झारखंड में कुड़मी समुदाय के लोग एसटी में शामिल होने की मांग को लगातार जोर दे रहे हैं. कुड़मी अपनी मांगों को लेकर सरकार पर दबाव भी बना रहे हैं. लेकिन केंद्र और राज्य सरकार के इस नकारात्मक व्यवहार से कुड़मी समाज के लोग अब सरकार से बेहद नाराज हैं. कुड़मियों का कहना है कि वे अब झारखंड में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्र अध्यक्ष जेपी नड्डा को झारखंड में प्रवेश करने नहीं देंगे, वहीं कुड़मी मुख्यमंत्री से भी इस मामले में अपनी चुप्पी तोड़ने की बात कह रहे हैं नहीं तो वे सीएम आवास का भी घेराव करेंगे.
दरअसल बीते रविवार को पुराना विधानसभा विधायक आवास क्लब में टोटेमिक कुड़मी समाज की विचार गोष्ठी हुई. इस विचार गोष्ठी अध्यक्षता मुख्य संयोजक शीतल ओहदार ने की. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस गोष्ठी में ‘रेल रोको आंदोलन की समीक्षा और राज्य के मुख्य सचिव से वार्ता के नफा-नुकसान पर चर्चा की गई. और केंद्रीय गृह सचिव संग होने वाली वार्ता के मुख्य बिंदुओं को चिन्हित किया गया.
साथ ही इस गोष्ठी में कुड़मियों में झामुमो और भाजपा दोनों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. बैठक में निर्णय किया गया कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के रांची आगमन पर पुरजोर विरोध किया जाएगा. दोनों को किसी हाल में एयरपोर्ट से बाहर नहीं निकलने दिया जाएगा.
विचार गोष्ठी में उपस्थित वक्ताओं ने कहा कि पिछले 72 वर्षों से लगातार संघर्ष करने के बाद भी केंद्र सरकार कुड़मी को अनुसूचित जनजाति में सूचीबद्ध करने की मांग पर विचार नहीं कर रही है. जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा हतोत्साहित करने वाले गलत बयान दे रहे हैं. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी इस मामले पर लगतार मौन हैं.
इन बिंदुओं पर विचार करते हुए सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का झारखंड आगमन पर पुरजोर विरोध किया जाएगा तथा एयरपोर्ट से बाहर निकलने नहीं दिया जाएगा.
रिपोर्ट्स की माने तो इस गोष्ठी में साथ ही साथ यह भी निर्णय लिया गया कि आदिवासी का दर्जा देने और झारखंड निर्माता बिनोद बिहारी महतो को झारखंड पितामह का दर्जा देने की मांग को लेकर आगामी 21 नवंबर को मुख्यमंत्री आवास का घेराव किया जाएगा. बता दें मुख्यमंत्री आवास घेराव कार्यक्रम में लाखों की संख्या में कुड़मी समाज के लोग अपने पारंपरिक वेशभूषा में शामिल होंगे.
अब अगले वर्ष कुड़मी किस तरह से आंदोलन कर सरकार पर दबाव बनाएंगे इसे लेकर भी विचार किया गया. इस गोष्ठी में कुड़मी अपने आंदोलन को कैसे आगे बढ़ाएंगे इसे लेकर भी रणनीतियां बनाई गई. अगले साल फरवरी यानी 2024 के फरवरी महीने में कुड़मी समुदाय के लोग राजधानी रांची के मोरहाबादी मैदैन में कुड़मी आक्रोश महारैली किया जाएगा. इन सभी आंदोलनों को सफल बनाने के लिए कुड़मी बहुल जिलों में जिला प्रभारी एवं प्रखंड प्रभारी भी नियुक्त किया गया है.
वहीं गोष्ठी में शीतल ओहदार ने कहा कि कुड़मी जनजाति का संघर्ष वर्तमान समय में चरम पर है. समाज अपने संवैधानिक अधिकार के प्रति सजग है. जिस दिन 70% लोग अपने अधिकार के प्रति जागरूक होंगे, उस दिन हमारी जीत होगी.