झारखंड की सियासत में बढ़ रही है महिलाओं की भागीदारी,इतने सीटों पर आजमा रही है भाग्य !

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Ranchi : झारखंड विधानसभा चुनाव के कुछ ही दिन में मतदान हो जाएगा. दो चरणों में चुनाव है. इलेक्शन कमीशन के दिए गए आकंडो के मुताबिक पहले चरण में 683 और दूसरे चरण में 318 है.

माने ये इस बार कुल प्रत्याशियों की संख्या 1 हजार एक है. जो पिछले बार के आंकड़े से 215 कम हैं. पिछले चुनाव में कुल 1216 प्रत्याशी मैदान में थे. पिछली दफा पांच चरणों में वोटिंग किए गए थे.

लेकिन आज हम आपको बताएंगे 1,001 प्रत्याशियों में महिला प्रत्याशी कितनी है जो इस बार अपना भाग्य आजमा रही है. साथ ही हम बताएंगे कि कौन से राजनीतिक दल ने कितनी महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारा है.

128 महिलाएं चुनावी मैदान में 

विधानसभा चुनाव की सरगर्मी तेज है. सभी प्रत्याशी अब अपने -अपने क्षेत्र में प्रचार अभियान पर जोर दे रहे हैं. खैर हम मुद्दे पर आते हैं. इस वीडियो में हम महिलाओं की बात करे तो पिछले चुनाव में 127 महिलाएं मैदान में थी लेकिन पिछले बार की अपेक्षा इस बार 1 अधिक है. यानि 128 महिलाएं अपना किस्मत आजमा रही हैं.

इतने सीटों पर नहीं लड़ रही है चुनाव 

हालांकि अब तक 81 सीटों में 23 सीटें ऐसी है जहां कोई महिला चुनाव नहीं लड़ रही है. यह संख्या कुल सीटों का 28 प्रतिशत है. पहले चरण की 43 सीटों में ऐसी 12 और दूसरे चरण की 38 सीटों में ऐसी 11 सीटें है जहां महिला चुनाव नहीं लड़ रही है.

बहरहाल, पहले चरण की सीटों में नौ सीटें ऐसी है जहां महज एक – एक महिला चुनाव लड़ रही है. इसी तरह दूसरे चरण की 12 सीटों पर महज एक- एक महिला प्रत्याशी चुनाव लड़ रही है.

इसी तरह राज्य में कुल 21 सीटें ऐसी हैं जहां एक- एक महिला उम्मीदवार ही मैदान में है. हालांकि इनमें अधिसंख्य सीटों पर महिला प्रत्याशी काफी मजबूत हैं और पुरूषों को टक्कर दे रही हैं. इनमें कई पूर्व में भी चुनाव जीत चुकी हैं.

इस दल ने इतने महिलाओं को दिया टिकट 

अब बताते हैं कि इस बार कौन से राजनीतिक दलों ने कितने महिलाओं को टिकट दिया है. भाजपा की बात करें तो 12 महलाओं को चुनावी मैदान में उतारा है. आजसू ने 2 , कांग्रेस 6, झारखंड मुक्ति मोर्चा 5 और राजद ने एक महिला को टिकट दिया है.

चुनावी मैदान में 2 थर्ड जेंडर

इस बार के चुनाव में सबसे खास बात तो ये ही कि पहली बार विधानसभा चुनाव में दो थर्ड जेंडर चुनावी मैदान में उतरी हैं. इसमें हाटिया विधानसभा सीट से नगमा रानी निर्दलीय प्रत्याशी है. जबकि गिरिडीह से अश्विनी अंबेडकर. आपको बाद दें कि इसी साल हुए लोकसभा चुनाव के दौरान भी धनबाद सांसदीय सीट से एक थर्ड जेंडर चुनाव लड़ी थी.

चार चुनाव में कितनी महिलाएं आजमा चुकी है भाग्य 

अब हम बात करते हैं अब तक हुए चुनाव में कितने महिला प्रत्याशियों ने अपना भाग्य आजमाया है. साल 2005 से 2019 तक के चुनाव में 5,055 उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा चुके हैं. इनमें 4,639 पुरुष और 416 महिलाएं थी.

यानी महिलाओं की संख्या मात्र 8.2 प्रतिशत रही है. यह स्थिति तब है, जब कुल मतदाताओं में आधी आबादी महिलाओं की है. कई विधानसभा क्षेत्रों में तो इनकी संख्या पुरुषों के मुकाबले ज्यादा है. इतना ही नहीं राजनीतिक दलों में भी महिला उम्मीदवारों को लेकर न तो दिलचस्पी है और न ही वे महिलाओं की सत्ता में भागीदारी बढ़ाने की इच्छा रखते हैं.

इसका सबसे बड़ा प्रमाण 2024 का विधानसभा चुनाव है. इसमें भी एनडीए और इंडिया गठबंधन ने मात्र 26 महिलाओं को ही उम्मीदवार बनाया है. राज्य के 78 विधानसभा क्षेत्र ऐसे हैं, जहां अबतक एक भी महिला ने चुनाव नहीं लड़ा है.

उन्हें न तो राजनीतिक दलों ने उम्मीदवार बनाया, न ही महिलाओं ने अपनी ओर से पहल की है.साल 2005 के चुनाव में 29, 2009 में 16, 2014 में 19 और 2019 में 14 विधानसभा सीटों में महिला चुनाव मैदान में नहीं उतरीं थी.

कितनी महिला जीत चुकी है चुनाव 

अब सावल तो है कि इन चार चुनाव में कितनी महिलाएं चुनाव में विजय होकर विधानसभा पहुंची है तो यह भी हम आपको बताते हैं. अबतक हुए 4 चुनाव में 416 महिलाओं में सिर्फ 29 महिला ही जीत कर विधानसभा पहुंच पाई हैं.

साल 2005 के चुनाव में सिर्फ दो महिलाएं जीती थीं. 2009 में 8, 2014 में 8 और 2019 में 10 महिलाएं चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचीं.

इन सीटों पर हुए उपचुनाव में भी महिलाओं ने मारी बाजी 

हालांकि मांडर और गांडेय में हुए उपाचुनाव में भी महिला प्रत्याशी ही विजय होकर विधानसभा पहुंची. विधासनभा में महिलाओं की संख्या बढ़ रही है लेकिन अभी भी लंबी दूरी तय करनी है.

स्टार प्रचारकों में भी महिलाओं की भागीदारी कम

इसके अलावे हम बात करे स्टार प्रचारकों की तो. इसमें भाजप और आजसू ने तीन महिलाओं को स्टार प्रचारक बनाया है जबकि लोजपा 1 तो वहीं कांग्रेस चार, झामुमो पांच, माले तीन जबकि सबसे अधिक राजद ने छह महिला स्टार बनाएं है.

मतलब ये कहना गलत नहीं होगा कि राजनीति में महिलाओं को बराबरी का हिस्सादारी देने की बात करने वाली पार्टियां भी इस बार महिलाओं को स्टार प्रचारक बनाने में कंजूसी कर दी है.

खैर अब देखना होगा कि इस बार के चुनाव में 128 महिला प्रत्याशी भाग्य आजमा रही है उनमें कितनी महिलाओं को सफलता मिल पाती है ये तो 23 नवंबर को ही साफ हो पाएगा.

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