देशभर की 26 पार्टियों ने मिलकर केंद्र की बीजेपी की सरकार को सत्ता से बेदलखल करने के लिए इंडिया गठबंधन बनाया है. चुनाव नजदीक आने के साथ ही गठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर बाते उठ रही है. खासकर झारखंड में इंडिया गठबंधन के सीट शेयरिंग में पेंच फंसता दिख रहा है. चूंकि झारखंड में लोकसभा की मात्र 14 सीटें हैं और गठबंधन की सभी पार्टियां अपने पाले में अधिक से अधिक सीटों की मांग कर रही है. ऐसे में झारखंड में गठबंधन को सीट शेयर करने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. जहां पहले से ही राज्य की दो बड़ी पार्टियां कांग्रेस और जेएमएम के बीच सीट बंटवारे को लेकर खींचतान की स्थिति बनी हुई है वहीं अब सीट को लेकर वामपंथी पार्टियों ने भी अपनी बातें सामने रखी है.
राज्य की तीन महत्वपूर्ण वामपंथी पार्टियां CPI, CPIM और CPI ML ने तीन लोकसभा सीटों हजारीबाग, राजमहल और कोडरमा पर अपना अपना दावा ठोक दिया है.
बीते बुधवार को माकपा यानी CPI(M) की पोलित ब्यूरो सदस्य सह पूर्व सांसद वृंदा करात ने रांची स्थित पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इस दौरान घोषणा की है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ वाम दल मजबूती से चुनाव लड़ेंगे. आईएनडीआई गठबंधन में पार्टी राजमहल सीट पर चुनाव लड़ने का दावा करेगी.
वामपंथी नेताओं का कहना है कि सीपीएम का लक्ष्य भी केंद्र की सत्ता से बीजेपी को हटाना है लेकिन उसे अपना पार्टी संगठन और राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा भी बचाना है. इसके लिए पार्टी को 06 फीसदी वोट तभी मिलेंगे जब वह चुनाव लड़ेगी.
राजमहल से सीपीएम के पूर्व प्रत्याशी गोपीन सोरेन ने कहा कि 2019 और 2014 के लोकसभा चुनाव में सीपीएम ने अच्छा प्रदर्शन किया था. 2019 में सीपीएम को करीब 36 हजार वोट मिले थे वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में भी सीपीएम प्रत्याशी ज्योतिन सोरेन को करीब 60 हजार वोट मिले थे. राजमहल लोकसभा क्षेत्र की छह विधानसभा सीटों में से तीन पर सीपीएम का मजबूत आधार है. इसीलिए सीपीएम ने मन बना लिया है कि वहां वह ही उम्मीदवार देगी.
वहीं झारखंड में झामुमो 6 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है. झामुमो से प्राप्त जानकारी के अनुसार पटना बैठक में झामुमो की ओर से सीट शेयरिंग का फॉर्मूला रख दिया गया है.
वहीं राजमहल में वर्तमान में झामुमो से विजय हांसदा सीटींग सांसद हैं. ऐसे में राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि झामुमो अपनी जीती हुई सीट पर कॉमप्रॉमाइज नहीं कर सकती है. झामुमो भी राजमहल से अपनी दावेदारी पेश कर सकती है .
साल 2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड बनने के बाद राजमहल सीट दो बार 2004 और 2014 में झामुमो और एक बार 2009 में भाजपा के खाते में गई. ऐसे में झामुमो की इस सीट पर मजबूत दावेदारी हो सकती है. संथाल झामुमो का गढ़ माना जाता रहा है. झामुमो अपनी जीती हुई सीट सीपीएम को देगी इसकी उम्मीद थोड़ी कम दिखाई देती है.
हालांकि सीट शेयरिंग का काम आलाकमान के हाथों में ही होता है. आलाकमान का फैसला ही आखिरी होगा. अब आने वाले समय में ही पता चल पाएगा कि राजमहल से किस पार्टी के प्रत्याशी को मैदान में उतारने का मौका मिलेगा. या फिर राजमहल सीट को लेकर झारखंड में इंडिया गठबंधन की पार्टियों के बीच संघर्ष उत्पन्न होगा.