अदानी और हिंडनबर्ग मामले के 12 संदिग्ध ट्रांजेक्शनों की होगी जांच, जानिए पूरा मामला

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हिंडनबर्ग ने 24 जनवरी को एक रिपोर्ट जारी किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि अदानी ग्रुप पर धोखाधड़ी और शेयरों की कीमतों पर छेड़छाड़ की गई है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च को सेबी से कहा था कि वह 2 मई तक स्टेटस रिपोर्ट जारी करें. बता दें, सुप्रीम कोर्ट ने सेबी को कुल दो महीने तक का समय दिया था.

सुप्रीम कोर्ट की अगली सुनवाई तक सेबी को मुख्य तीन बातों की पुष्टि करने को कहा है

 – क्या कानूनों का उल्लंघन कर शेयरों की कीमतों में छेड़छाड़ की गई है?

– क्या वह संबंधित पार्टियों के साथ लेन-देन की जानकारी देने में विफल रही है?

– और क्या अदानी ग्रुप ने प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) नियम, 1957 के नियम 19ए का उल्लंघन किया है?

बीबीसी के हवाले से एक अखबार के मुताबिक सेबी का कहना है कि पहली नजर में ही उसे संभावित उल्लंघन करने वाली 12 ट्रांजेक्शन दिखाई दी हैं और शेयरों की कीमतों में छेड़छाड़ से लेकर कई अलग-अलग तरह के कानूनों का उल्लंघन हो सकता है. साथ ही सेबी ने कोर्ट को 12 संदिग्ध ट्रांजेक्शन की जांच को लेकर कहा कि उसे इस तरह की कठिन जांच के लिए कम से कम 12 से 15 महीने का समय लगता है लेकिन वह इसे छह महीने से पहले पूरा करने की पूरी कोशिश करेगी.

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के लिए एक कमिटी का गठन किया था. यह गठन कमिटी मार्च में रिटायर्ड न्यायाधीश एएम सप्रे की अध्यक्षता में हुआ था. इस कमिटी में जस्टिस सप्रे के अलावा जस्टिस के.वी कामथ, नंदन नीलेकणी, सोमशेखर सुंदरेशन, जे.पी. देवधर और ओ.पी. भट्ट भी हैं.

यह पैनल हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद बाजार पर पड़ने वाले असर, इससे नियम बनाने वाले ढांचे को मजबूत करने के उपाय सुझाने का काम करेगा और जिन्होंने निवेश किया है. उनको जागरूक करने के उपाय सुझाने का काम करेगा.

बता दें, अदानी ग्रुप ने सुप्रीम कोर्ट के दिए गए आदेश की सराहना करते हुए कहा कि “सच्चाई की जीत होगी.”

वहीं, अदानी ने खुद ट्वीट करते हुए लिखा था. “अडानी ग्रुप माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का स्वागत करता है. यह समयबद्ध तरीके से अंतिम रूप लाएगा. सच्चाई की जीत होगी.”

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