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बीजेपी की ‘गोगो दीदी योजना’ पर हिमंता ने सीएम हेमंत को क्या चेतावनी दे डाली

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बीजेपी की चुनाव पूर्व गोगो-दीदी योजना को लेकर झारखंड की सियासत गरमा गयी है.

बीजेपी इस योजना का फॉर्म घर-घर जाकर भरवा रही है.

झारखंड मुक्ति मोर्चा ने इसे चुनाव आयोग के नियमों का उल्लंघन बताया.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभी जिलों में उपायुक्तों को मामले का संज्ञान लेकर कार्रवाई करने का निर्देश दिया तो बीजेपी भड़क गयी.

प्रदेश बीजेपी के तमाम बड़े नेता अब सरकार पर हमलावर हैं.

इस कड़ी में अब झारखंड में सह चुनाव प्रभारी नियुक्त किए गये असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि हमारी गतिविधि में किसी भी प्रकार के हस्तक्षेप को अवैध माना जायेगा.

पूरा मामला क्या है? समझते हैं.

बीजेपी के चुनाव पूर्व वादे पर सियासत
झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार द्वारा ल़ॉन्च की गयी मईंया सम्मान योजना के जवाब में भारतीय जनता पार्टी चुनाव पूर्व वादे के रूप में गोगो दीदी योजना लाई है.

जहां हेमंत सरकार ने राज्य की 18-49 वर्ष के आय़ुवर्ग की महिलाओं को 1000 रुपये प्रतिमाह दे रही है तो वहीं बीजेपी ने गोगो दीदी योजना के माध्यम से महिलाओं को प्रतिमाह 2100 रुपये देने का वादा किया है.

बीजेपी के कार्यकर्ता घर-घर जाकर महिलाओं से फॉर्म भरवा रहे हैं.

झामुमो ने ट्वीट कर इस पर सवाल उठाया.

इसे चुनाव आयोग के नियमों का उल्लंघन बताया. आदर्श आचार संहिता का भी उल्लंघन बताया.

मुख्यमंत्री ने भी सभी जिलों के डीसी को कार्रवाई करने का निर्देश दिया. अब जवाब में बीजेपी के नेता हमलावर हो गये हैं.

प्रदेश बीजेपी के तमाम शीर्ष नेताओं ने इसे तुगलकी फरमान कहा.

हिमंता बिस्वा सरमा ने सीएम को क्या कहा
हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा कि चुनाव आयोग की आदर्श आचार संहिता चुनाव अधिसूचना जारी होने की तिथि से प्रभाव में आती है.

अधिसूचना जारी होने तक प्रत्येक राजनीतिक दल को अपने कार्यक्रम संचालित करने का अधिकार है. जब तक हम किसी नियम या संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं तो, हमारी गतिविधियों में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप अवैध माना जायेगा.

 

हेमंत सरकार पर हमलावर हो गयी बीजेपी
इससे पहले बाबूलाल मरांडी ने सीएम के निर्देश को बीजेपी के महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त करने के प्रयासों का दमन बताया तो वहीं अमर कुमार बाउरी ने कहा कि हेमंत सरकार हमारी गोगो दीदी योजना से डर गयी है और हमारे कार्यकर्ताओं को अधिकारियों के माध्यम से डराया जा रहा है.

गौरतलब है कि झारखंड में चुनाव की तारीखों का ऐलान दशहरा के बाद संभव है. हालांकि, सियासी दल रण में उतर चुके हैं.

आरोप-प्रत्यारोप के साथ वादों और घोषणाओं का सिलसिला जारी है.

 

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