झारखंड में आए दिन जमीन माफियाओं का खौफ लोगों में बढ़ता जा रहा है. जमीन माफिया झारखंड में तांडव कर रहे हैं. राज्य में जमीन घोटाला चरम पर है. लेकिन इनका खेल खत्म होने वाला है, झारखंड पुलिस ने इन भू माफियाओं को सबक सीखाने का प्लान तैयार कर लिया है. पुलिस ने अब तक 3 हजार से भी अधिक माफियाओं को चिंह्त कर लिया है, इन पर जल्द ही कार्रवाई की जाएगी.
वहीं राज्य में जमीन घोटाला मामले को कांग्रेस ने बड़ी गंभीरता से लिया है. झारखंड सरकार की समन्वय समिति के सदस्य एवं झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि झारखंड में जल,जंगल, जमीन की लूट मची हुई है. झारखण्ड में जमीन के मामले में सबसे बड़ी हकीकत यही है कि अनेक फर्जी दस्तावेज और अन्य अनेक जाली कागज़ातों को तैयार करने के बाद अवांछित तत्व उसका दुरूपयोग करते हुए ज़मीन घोटालों में संलिप्त हैं.
बंधु तिर्की ने यह भी कहा कि केवल सरकारी स्तर पर अनेक जिम्मेदार अधिकारियों के द्वारा नहीं बल्कि माननीय न्यायालयों द्वारा भी वैसे आदेश पारित किये जा रहे हैं जो सत्य, न्याय और वास्तविकता की कसौटी पर पूरी तरीके से गलत हैं. झारखण्ड में जमीन के सारे विवादित मामलों के साथ ही अन्य जमीनों के सभी कागजातों, दस्तावेजों और ज़मीन व्यवसाय में संलग्न या संलिप्त लोगों की भी गहन जाँच-पड़ताल करने की आवश्यकता है और इसके लिये आवश्यकता हो तो सरकार को एसआईटी का गठन करना चाहिये.
तिर्की ने कहा कि वैसे अवांछित तत्व बिना रुके लगातार वैसी गतिविधियों में शामिल हैं जो न केवल झारखण्ड या यहाँ की सरकार के खिलाफ है बल्कि इससे उन लोगों का सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है जिनके हित में झारखण्ड का निर्माण किया गया था. उन्होंने कहा कि जिन आदिवासियों और मूलवासियों के लिये झारखण्ड बना था वे सभी धीरे-धीरे हाशिये पर चले गये और ज़मीन दलालों, अपराधियों एवं अवांछित तत्वों की पैठ गाँव-देहात, जंगल, पहाड़, नदी-नाला तक हो चुकी है. स्थिति ऐसी बन चुकी है कि झारखण्ड में कोई नहीं जानता कि कब, कौन, कहाँ, किस रूप में, किसकी मिलीभगत से ज़मीन का कौन-सा टुकड़ा या भूखण्ड बेच दे और उस क्षेत्र के लोग, साँप के गुजरने के बाद लाठी पीटते रहें.
इस मामले पर बंधु तिर्की ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अपील की है कि वे इस मामले पर अविलंब उच्च स्तरीय टीम का गठन कर जाँच का आदेश दें और इसमें विशेष रूप से सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ ही सम्बंधित सरकारी अधिकारियों एवं कर्मचारियों की भी जाँच की जाये. झारखण्ड की मौलिक सम्पदा, सिद्धांत एवं प्रकृति के साथ जुड़कर आगे बढ़ने की आदिवासियों एवं मूलवासियों की संस्कृति का सम्मान बहुत जरूरी है और इसका पालन केवल कागजो पर नहीं बल्कि ज़मीन पर होना चाहिये.