Ranchi: ये रांची का राजभवन का धरनास्थल है. कहना गलत नहीं होगा धरनास्थल पर बैठे ये लोग जेएसएससी के सताये हुए हैं. ये झारखंड में आईटीआई ट्रेनिंग ऑफिसर के अभ्यर्थी हैं. भर्ती के लिए परीक्षा दी थी और अब 8 महीने से रिजल्ट का इंतजार कर रहे हैं. दिसंबर 2023 में आयोग ने कहा था कि बस 15 दिन दीजिए.
अभी रिजल्ट जारी करके देता हूं. तब से अब तक 8 महीने बीत गये लेकिन, आयोग का वह 15 दिन कभी नहीं आया. 930 पदों पर भर्ती के लिए नवंबर 2023 में ऑनलाइन मोड में परीक्षा ली गई थी.
8 हजार से कुछ ज्यादा ही लोग सरकारी नौकरी की चाह लिये परीक्षा में शामिल हुए थे लेकिन, उनके हिस्से अभी तक केवल इंतजार ही आया है.
अब जबकि झारखंड में विधानसभा चुनाव के ऐलान में 2 माह से भी कम समय बचा है, इन 8 हजार लोगों को अपने भविष्य की चिंता सताने लगी है. जेएसएससी की टालू प्रवृत्ति से केवल यही 8 हजार लोग नहीं बल्कि राज्य के 25,000 से ज्यादा छात्रों का भविष्य भी अधर में है.
फरवरी 2022 में आईटीआई ट्रेनिंग ऑफिसर या औद्योगिक प्रशिक्षण अधिकारी के 930 पदों पर भर्ती के लिए जेएसएससी ने वेकैंसी निकाली. हालांकि, विभागीय त्रुटि की वजह से विज्ञापन रद्द कर दिया गया. बाद में कैबिनेट से स्वीकृति मिलने के बाद जुलाई-अगस्त 2022 में आयोग ने नये सिरे से वेकैंसी निकाली. लेकिन, दिसंबर 2022 में हेमंत सरकार की फरवरी 2020 वाली नई नियोजन नीति हाईकोर्ट द्वारा खारिज कर दी गई. विज्ञापन फिर रद्द हो गया. तीसरी बार जून 2023 में नये सिरे से आयोग ने वेकैंसी निकाली.
4 महीने बाद 27, 28 और 29 नवंबर को ऑनलाइन मोड में परीक्षा ली गई. दिसंबर 2023 में आपत्ति दर्ज कराने के लिए आयोग ने 8 दिन के लिए पोर्टल खोला. अभ्यर्थियों से कहा गया कि 26 जनवरी 2024 तक चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिया जायेगा. 26 जनवरी आई और चली गई. नियुक्ति पत्र नहीं बंटा.
तब से आयोग ने 15 दिन वाला राग अलापना शुरू किया. 15 दिन की मोहलत मांगते-मांगते, फरवरी से जून बीत गया. जून में कहा कि इसी माह के अंतिम सप्ताह में पक्का नियुक्ति पत्र देंगे.
बात केवल इतनी सी भी नहीं है. एक पेंच और भी है. अभ्यर्थियो की मांग थी कि परीक्षा हो चुकी है तो फाइनल ऑनर्स की जारी कर दीजिए ताकि लोग देख सकें कि कितने क्वेश्चन के जवाब सही दिये. दूसरी मांग ये कि कॉमन मेरिट लिस्ट जारी कीजिए. डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन हो फिर आप फाइनल मेरिट लिस्ट जारी करें. मेरिट लिस्ट जारी किए बिना कैसे नियुक्ति पत्र बांटेंगे. आयोग ने ये भी नहीं किया. उनको रिजल्ट के लिए ताजा डेट 15 अगस्त का दिया गया है. अगस्त तो आ गया. न तो ऑनर्स की जारी हुआ और ना ही डॉक्युमेंट वेरिफिकेशन लिस्ट. कैसे नियुक्ति पत्र देंगे. अभ्यर्थी का आयोग और सरकार पर से भरोसा उठ चुका है.
अभ्यर्थी निराश हैं. रिजल्ट का इतना लंबा इंतजार उनके लिए काफी मुश्किल हो रहा है. निराशा की बात इसलिए भी है क्योंकि ये सभी अभ्यर्थी हाईली क्वालीफाइड हैं.
दरअसल, औद्योगिक प्रशिक्षण अधिकारी के पद पर नियुक्ति के लिए 3 अलग-अलग अहर्तायें रखी गई हैं. जो बीटेक डिग्रीधारी हैं उनके पास सीआईटीएस सर्टिफिकेट के अलावा 1 साल का अनुभव होना चाहिए. डिप्लोमा धारियों के पास सीआईटीएस सर्टिफिकेट के साथ 2 साल का अनुभव होना चाहिए वहीं आईटीआई वालों के पास सीआईटीएस सर्टिफिकेट के अलावा 3 साल का एक्सपीरियंस होना चाहिए.
