झारखंड विधानसभा के नियुक्ति में अनियमितता के मामले में अब विधायक सरयू राय ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. सरयू राय ने इस मामले को लेकर बड़ा बयान दिया है. राय ने दावा किया है कि विधानसभा नियुक्ति मामले में विक्रमादित्य आयोग की जांच रिपोर्ट हाईकोर्ट में दाखिल होते ही हेमंत सोरेन की सरकार में अस्थिरता का दौर शुरु हो जाएगा.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो शिव शंकर शर्मा ने हाईकोर्ट में एक जनहित जनहित याचिका दायर की थी. जिसमें वर्ष 2005 से 2007 के बीच में झारखंड विधानसभा में हुई नियुक्तियों में गड़बड़ी का ओराप लगाया है. याचिका में आरोप लगाया गया कि झारखंड विधानसभा में पद ना होने के बावजूद विधानसभा में नियुक्तियां कर ली गईं थी.
उन नियुक्तियों में रोस्टर का पालन भी नहीं किया गया था. पसंद के आधार पर फैसला लिया गया था.
इस मामले की जांच के लिए पहले जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग का गठन किया गया. आयोग ने जांच कर साल 2018 में राज्यपाल को रिपोर्ट भी सौंपी थी. प्रार्थी का दावा है कि जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद आयोग की रिपोर्ट में तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष इंदर सिंह नामधारी और आलमगीर आलम के खिलाफ गंभीर टिप्पणी है.
इस मामले में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शशांक शेखर भोक्ता को मामले में दोषी पाया गया. जिसके बाद राज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को कार्रवाई करने का निर्देश दिया राज्यपाल के आदेश के बाद भी मामले पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
बीते 4 अक्टूबर को झारखंड हाईकोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई, सुनवाई के दौरान आयोग की रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की गई जिसे लेकर मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा ने नाराजगी जताई है. हाईकोर्ट ने कहा कि तीन बार आदेश के बाद भी रिपोर्ट पेश नहीं की गई.
इसके बाद 12 अक्टूबर को भी संबंधित मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान विधानसभा की ओर से मौजूद वकील ने कोर्ट को बताया कि जस्टिस विक्रमादित्य आयोग की जांच रिपोर्ट विधानसभा के पास नहीं है. उन्होंने न्यायिक आयोग से जांच रिपोर्ट देने का आग्रह किया है. मामले पर अगली सुनवाई अब 9 नवंबर को होगी.
बता दें सरयू राय ने कहा कि विक्रमादित्य आयोग की रिपोर्ट के आधार पर राज्य सरकार के वर्तमान संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम के खिलाफ कार्रवाई के लिए बाध्य होगी. राय ने कहा कि अगर ऐसा नहीं हुआ, तो यह भी संभव है कि उन्हें स्वतंत्र उच्च स्तरीय आपराधिक जांच का सामना करना पड़ सकता है.
विधायक सरयू राय ने बताया कि विक्रमादित्य आयोग ने आइपीसी की विभिन्न धाराओं जैसे 120 (अ), 166, 167, 196, 464 के तहत दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुशंसा की है. विधानसभा नियुक्तियों में घोटाला का खुलासा उन्होंने ही 11 सितंबर 2007 को बोकारो में किया था. इस संबंध में सबूत की सीडी उनके पास मौजूद है. 12 सितंबर 2007 को तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष आलमगीर आलम साहब ने सीडी एवं अन्य साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए मुझे पत्र लिखा. 13 सितंबर 2007 को कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे ने नियुक्ति घोटाला से संबंधित सीडी सार्वजनिक करने की मांग मुझसे की. इसके बाद मैंने सीडी सार्वजनिक कर दिया.
जांच के लिए राधाकृष्ण किशोर के सभापतित्व में विधानसभा समिति बनाई गई. सरयू राय ने यह भी कहा कि वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो भी जांच समिति के सदस्य थे. विधानसभा समिति ने जांच रिपोर्ट में इस मामले की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने की सिफारिश की थी. इसके बाद जस्टिस विक्रमादित्य आयोग की जांच रिपोर्ट 2018 में आने की जानकारी सार्वजनिक है. राय ने कहा कि हाइकोर्ट ने जस्टिस विक्रमादित्य आयोग का प्रतिवेदन प्रस्तुत नहीं करने को गंभीरता से लिया है. विधानसभा सचिव से अगले महिने इसे प्रस्तुत करने के लिए कहा है.
अब आगामी 9 नवंबर को हाईकोर्ट में इस मामले पर फिर से सुनवाई होना है. 9 नवंबर को ही पता चल पाएगा कि विक्रमादित्य आयोग की जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जाती है या नहीं.