झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर ट्वीट कर अपनी खुशी जाहिर की है. सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद हेमंत सोरेन अपनी खुशी जाहिर करने से खुद को रोक नहीं पाए.
हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर लिखा- बड़ी जीत ! माननीय सुप्रीम कोर्ट का आभार
सुप्रीम कोर्ट के आज के ऐतिहासिक फ़ैसले से हमारी लगातार मांग सफल हुई है
अब झारखंड को केंद्र से मिलेंगे अपने बकाये के 1 लाख 36 हज़ार करोड़ रुपये !
हर झारखंडी के इस बकाये/अधिकार को लेकर आपकी अबुआ सरकार लगातार आवाज़ बुलंद कर रही थी।
अब हमें 2005 से खनिज रॉयल्टी का बकाया मिलेगा, 12 साल में चरणबद्ध तरीक़े से यह भुगतान होगा
राज्यवासियों के हक़ सुरक्षित होने के साथ इन पैसों का उपयोग जन-कल्याण में होगा, और हर झारखंडवासी को इसका पूरा लाभ मिलेगा.
अब पूरे मामले पर एख नजर डालते हैं .दरअसल आज सुप्रीम कोर्ट ने खनिज रॉयल्टी मामले पर अपना फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को एक अप्रैल 2005 के बाद से केंद्र सरकार, खनन कंपनियों से खनिज संपन्न भूमि पर रॉयल्टी का पिछला बकाया वसूलने की अनुमति दे दी है. कोर्ट ने खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकरण बनाम मेसर्स स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया एवं अन्य के फैसले के आधार पर राज्यों को पिछली अवधि के लिए बकाया कर वसूलने की अनुमति दी है.
फैसला सुनाने वाली 9 जजों की बेंच की अध्यक्षता सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने की और इसमें जस्टिस हृषिकेश रॉय, अभय ओका, बीवी नागरत्ना, जेबी पारदीवाला, मनोज मिश्रा, उज्जल भुयान, एससी शर्मा और एजी मसीह शामिल हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने खुद और सात सहयोगियों की ओर से ये फैसला सुनाया. न्यायालय ने 8:1 के बहुमत से माना कि राज्यों को खनिज अधिकारों पर कर लगाने का अधिकार है.
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि इस निर्णय के आधार पर राज्यों द्वारा कर की वसूली 1 अप्रैल, 2005 से पहले की अवधि के दौरान किए गए लेन-देन पर लागू नहीं होनी चाहिए. न्यायालय ने आगे कहा कि 25 जुलाई, 2024 से पहले की अवधि के लिए की गई मांग पर कोई ब्याज या जुर्माना नहीं लगाया जाना चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद केंद्र सरकार और माइनिंग कंपनियों को बड़ा झटका लगा है.
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बीते 2-3 सालों से इस मामले पर केंद्र सरकार को लगातार घेर रहे थे. हेमंत सोरेन ने बार-बार खुले मंच से कहा है कि कोल कंपनियों के पास राज्य का 1 लाख 36 हजार करोड़ रुपये बकाया है. इसका राज्य को जल्द भुगतान किया जाये.
उन्होंने बताया था कि इस मामले में उन्होंने तात्कालीन केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी को पत्र लिखा था. लेकिन इस संबंध में भारत सरकार का कोई ध्यान नहीं दिया है.
अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद झारखंड सहित खनिज व खदान संपन्न राज्य ओडिशा, झारखंड, बंगाल, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान को भी फायदा होगा.
हालांकि अब केंद्र सरकार कब तक इन राज्यों का भुगतान करेगी ये तो आने वाले वक्त में ही पता चलेगा.