कुड़मी समुदाय के लोग 20 सितंबर से एक बार फिर रेल रोको आंदोलन शुरू करने जा रहे हैं. दरअसल, कुड़मी समुदाय की मांग है कि उन्हें अनुसूचित जनजाति (Scheduled Tribe) में शामिल किया जाए और कुड़माली भाषा को संविधान की 8वीं अनुसूची में जगह दी जाए. इसी दो मांग के साथ तीसरी बार कुड़मी समुदाय के लोग आंदोलन करने को तैयार हैं. समुदाय के प्रमुखों की ओर से बताया गया कि इस बार का आंदोलन पिछले बार से ज्यादा बड़ी और आर-पार वाली होगी. इस आंदोलन की वजह से तीन राज्यों के रेल परिचालन पर परेशानी होगी. झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में 20 सितंबर से अनिश्चितकालीन रेल रोको आंदोलन की तैयारी है. ऐसे में रेलवे ने इस आंदोलन को देखते हुए आज यानी 19 सितंबर से रांची से चलने वाले कई ट्रेनों को रद्द कर दिया है. वहीं, कई ट्रेनों के रूट में बदलाव किया गया है.
ये ट्रेनें रद्द, कई के मार्ग बदले
- भुवनेश्वर-धनबाद एक्सप्रेस
- रक्सौल-सिकंदराबाद एक्सप्रेस
- आनंदविहार-पुरी एक्सप्रेस
- भागलपुर-रांची एक्सप्रेस
- गोरखपुर-हटिया एक्सप्रेस
- कामाख्या-रांची एक्सप्रेस
- हावड़ा-हटिया एक्सप्रेस
- हटिया-हावड़ा एक्सप्रेस
- सिकंदराबाद-दरभंगा एक्सप्रेस
ये ट्रेनें परिवर्तित मार्ग से चलेंगी
- आनंदविहार-हटिया एक्सप्रेस
- नई दिल्ली-रांची गरीबरथ
- बनारस-रांची एक्सप्रेस
- इस्लामपुर-हटिया एक्सप्रेस
- नई दिल्ली-भुवनेश्वर एक्सप्रेस
- धनबाद-अल्लापुझा एक्सप्रेस
- अल्लापुझा-धनबाद एक्सप्रेस
- जम्मू तवी-संबलपुर एक्सप्रेस
तीसरी बार होगा रेल रोको आंदोलन
बता दें कि कुड़मी समाज खुद को आदिवासी का दर्जा दिलाने के लिए पहले भी दो बार रेल रोके आंदोलन कर चुके हैं. सबसे पहले यह आंदोलन 20 सितंबर, 2022 को हुआ था. वहीं, दूसरी बार पांच अप्रैल, 2023 को पांच दिवसीय रेल रोको आंदोलन हुआ था. आदिवासी कुड़मी समाज के नेता अजीत प्रसाद महतो ने कहा कि इस बार हम तीन राज्यों में पश्चिम बंगाल, ओडिशा और झारखंड में एक साथ होगा. वहीं, इस आंदोलन की वजह से आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा इसलिए हम सभी संगठन के लोग पहले भी उनसे माफी मांगते हैं.
यहां रेल की पटरियां होंगी प्रभावित
झारखंड : मनोहरपुर, नीमडीह, गोमो और मुरी
पश्चिम बंगाल : कुस्तौर और खेमाशुली
ओडिशा : बारीपदा और रायरंगपुर स्टेशन
आखिर आंदोलन क्यों?
तीन राज्यों के कुड़मी समाज के लोग इस बार के आंदोलन को मिलाकर तीसरी बार आंदोलन करने जा रहे हैं. दरअसल, कुड़मी समाज की मांग केंद्र सरकार से है कि उन्हें आदिवासी का दर्जा दिया जाए. फिलहाल कुड़मी समाज ओबीसी में आती है. वहीं, अगर इस समुदाय की आबादी की बात करें तो झारखंड में इनकी आबादी अनुमानित 22 प्रतिशत के लगभग है.