता ही नहीं. गंभीर बात तो यह है कि जिन लाभुकों के नाम से योजनाओं की स्वीकृति दी गई है, उन लाभुकों को भी इसकी जानकारी नहीं है. ग्रामीण समृद्ध सिंह, मरांडी सिंह, रूपलाल सिंह समेत कई ऐसे लाभुक है जिनके नाम पर फर्जी तरीके से सिर्फ कागज पर ही योजनाओं का संचालन कर फर्जी मजदूरों के नाम से मजदूरी की राशि निकाल दी जा रही है.

जेल में बंद कैदी के नाम पर भी निकाल दी गई मजदूरी की राशि

बरियातू गांव निवासी सोनू कुमार सिंह नामक व्यक्ति के नाम से भी मनरेगा योजना में मजदूरी की राशि निकाली गई है. सोनू सिंह 5 मई 2023 को जेल गया था और 1 जुलाई तक जेल में था. परंतु 17 मई 2023 से लगातार 15 दिनों तक उसके नाम से डिमांड खोला गया और सोनू कुमार सिंह को मनरेगा योजना में मजदूरी करने के एवज में खाते में मजदूरी भुगतान कर दी गई. इसी प्रकार दो नाबालिग मजदूरों के नाम से भी फर्जी रूप से मनरेगा मजदूर बनाकर पैसे की निकासी की गई है. जबकि दोनों की उम्र लगभग 12 से 13 वर्ष है.

फर्जी योजनाओं की निकाली पूरी फाइल

ग्रामीण विजय सिंह, स्थानीय ग्रामीण राम सिंह, पूर्व वार्ड सदस्य ईश्वरी प्रजापति, स्थानीय ग्रामीण अविनाश पासवान आदि ने बताया कि पंचायत में हुए फर्जी योजनाओं की पूरी लिस्ट निकाल ली गई है. ग्रामीणों ने बताया कि पूरे पंचायत में मनरेगा योजना में जमकर भ्रष्टाचार की गई है. ग्रामीणों ने बताया कि कई मामले तो ऐसे भी आए हैं, जहां एक ही योजना को दो अलग-अलग पंचायत के द्वारा अपनी-अपनी योजना दिखाकर पैसे का बंदरबांट किया गया है.

टीसीबी निर्माण के नाम पर जेल में बंद कैदी के अलावे नाबालिग बच्चों के नाम पर भी फर्जी आईडी बनाकर पैसे की निकासी की गई है. इसके अलावा शहरी क्षेत्र के रहने वाले दर्जनों लोगों का फर्जी आईडी बनाकर मनरेगा मजदूर दिखाते हुए उनके नाम से पैसे की निकासी की गई है.

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