झारखंड की सियासत में बीते कुछ दिनों से उथल-पुथल चल रही है. पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई चोरेन के ट्वीटर पोस्ट के बाद राज्य का सियासी पारा बढ़ गया है. अब भाजपा झामुमो और कांग्रेस के नेता इस पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. कुछ नेता चंपाई सोरेन से अपनी नाराजगी भी व्यक्त कर रहे हैं. इसी बीच स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने चंपाई सोरेन को लेकर टिप्पणी कर जिसके बाद भाजपा सहित जेएमएम भी उन पर हमलावर हो गई है.
बन्ना गुप्ता ने चंपाई सोरेन के पाला बदलने की अटकलों के बीच उन्हें विभीषण कह दिया. उन्होंने कहा -झारखंड का इतिहास जब भी लिखा जाएगा तब चंपई सोरेन का नाम विभीषण के रूप में दर्ज होगा. जिस पार्टी और माटी ने उनको सब कुछ दिया उसको ठुकराकर, अपने आत्मसम्मान को गिरवी रखकर वह सरकार को तोड़ने का काम कर रहे हैं. फिलहाल समय रहते जब चीजें सामने आ गई तो सोशल मीडिया में पोस्ट कर रहे हैं. जबकि हकीकत यह है कि वह अपनी करनी पर पछतावा कर रहे हैं और मुंह छुपा रहे हैं.”
बन्ना गुप्ता का बयान सामने आने के बाद अब झामुमो ने उनके बयान पर आपत्ति जताई है. झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा है कि जिस व्यक्ति ने इस तरह के भाषा का प्रयोग किया है उन्हें जवाब देना चाहिए. उन्होंने कहा कि इससे झामुमो कांग्रेस को कोई लेना-देना नहीं है क्योंकि पार्टी स्तर पर इस तरह के बयान जारी नहीं किए गए हैं. मनोज पांडे ने कहा कि हम ऐसी बयान की निंदा करते हैं. आज की तारीख में भी चंपाई सोरेन हमारे हैं और इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए.
वहीं बन्ना गुप्ता के इस बयान पर भाजपा ने भी बन्ना गुप्ता को घेरा है. बीजेपी मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक ने बन्ना गुप्ता के बयान पर चुटकी लेते हुए कहा है कि बन्ना गुप्ता ने बता दिया है कि इस राज्य के मुख्यमंत्री रावण हैं क्योंकि रावण को छोड़कर लंका से विभीषण सत्य के लिए निकला था. इस राज्य की सचमुच स्थिति रावणराज्य की बनी हुई है.अब मुख्यमंत्री और कांग्रेस बताए कि इस राज्य को रावणराज्य से कब तक मुक्ति मिलेगी.
चंपाई सोरेन के मामले पर राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री इरफान अंसारी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि चंपाई सोरेन गद्दारी नहीं कर सकते हैं. पार्टी छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे. जल्द ही अटकलों पर विराम लगेगा. उन्होंने आगे यह भी कहा कि हेमंत सोरेन ने चंपाई सोरेन पर विश्वास किया है और उन्हें मुख्यमंत्री बनाने का काम किया. कहा जब जेल गए तो चंपाई सोरेन पर ही विश्वास किया, चाहते तो बसंत सोरेन, कल्पना सोरेन या किसी और को भी मुख्यमंत्री बना सकते थे लेकिन बड़ा दिल दिखाया और चंपाई सोरेन पर भरोसा जताया. हेमंत सोरेन जब जेल से छूटे तो चंपाई सोरेन को अपना इस्तीफा हेमंत सोरेन के पैर पर देना चाहिए था.
वहीं मंत्री हफीजुल हसन ने कहा कि यदि चंपाई सोरेन को मुख्यमंत्री पद से हटाया गया तो उन्हें मुख्यमंत्री बनाया कौन था. यदि हेमंत सोरेन ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया तो उन्होंने हटाया भी. इसमें नाराजगी जाहिर नहीं करनी चाहिए. जो कुछ हुआ वह संवैधानिक रूप से हुआ है. चंपाई सोरेन को इस मामले पर नाराजगी जाहिर नहीं करनी चाहिए.
हालांकि चंपाई सोरेन ने ट्वीट कर अपना दर्द जरुर बयां किया लेकिन यह अब तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि वो भाजपा में जाएंगे या नहीं. सूत्रों की मानें तो जेएमएम सुप्रीमो शिबू सोरेन के सामने भी चंपाई सोरेन का मामला रखा गया है. अब शिबू सोरेन भी विचार विमर्श कर इस मामले में अपना फैसला सुनाएंगे. आज चंपाई सोरेन भी दिल्ली से रांची लौटने वाले हैं. उसके बाद ही आगे की तस्वीर तय होगी.