Ranchi: पारा शिक्षकों की सरकार से वार्ता विफल हो गई. मानदेय वृद्धि, ईपीएफ, दुर्घटना बीमा, अनुकंपा आधारित नौकरी सहित अन्य मुद्दों को लेकर आज सहायक अध्यापक संघर्ष मोर्चा का प्रतिनिधिमंडल स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के मंत्री वैद्यनाथ राम से मिला था लेकिन मांगों पर आम सहमति नहीं बन पाई है. सरकार ने वार्ता के लिए नई तारीख दी है लेकिन पारा शिक्षक दुखी हैं.
पारा शिक्षकों में रोष और नाराजगी है. गौरतलब है कि 2 माह में विधानसभा के चुनाव हैं और प्रदेश में 70 हजार से ज्यादा पारा शिक्षकों की नाराजगी सत्ताधारी दल को भारी पड़ सकती है. नाराजगी का आलम क्या है उसे संघर्ष मोर्चा के राज्य प्रतिनिधि मो. सिद्धीक शेख के बयान से समझा जा सकता है.
सरकार के साथ बातचीत विफल होने के बाद मो सिद्दीक शेख ने कहा कि सरकार वेतनमान देने का अपना वादा भूल चुकी है.
समझौते के मुताबिक पारा शिक्षकों को ईपीएफ का लाभ देना था लेकिन सरकार इस वादे से भी मुकर गई. उन्होने कहा कि यदि वेतनमान देने में कोई अड़चन है तो कम से कम सरकार वेतनमान के समतुल्य मानदेय देने पर विचार करे लेकिन यहां भी उदासीनता ही झलकती है.
उन्होंने स्पष्ट कहा कि सरकार के ढुलमूल रवैये से पारा शिक्षकों में आक्रोश बढ़ रहा है जिसका परिणाम निश्चित रूप से ठीक नहीं होगा.
गौरतलब है कि 2019 के विधानसभा चुनाव के समय सीएम हेमंत सोरेन ने वादा किया था कि उनकी सरकार बनी तो 3 महीने के भीतर पारा शिक्षकों का स्थायीकरण कर वेतनमान दिया जायेगा लेकिन आज भी ये वादा अधूरा है. पारा शिक्षकों का मानना है कि बीच में सरकार ने जरूर कुछ मानदेय बढ़ाया था लेकिन वक्त और हालात के हिसाब से वो नाकाफी है.
बता दूं कि हाल ही में पारा शिक्षकों ने आंदोलन भी किया था. सीएम आवास का घेराव करने जा रहे पारा शिक्षकों पर लाठीचार्ज हुआ था. आंसू गैस के गोले दागे गये थे. आंदोलन का रुख आक्रामक होता देख शिक्षा मंत्री बैद्यनाथ राम ने वार्ता के लिए बुलाया था.
अब ये भी समझ लीजिए कि पारा शिक्षकों और विभाग के बीच वार्ता के मुख्य बिंदु क्या थे और बातचीत कैसे विफल हो गई.
सरकार तत्काल प्रभाव से मानदेय में 2000 रुपये की वृद्धि का ऑफर दे रही थी लेकिन संगठन वेतनमान के समतुल्य मानदेय से कम कुछ भी स्वीकार करने को तैयार नहीं है. पारा शिक्षकों की मांग है कि उनका कार्यका 62 वर्ष का हो. मंत्री ने कहा कि सीएम से सहमति लेकर विचार करेंगे. आकलन परीक्षा में 5000 पारा शिक्षकों को क्वेश्चन गलत होने की वजह से दिक्कतें आईं. इस बाबत मंत्री ने जैक अध्यक्ष को तलब किया है. आकलन परीक्षा का आयोजन 10 फीसदी मानदेय वृद्धि के लिए किया गया था.
सरकार ने यह भी प्रस्ताव दिया कि अनुकंपा में संशोधन किया जायेगा. अनुबंध स्तरीय पदों पर भी पारा शिक्षकों के परिजनों को इसका लाभ मिलेगा. विभाग ने कहा कि शहरी इलाकों में पारा शिक्षकों के मानदेय में 4 फीसदी वार्षिक वृद्धि का प्रस्ताव अगली कैबिनेट में पारित किया जायेगा. विभाग ने कहा कि पारा शिक्षकों को हर साल सेवा संपुष्टि की बाध्यता से भी मुक्ति मिलेगी.
जेटेट परीक्षा में सभी विषयों में पास होने की बाध्यता खत्म होगी. कल्याण कोष में सेवानिवृत्ति राशि, दुर्घटना बीमा और मेडिकल सुविधा बहाल की जायेगी.
सहायक अध्यापक सेवा शर्त नियमावली-2021 में संशोधन करके सीटेट को भी जेटेट के समतुल्य लाभ दिया जायेगा.
गौरतलब है कि पिछली सरकार में वेतनमान, स्थायीकरण, ईपीएफ और अनुकंपा पर नौकरी जैसी कई मांगों को लेकर पारा शिक्षकों ने आंदोलन किया था. तब की रघुवर सरकार ने मांगें नहीं मानी.
रांची में आंदोलन के दौरान पारा शिक्षकों पर लाठीचार्ज भी हुआ था. तब झारखंड मुक्ति मोर्चा के हेमंत सोरेन ने चुनावी घोषणापत्र में वादा किया था कि सरकार बनते ही 3 महीने के भीतर स्थायीकरण और वेतनमान का लाभ दिया जायेगा. अब तो पूरा कार्यकाल खत्म होने को है और पारा शिक्षकों के हिस्से मानदेय वृद्धि का झुनझुना ही आ पाया है.
इस बीच दर्जनो बार आंदोलन हुए. धरना प्रदर्शन हुआ लेकिन नतीजा नहीं निकला. ये वार्ता भी विफल हो गई। देखते क्या होता है.