झारखंड में चुनाव नजदीक आने के साथ ही झारखंड कांग्रेस के भीतर अंतर्कलह शुरु हो गई है. झारखंड कांग्रेस संगठन में सब कुछ ठीक नहीं लग रहा है. ये हम खुद से नहीं बोल रहे हैं बल्कि झारखंड के कांग्रेस नेताओं के हाव-भाव से ये अंदाजा लगाया जा रहा है कि झारखंड में कांग्रेस के अंदर सब कुछ ठीक नहीं है.
दरअसल, बीते कल धनबाद के उत्सव भवन लुबी सर्कुलर रोड में झारखंड कांग्रेस की लोकसभा समन्वय समिति की बैठक हुई और रिपोर्ट्स की मानें तो इस बैठक में काफी हो- हंगामा भी हुआ.
इसी हंगामें के बीच धनबाद से कांग्रेस लोकसभा प्रभारी बन्ना गुप्ता ने नाराज होकर इस्तीफा देने की बात तक कर दी है. बन्ना गुप्ता ने कहा कि सोमवार को प्रदेश संगठन प्रभारी अविनाश पांडेय को धनबाद लोकसभा प्रभारी पद छोड़ने का इस्तीफा पत्र सौंपेंगे. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिलकर जिला 20 सूत्री तथा जिले के प्रभारी मंत्री के पद छोड़ने का पत्र सौंपेगे.
बन्ना गुप्ता की इस नाराजगी का स्पष्ट कारण अब तक पता नहीं चल पाया है हालांकि कुछ कारण सामने आए हैं जिनमें कयास लगाए जा रहे हैं कि धनबाद सीट में बाहरी उम्मदवारों को मौका दिया जाना इसका मुख्य कारण हो सकता है. बैठक में इस बात से मंत्री बन्ना गुप्ता को काफी आहत पहुंची . बन्ना गुप्ता का धनबाद कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ताओं ने विरोध कर दिया.
बैठक में वक्ताओं ने प्रभारी मंत्री बन्ना गुप्ता पर सवाल भी खड़े किए. एक ने कहा कि मंत्री न तो आपका फोन उठते हैं और न ही आपके सचिव फोन उठाते हैं. जनता की समस्याओं के समाधान के लिए ही फोन किया जाता है. ऐसे में जनता का भरोसा कांग्रेस पर कैसे होगा.बस फिर क्या था मंत्री बन्ना गुप्त नाराज होकर बैठक से बाहर निकल गए.
बता दें लंबे समय से धनबाद संसदीय चुनावों में बाहरी उम्मीदवारों को ही जगह दी जा रही है. पूर्व मंत्री चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे पलामू से धनबाद पहुंचे और सांसद बने. इसके बाद तीन टर्म तक कोई नया चेहरा उभरकर सामने नहीं आया. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में सीधे दिल्ली से कीर्ति झा आजाद को कांग्रेस ने धनबाद से मैदान में उतार दिया था.
बैठक में बन्ना गुप्ता की नाराजगी को लेकर जब मीडिया ने धनबाद के पूर्व सांसद ददई दूबे से पूछा तो उन्होंने कहा कि हमें नहीं पता कि नाराजगी किस बात को लेकर है. उन्होंने कहा है कि बन्ना गुप्ता ने इस्तीफा दे दिया है, लेकिन जब केंद्रीय नेतृत्व उनका इस्तीफा स्वीकार करेगा, तभी यह स्वीकार होगा.
वहीं झारखंड में कांग्रेस में दो गुटों में बंटने की बात भी सामने आ रही है. कहा जा रहा है कि कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की पेसा कानून को लेकर अपने दम पर बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं का जुटान कर लिया था, वहीं, दो-दो जिलों के पदाधिकारियों के रांची में रहते हुए भी प्रदेश प्रभारी के राजभवन मार्च में कांग्रेस भीड़ नहीं जुटा पाई. हालांकि झारखंड कांग्रेस प्रभारी अविनाश पांडेय ने सभी को फटकार लगाते हुए आगे के कार्यक्रमों के लिए सभी को सतर्क कर दिया है.
वहीं कांग्रेस से न सिर्फ बन्ना गुप्ता दूरी बना रहे हैं बल्कि कांग्रेस की महिला विधायक अंबा प्रसाद और पूर्णिमा नीरज सिंह को लेकर भी यही कयास लगाए जा रहे हैं. दैनिक जागरण की रिपोर्ट की मानें तो बीते 2 अक्टूबर को कांग्रेस ने महिला कार्यकर्ताओं को एकजुटता का संदेश देने और उनके बीच संगठन की मजबूत पकड़ दिखाने के लिए महिला मैत्री महासम्मेलन आयोजित की थी. लेकिन इस आयोजन में दोनों महिला विधायक अंबा प्रसाद और पूर्णिमा नीरज सिंह गायब रहीं. पार्टी के भीतर इस बात की भी चर्चाएं शुरू हो चुकी हैं कि ये विधायक दूसरे दलों में अपना अस्तित्व तलाश रहे हैं . इन दोनों के महासम्मेलग में मौजूद नहीं रहने से तरह तरह के कयास लगाए गए.
अब तक इन विधायकों ने अपने तरफ से कुछ भी आधिकारितक तौर से पुष्टि नहीं की है.अब आने वाले समय में ही पता चल पाएगा कि आखिर झारखंड में कांग्रेस किस तरह से अपने संगठन को मजबूत कर पाएगी और आगामी चुनावों में कांग्रेस की क्या भूमिका रहेगी.