निशिकांत दुबे की पत्नी के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने किया स्वीकार, जानें क्या है पूरा मामला

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गोड्डा सांसद निशिकांत दुबे और उनकी पत्नी अनामिका गौतम की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अनामिका गौतम के खिलाफ दर्ज याचिका को स्वीकार कर लिया है और कहा है कि जनवरी में इस पर सुनवाई होगी. यह याचिका देवघर के एक जमीन विवाद से जुड़ी है, जो झारखंड सरकार की तरफ से दायर की गई है.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार झारखंड सरकार की विशेष याचिका पर सुनवाई के दौरान गुरुवार को जस्टिस संजय किशन कौल की खंडपीठ ने राज्य सरकार की इस याचिका को स्वीकार कर लिया है। इस याचिका को झारखंड हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था, जिसके बाद राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के पास गई थी.

आईए हम समझते हैं कि यह पूरा मामला क्या है

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे की पत्नी अनामिका गौतम पर देवघर में 20 करोड़ की जमीन को महज 3 करोड़ में खरीदने का आरोप लगा है, जो कि नियम के विरुद्ध है. यह मामला 2019 का है. इस मामले पर मुख्यमंत्री कार्यालय में शिकायत दर्ज हुई और कर राजस्व घाटे का आरोप लगाते हुए, जांच की मांग की गई.

शिकायत कर्ता द्वारा सीएम ऑफिस भेजे गए शिकायत पत्र में बताया गया कि देवघर में एलओकेसी धाम की रजिस्ट्री 29 अगस्त 2019 को हुई, जिसकी रजिस्ट्री संख्या 770 है. आरोप लगाया गया कि सांसद ने अपने राजनीतिक प्रभाव के बल पर करीब 20 करोड़ की कीमत वाली प्रॉपर्टी सिर्फ तीन करोड़ में अपनी पत्नी के नाम पर खरीद ली। इससे झारखंड सरकार को लाखों रुपये के राजस्व का घाटा हुआ है.

इस शिकायत के साथ पैमेंट की रसीद और सभी डॉक्यूमेंट भी भेजे गए। रसीद में इस बात का जिक्र है कि जमीन खरीदने के लिए सांसद की पत्नी की तरफ से तीन करोड़ नगद रुपये दिए गये। और यह भी नियम के विरुद्ध हैं.

देवघर के बम्पास टाउन निवासी विष्णुकांत झा ने इस मामले को लेकर देवघर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। विष्णुकांत ने देवघर के रजिस्ट्रार, सब रजिस्ट्रार, देवघर सीओ, अनामिका, शेषाद्री दुबे व अनामिका के अधिवक्ता पर शपथपत्र में छेड़छाड़ का भी आरोप लगाया है. इसलिए मामला मनी लांड्रिग व सरकार के साथ धोखाधड़ी करने तथा सरकार को राजस्व का नुकसान पहुंचाने का है। उन्होंने जांच कर कार्रवाई की मांग की है.

झारखंड हाईकोर्ट में प्रार्थी राम अयोध्या शर्मा ने सासंद निशिकांत दुबे की पत्नी के नाम जमीन खरीदने की जांच को लेकर जनहित याचिका दाखिल की थी. प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने याचिका दाखिल की और मामले की जांच इनकम टैक्स विभाग से कराने की मांग की थी। लेकिन हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसके बाद सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका स्वीकार करते हुए जनवरी में सुनवाई का आदेश दिया है.

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