हेमंत कैबिनेट ने लिया बड़ा फैसला, झारखंड में लागू होगी पुरानी पेंशन योजना

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बीते कल यानी 25 जुलाई को झारखंड में मंत्रिमंडल की बैठक हुई. इस बैठक की अध्यक्षता राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने की. कैबिनेट में राज्य और राज्य की जनता के हित के लिए कई अहम फैसलों पर मुहर लगाई गई. इस बैठक में सरकारी कर्मचारियों के लिए बहुत ही बड़ा फैसला लिया गया, बता दें कि सीएम सोरेन ने पुरानी पेंशन योजना यानी ops के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है. इसकी मांग कर्मचारी लंबे समय से कर रहे थे. फैसला आने के बाद मंत्रालय में ढोल नगाड़े बजाकर व गुलाल उड़ाकर खुशी मनाई गई.

वहीं कैबिनेट की तरफ से ओल्ड पेंशन स्कीम को मंजूरी दिए जाने के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर कहा कि, ”एक और वादा हुआ पूरा. झारखण्ड राज्य में सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन हुई लागू. जोहार.

बता दें 2019 में जेएमएम के चुनावी वादों में ओपीएस (OPS) को लागू भी शामिल था. अब राजस्थान, छत्तीसगढ़ के बाद झारखंड पुरानी पेंशन योजना को लागू करने वाला तीसरा राज्य बन गया है.

झारखंड कैबिनेट ने पुरानी पेंशन योजना का लाभ लेने की प्रक्रिया से संबंधित दिशा निर्देश दिए हैं .इसके तहत 1 सितंबर 2022 से पुरानी पेंशन योजना चयन करने के बाद उसका लाभ लेने की प्रक्रिया से संबंधित दिशा-निर्देश निर्धारित किया गया था.

अब बताते हैं क्या है पुरानी पेंशन योजना

पुरानी पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों को पूर्व निर्धारित फार्मूले के अनुसार पेंशन मिलती थी जो उसने वेतन का 50 प्रतिशत होता था. इसके अलावा उन्हें साल में दो बार मंहगाई भत्ता संशोधन का लाभ भी मिलता था. इसके लिए वेतन से किसी प्रकार से कोई कटौती नहीं की जाती थी .इसके अलावा सामान्य भविष्य निधि यानी कि जीपीएफ का भी प्रावधान था. जीपीएफ का मतलब है जेनरल प्रोविडेंट फंड यानी कि जेनरल प्रोविडेंट फंड सभी सरकारी कर्मचारियों को अपने वेतन का एक निश्चित प्रतिशत योगदान करने की अनुमति देता है. जो सेवानिवृत्ति होने के समय कर्मचारी को भुगतान की जाती है.बता दें पुरानी पेंशन योजना में पैसों का भुगतान सरकारी खजाने से होता है. इसमें आखिरी महीने के वेतन की आधी रकम के बराबर पेंशन दी जाती है. वहीं कर्मचारी की मृत्यु के बाद पति/पत्नी को भी पेंशन का फायदा मिलता है. आम कर्मचारियों की तरह की पेंशनधारियों को भी हर 6 महीने में DA में होने वाले बदलाव का लाभ मिलता है. इसके साथ ही पेंशन कमीशन के लागू होने पर पेंशन रिवाइज्ड होने का लाभ मिलता है. पेंशनधारी के 80 वर्ष उम्र होने पर मूल पेंशन का 20 फीसदी बढ़ोत्तरी होता है, जो 85 साल होने पर 30 फीसदी, 90 साल होने पर 40 फीसदी, 95 साल होने पर 50 फीसदी और 100 साल होने पर 100 फीसदी बढ़ता है.
हालांकि, 2004 में केंद्र की अलट बिहारी वाजपेयी की सरकार ने 1 अप्रैल 2004 को पुरानी पेंशन योजना को बंद करने का फैसला किया था. जिसके बाद साल 2004 में पुरानी पेशन योजना के बदले राष्ट्रीय पेंशन योजना (National Pension System) यानी nps की शुरुआत की गई थी.

क्या है राष्ट्रीय पेंशन योजना

बता दें कि, नई पेंशन स्कीम में कर्मचारी के वेतन में से 10 फीसदी कटौती होती थी. नई पेंशन स्कीम पेंशन में कर्मचारियों के लिए प्रावधान ना के बराबर था. बता दें रिटायरमेंट पर उसका जितना पैसा बनता था, उसका 60 फीसदी ही उन्हें भुगतान किया जाता है. वहीं शेष 40 फीसदी पैसा फिर से निवेश करने का प्रावधान था. इस योजना की मुख्य समस्या यह थी कि रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी की मौत पर उनके आश्रित पति-पत्नी को किसी तरह की पेंशन नहीं मिल पाता था, और ये 40 फीसदी राशि भी सरकार के पास चली जाती थी.

रिपोर्ट्स के अनुसार झारखंड में अभी लगभग 1.95 लाख स्थाई अधिकारी और कर्मचारी हैं. इनमें से 1.25 लाख नई पेंशन योजना के दायरे में हैं, जो 2004 में अंशदायी पेंशन योजना लागू होने के बाद बहाल हुए हैं, इन्हें इसका सीधा लाभ मिलेगा.
फिलहाल झारखंड कैबिनेट ने पुरानी पेंशन योजना पर बिल पास कर दिया है. वहीं आघामी 28 जुलाई से झारखंड में विधानसभा का मानसूम सत्र शुरु होने वाला है. इस सत्र में विधेयक पास हो जाने के बाद इस विधेयक को राज्यपाल के पास भेज दिया जाएगा. इस पर राज्यपाल का फैसला ही अंतिम फैसला होगा. इस विधेयक पर राज्यपाल के हस्ताक्षर करने के बाद यह बिल कानून बन जाएगा.

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