झारखंड की राजधानी रांची में बीते कल यानी मंगलवार को फिर से दिन दहाड़े गोली चली. रांची के एदलहातु में तनवीर आलम उर्फ बिट्टू खान नाम के शख्स को दो बाइक सवार लोगों ने गोली मार दी. जिसके बाद बिट्टु को अस्पताल ले जाया गया जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. बता दें कि बिट्टु खान के खिलाफ आपराधिक रिकॉर्ड दर्ज है,16 महिने पहले उसे जेल भेजा गया था. वहीं इस गोली कांड में शामिल अपराधियों की पहचान कालू लामा गिरोह के रोहन वर्मा, बीड़ी और अभिषेक मल्लिक के रूप में की गई है,फिलहाल एक अपराधी की पहचान नहीं की जा सकी है, लेकिन सभी अपराधी फिलहाल फरार हैं।
यह मामला बेहद गंभीर है, ऐसा नहीं है कि रांची में अपराधियों द्वारा पहली बार गोली चलाई गई है. बल्कि राजधानी रांची में गोली कांड का सिलसिला कई सालों से जारी है, वहीं पिछले एक साल में रांची में गोली कांड के मामले तेजी से बढ़े हैं. साल 2022 से 2023 में कई मेजर गोलीकांड हुए हैं.जो राज्य सरकार और पुलिस प्रशासन के सामने राज्य में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कई सवाल खड़े करती है.
बिट्टु खान गोली कांड का कनेक्शन पिछले साल रांची के मोरहाबादी में हुए गोली कांड से बताया जा रहा है. बता दें पिछले साल 27 जनवरी 2022 को रांची के हाई सिक्यूरिटी जोन मोरहाबादी मैदान के पास अपराधियों ने दिनदहाड़े गोलीबारी की. इस गोलबारी में तीन लोगों को गोली लगी. जिसमें कालू लामा नामक एक अपराधी की मौत हो गयी. इस गोली कांड में बिट्टु खान की भी हिस्सेदारी बताई जा रही थी. अब बदले की आग में बिट्टु खान पर कालू लामा गैंग के लोगों ने 6 राउंड गोलियां बरसा दी.
वहीं बीते 12 मई 2023 को रांची के हरमू में पटेल चौक के पास शाम में गुपचुप खाकर लौट रही युवती पर पैदल चलते हुए युवक ने गोली मार दी थी. जिसके बाद युकती की मौत हो गई थी.उसी के दूसरे दिन युवक ने फेसबुक पर लाइव आकर खुद को गोली मार ली थी.
पिछले साल रांची के नामकुम इलाके में भी गोली चली थी. नामकुम थाना क्षेत्र के नया टोली के पास शुक्रवार की रात लगभग साढ़े 9 रात में बाइक सवार दो अपराधियों ने स्कूटी सवार जमीन कारोबारी विजय प्रताप सिंह का पीछा कर पीठ में गोली मार दी थी.ये सभी गोलीकांड राजधानी रांची के सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाते हैं.आखिर राज्य की राजधानी में इतना क्राइम रेट बढ़ने का जिम्मेदार कौन है, क्या प्रशासन सो रही है.
इन सभी घटनाओं में गन एक कॉमन चीज है, अब सवाल ये उठता है कि रांची में इतने अपराधियों को गन इतनी आसानी से मिल जा रहा है और क्या पुलिस और प्रशासन को इस बात की भनक तक नहीं होती कि शहर में क्या चल रहा है.
जिस तरह से राजधानी में गोलीकांड हो रहे हैं राज्यवासियों के मन में खौफ बढ़ता ही जा रहै है. जब राजधानी में जहां मुख्यमंत्री,कैबिनेट मंत्री से लेकर राज्यपाल तक रहते हैं, वहां दिन दहाड़े, शाम,रात कभी भी गोली चल जा रही है तो इसके बाकी 23 जिलों की सुरक्षा पर सवाल उठना लाजमी है.
राज्य सरकार ने भी पिछले एक साल में इन मामलों पर लगाम कसने के लिए सख्ती नहीं अपनाई है.लॉ एंड आर्डर को मेनटेन करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं. जब एक साल पहले भी दिन दहाड़े बीच सड़क बाइक सवार लोगों पर गोलियां चला रहे थे और आज एक साल बाद भी राज्य में वहीं स्थिति बनी हुई है तो यह दिखाता है कि सरकार और प्रशासन ने इस पर क्या काम किया है.
आज जिस तेजी से झारखंड में क्राइम रेट बढ़ रहे हैं ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले समय में लोग घरों से बाहर निकलने के लिए भी एक बार सोचेंगे. आखिर लोग इतने बड़े-बड़े कदम कैसे उठा पा रहे हैं कि चलते फिरते किसी की भी जान ले ली जा रही है, इतने बड़े मामले साने आने के बाद भी सरकार,प्रशासन,पुलिस की चुप्पी परेशान करने वाली है.
झारखंड की जनता उमीद करते हैं कि सरकार इन मामलों को लेकर गंभीर होगी और जल्द से जल्द राजधानी सहित राज्य भर के लॉ एंड ऑर्डर सुधारने पर काम किया जाएगा.