माने, ये सभी लोग अपनी फील्ड के चुनिंदा लोग हैं. इनकी नियुक्ति केवल इनके लिए ही जरूरी नहीं है बल्कि आईटीआई की पढ़ाई कर रहे और करने की इच्छा रखने वाले उन हजारों छात्र-छात्राओं के लिए भी जरूरी है जो अच्छी ट्रेनिंग की आस लिए सरकारी आईटीआई संस्थानों में दाखिला लेते हैं.
अभ्यर्थी 22 जुलाई से ही राजभवन के सामने अनिश्चितकालीन धरना दे रहे हैं. तब से लेकर अब तक पक्ष और विपक्ष के कई विधायकों से मिल चुके हैं. अभ्यर्थियों ने रांची विधायक सीपी सिंह, मांडर विधायक शिल्पी नेहा तिर्की, बगोदर विधायक विनोद सिंह, पूर्वी जमशेदपुर के विधायक सरयू राय, बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद औऱ खिजरी विधायक राजेश कच्छप से मुलाकात की है. बाबूलाल मरांडी से भी मिले हैं.
सब जगह से भरोसे का यही शब्द सुनने को मिला है कि ठीक है, देखते हैं. करते हैं. अभ्यर्थी हेमंत कैबिनेट में शामिल मंत्री सत्यानंद भोक्ता, हफीजुल हसन अंसारी, दीपक बिरुआ से भी मिले हैं. यहां भी केवल आश्वासन ही मिला है.
राज्य की हेमंत सोरेन सरकार दावा करती है कि झारखंडी युवाओं को रोजगार और स्वरोजगार से जोड़ने के लिए तकनीकी शिक्षा पर बल दिया जा रहा है लेकिन, आईटीआई ट्रेनिंग ऑफिसर की नियुक्ति में हो रही देरी सरकारी दावों से मेल नहीं खाती.
दरअसल, झारखंड में 71 सरकारी आईटीआई कॉलेज हैं. इनमें टीचिंग औऱ नॉन टीचिंग स्टाफ के स्वीकृत पदों की संख्या 2196 है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि अभी केवल 276 लोग ही कार्यरत हैं. 71 संस्थानों में से केवल 2 में ही प्रिंसिपल हैं. गर्वमेंट आईटीआई कॉलेजो में प्रतिवर्ष 16,000 बच्चों का दाखिला लिया जा सकता है. कुछ सीटें खाली रह भी जायें तो भी 12,000 से ज्यादा बच्चे दाखिला लेते हैं.
पूरे पाठ्यक्रम को देखें तो कम से कम 25,000 स्टूडेंट प्रशिक्षण ले रहे होते हैं. माने कि 25,000 बच्चों की शिक्षा की जिम्मेदारी महज 276 कंधों पर है. और सरकार रोज रोजगार के नये वादे और दावे कर रही है.
22 जुलाई से राजभवन के सामने धरनास्थल पर साथियों के साथ बैठे हीरालाल बताते हैं कि वे जेएसएससी सचिव से 10 से ज्यादा बार मिल चुके हैं. हर बार आयोग और 15 दिन की मोहलत मांगता है. इनकी नियुक्ति श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग के मातहत होनी है इसलिए विभागीय सचिव से भी कम से कम 10 बार मिले. वे भी कह चुके हैं कि जल्दी ही कुछ अच्छा फैसला आयेगा. कब ये नहीं बताते. विभागीय मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने भी भरोसा दिया कि 15 अगस्त को नियुक्ति पत्र देंगे लेकिन इसकी उम्मीद दिखाई नहीं देती.
नियुक्ति पत्र नहीं मिल पाने का डर यूं ही नहीं है. आपको पंचायत सचिव नियुक्ति प्रक्रिया का विवाद तो याद ही होगा. रघवुर कार्यकाल में प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी लेकिन नियुक्ति पत्र नहीं मिला. फिर सरकार बदल गई. अगले 2 साल तक 3 हजार से ज्यादा अभ्यर्थी नियुक्ति की खातिर दर-दर की ठोकरें खाते रहे. सुप्रीम कोर्ट से ऑर्डर आया तब कहीं नौकरी मिली. अब यहां भी 2 माह में चुनाव है. आयोग में देरी क्यों हो जाती है शोध का विषय है. सरकार रोजगार का वादा भर कर पा रही है. ऐसे कैसे चलेगा.